केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 50 प्रतिशत किया जाये

जयपुर, 24 फरवरी। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे ने 14वें वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हि¬तों की पुरजोर पैरवी करते हुए मांग की है कि केन्द्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए। साथ ही उन्होंने राज्य की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए अधिक राशि के आवंटन की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने पंचायतों एवं नगरपालिकाओं को केंद्रीय करों के लगभग दो प्रतिशत हिस्से को बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने का सुझाव दिया। उन्होंने राज्य में सौर ऊर्जा की विपुल उपलब्धता को देखते हुए सौर ऊर्जा के लिए पांच हजार मेगावाट के प्लांट लगाने, जल संसाधन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा पेयजल के लिए विशेष अनुदान सहायता देने की सिफारिश करने के लिए भी अनुरोध किया।

श्रीमती राजे सोमवार को शासन सचिवालय में 14वें वित्त आयोग के साथ आयोजित बैठक में बोल रही थीं। 14वें वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री वाई.वी. रेड्डी के नेतृत्व में आयोग का 14 सदस्यीय दल राज्य सरकार से चर्चा करने के लिए जयपुर आया था।

राज्य सरकार की प्रमुख चिन्ताओं को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्राी ने वित्त आयोग की अनुशंषाओं को बिना किसी परिवर्तन के लागू करने और बिना किसी देरी के राशि जारी करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अक्सर वित्त आयोग की अनुशंषाआंे के अनुसार राज्यों को अनुदान के रूप में जो राशि का आवंटन होता है, केन्द्र सरकार द्वारा उसे समय पर और पूरी तरह नहीं दिया जाता है।

श्रीमती राजे ने वित्त आयोगों की सिफारिशों को उचित रूप से लागू करने एवं राज्यांे को देय राशि का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक स्थाई संघीय परिषद के गठन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र प्रवर्तित योजनाओें के तहत राज्यांे को दो लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का आवंटन किया जाता है और इस राशि का आवंटन योजना और गैर योजनागत मदों में किया जाता है। इस जटिल प्रक्रिया में जिम्मेदारियों का निर्धारण ठीक से नहीं किया जाता है। उन्हांेने कहा कि योजना और गैर योजना मद में कृत्रिम विभाजन से पुलिस और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आवश्यक खर्चा नहीं हो पाता है।

राज्य सरकार द्वारा हाल ही मेें भरतपुर संभाग में ’’सरकार आपके द्वार’’ कार्यक्रम की चर्चा करते हुए श्रीमती राजे ने कहा कि गांवों एवं ढाणियों में 65 साल तक केन्द्रीय योजनाओं के चलाने के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिला है। इससे यह स्पष्ट है कि अब तक जो हम कर रहे थे और विकास के जिस माॅडल का अनुसरण हम कर रहे थे, उसमें परिवर्तन की आवश्यकता है। चूंकि राज्य सरकारें जनता के अधिक नजदीक है और उनकी आवश्यकताओं को बेहतर समझती है, इसलिए उनके विकास व उन्नति के लिए योजनाएं बनाने के लिए आवश्यक धनराशि राज्यों को उपलब्ध करवाई जानी चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि 14वां वित्त आयोग सर्विस डिलीवरी एवं आधारभूत संरचना के निर्माण के वैकल्पिक तरीके सुझायेगा।

मुख्यमंत्राी ने कहा कि वित्त आयोग द्वारा की गई अनुशंषाओं के तहत जारी किये जाने वाले अनुदान के साथ अक्सर शर्तें जोड़ दी जाती हैं और इस कारण कई तरह के अनुदान का वितरण नहीं हो पाता। उन्होंने राज्य की आर्थिक स्थिति पर वित्त आयोग का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि वर्ष 2003 की तरह एक बार फिर राज्य की वित्तीय स्थिति बहुत चिन्ताजनक है, क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अनेक लोक-लुभावनी योजनाएं चलायी गई थीं जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में आर्थिक स्थिति को सही दिशा में ले जाने के लिए राज्य सरकार कुशल वित्तीय प्रबंधन का हरसंभव कदम उठायेगी और आशा है कि वित्त आयोग इसमें मददगार साबित होगा।

मुख्यमंत्राी ने कहा कि राज्यों को केन्द्र सरकार के भागीदार के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकताएं निवेश बढ़ाना, बेरोजगारी दूर करना, आर्थिक ढांचे में सुधार, शिक्षा एवं कौशल विकास और उच्च गुणवत्ता के साथ लोक सेवाएं प्रदान करना है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आयोग राज्य सरकार को सक्षम बनाने में सहयोग करेगा ताकि सुराज लाया जा सके और कुशल वित्तीय प्रबन्धन के साथ तेजी से विकास किया जा सके।

वित्त आयोग ने की मुख्यमंत्राी की सराहना
वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री वाई.वी. रेड्डी ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत मेमोरेन्डम की सराहना करते हुए मुख्यमंत्राी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि मेमोरेन्डम में केन्द्र और राज्य सरकार के संबंधों के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया है और आयोग के समक्ष उठाने वाले सभी मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्राी की इस बात पर सहमति व्यक्त की कि व्यवस्थाओं में सुधार लाने के लिए हमें अपने तौर तरीकों में बदलाव लाना होगा और बेहतर सर्विस डिलीवरी के वैकल्पिक माॅडल पर भी विचार करना पडे़गा।

श्री रेड्डी ने कहा कि आयोग ने राज्य सरकार द्वारा व्यक्त की गई सभी चिन्ताओं को समझा है और उन पर गंभीरता से विचार किया जायेगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि आयोग राज्य सरकार द्वारा उठाये गये सभी मुद्दों और दिये गये सभी महत्वपूर्ण सुझावों पर पूरा चिन्तन कर आवश्यक निर्णय लेगा। उन्होंने कहा कि आयोग का मानना है कि देश के संघीय वित्तीय ढांचे में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है। आयोग के अन्य सदस्यों सुश्री सुषमा नाथ, प्रो. अभिजीत सेन, डाॅ. एम.गोविन्दा राव, डाॅ. सुदीप्तो मंडल एवं श्री ए.एन. झा ने भी श्रीमती राजे को मेमोरेन्डम में उठाए गए बिंदुओं को वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सटीक बताया। सभी सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत मेमोरेन्डम अब तक उन्हें प्रस्तुत मेमोरेन्डम में सर्वश्रेष्ठ है और इसमें राज्य एवं केंद्र के मध्य वित्तीय संबंधों की दृष्टि से महत्वपूर्ण बिंदु उठाए गए हैं।

प्रमुख शासन सचिव, वित्त, श्री सुभाष गर्ग ने राज्य की वित्तीय स्थिति और आवश्यकताओं पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया। प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास श्री डी.बी.गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण, श्री जे.सी.महान्ति, ऊर्जा सचिव श्री आलोक, आपदा प्रबंधन सचिव श्री कुंजीलाल मीणा तथा पंचायतीराज सचिव श्री राजेश यादव ने अपने-अपने विभाग से संबंधित प्रस्तुतीकरण दिया।

इस अवसर पर चिकित्सा मंत्राी श्री राजेन्द्र राठौड़, ऊर्जा मंत्राी श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, जलदाय मंत्राी प्रो. सांवरलाल जाट, कृषि मंत्राी श्री प्रभुलाल सैनी, मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।