नदियों को जोड़ने का काम पांच साल में पूरा करने का प्रयास करेंगे

जयपुर, 29 मई। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि प्रदेश के विकास के लिये जल स्रोतों को जोड़ने का कार्य बेहद जरूरी है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश के नदी नालों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना हाथ में ली है, जिसे आगामी पांच साल में पूरा करने के प्रयास किये जायेंगे। इसके तहत दो पायलट प्रोजेक्ट माही बेसिन की बुनन्दी व चम्बल बेसिन की आहू नदी पर शुरू किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की सफलता में जनता और किसानों की भागीदारी महत्त्वपूर्ण है।

श्रीमती राजे गुरूवार को कूकस स्थित शिव विलास होटल में ’’फोर वाटर्स कन्सेप्ट’’ प्रशिक्षण कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रही थी। प्रदेश में जल संग्रहण विकास के लिये ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग द्वारा इस कार्यशाला का आयोजन किया गया।

पानी पर जनता का मालिकाना हक
मुख्यमंत्री ने कहा कि जल प्रबंधन की इस परियोजना में किसानों एवं आमजन की उचित भागीदारी होगी और पानी का मालिकाना हक भी उन्हीं के पास होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जल का समुचित प्रबंधन राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी कारण पिछले एक वर्ष से जल विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस परियोजना का खाका तैयार किया गया है। अब सभी संबंधित पक्षों के सहयोग से इसे मूर्तरूप दिया जायेगा।

लीक से हटकर कार्य करें
श्रीमती राजे ने इस परियोजना की सफलता के लिये नई सोच के साथ लीक से हटकर और मिशन मोड़ में कार्य करने की आवश्यकता जताई। ’’फोर वाटर्स कन्सेप्ट’’ पर अपने प्रस्तुतीकरण में उन्होंने कहा कि इसके तहत बारिश के पानी, सतही जल, भूजल व मिट्टी की नमी सहित सभी तरह के पानी का एकीकृत प्रबंधन किया जायेगा।

वर्षा जल संरक्षण के लिये चार स्तरीय एप्रोच
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान का क्षेत्रफल पूरे देश का 10.4 प्रतिशत और जनसंख्या 5.6 प्रतिशत है जबकि प्रदेश में जल की उपलब्धता मात्र 1.16 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बारिश से मिलने वाले 16.05 बिलियन घनमीटर पानी में से 4 बिलियन घनमीटर पानी बहकर बर्बाद होता है। इसके प्रबंधन के लिये चार स्तरीय ’’एप्रोच’’ की आवश्यकता है। इसके तहत तेजी से बहते हुए पानी की गति कम करना, कम गति वाले पानी की गति और कम करना, बिल्कुल धीरे बहने वाले पानी को रोकना और ठहरे हुए पानी को जमीन में नीचे उतारना शामिल है। इससे भूजल स्तर ऊपर आयेगा और पानी की एक-एक बूंद का पूरा सदुपयोग हो सकेगा।

विशेषज्ञों ने दी तकनीकी जानकारी
कार्यशाला में जल विशेषज्ञों सर्वश्री टी.हनुमंतराव एवं श्रीराम वेडिरे ने भी अपने प्रस्तुतीकरण में जल संरक्षण एवं प्रबंधन की तकनीकों, इस क्षेत्र में देश और दुनिया में हुए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए राजस्थान में ’’फोर वाटर्स कन्सेप्ट’’ की सम्भावनाओं के संबंध में अपने विचार व्यक्त किये।

इस दौरान ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया, मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि, अतिरिक्त मुख्य सचिव इन्फ्रा. श्री सी.एस.राजन, अतिरिक्त मुख्य सचिव जलसंसाधन श्री ओ.पी.मीणा, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के प्रमुख सचिव श्री श्रीमत पाण्डे सहित अन्य अधिकारी और विषय विशेषज्ञ मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने की फील्ड विजिट
मुख्यमंत्री ने उद्घाटन सत्र के बाद मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि सहित राज्य सरकार के आला अधिकारियों, जिला कलक्टर्स व वाटरशेड प्रबंधकों के साथ कूकस गांव में फील्ड विजिट भी की। जहां पर जल संरक्षण एवं वाटरशेड विशेषज्ञों सर्वश्री टी.हनुमंतराव एवं श्रीराम वेडिरे की टीम ने उन्हें शुष्क भूमि पर बनाये गये रेखाचित्रों एवं प्रदर्शन बोर्ड के माध्यम से जल प्रबंधन प्रणाली एवं तकनीक के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

पानी का सेम्पल जांच कराने के निर्देश
श्रीमती राजे ने गांव खोरामीणा स्थित साईट पर बड़ी संख्या में पहुंचे ग्रामीणों से भी संवाद किया। उन्होंने ग्रामीणों से कहा कि सरकार इस परियोजना के जरिये भूजल स्तर को ऊपर लाने के लिये प्रयासरत है। मुख्यमंत्री को महिलाओं ने उनके गांव में खारे पानी की समस्या से अवगत कराया। इस पर श्रीमती राजे ने जिला कलक्टर को पानी का सेम्पल लेकर आवश्यक जांच कराने के निर्देश दिये।