वन क्षेत्र के संरक्षण पर विशेष ध्यान दें
जयपुर, 16 जून। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है प्रदेश के दीर्घकालिक हितों को देखते हुए सभी विभाग आगे बढ़कर एक दूसरे का सहयोग करें और राजस्थान को विकास की राह पर अग्रसर करें।
श्रीमती राजे सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में राज्य वन्य जीव मण्डल की बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने वन भूमि के संरक्षण पर विशेष जोर देते हुए कहा कि जन केन्द्रित विकास से पर्यावरणीय मुद्दों का भी बेहतर समाधान हो सकता है। उन्होंने वन, सार्वजनिक निर्माण, खनन, आधारभूत विकास से जुड़़े अन्य विभागों को निर्देश दिये कि वे नियमित अन्तराल पर विचार-विमर्श करते रहें और जी.आई.एस. तकनीक को भी अपनायें ताकि विभिन्न विभागों के बीच सूचना का आदान-प्रदान आसानी से हो सके। सभी सूचनायें एक जगह उपलब्ध होने से माॅनिटरिंग आसानी होगी।
मुख्यमंत्री ने पर्यटन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे प्राकृतिक पर्यटन पर अधिक ध्यान दें और इसे मुख्यधारा में लाने के लिए वन विभाग के साथ तालमेल बिठाकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि रणथम्भौर, सरिस्का एवं तालछापर जैसे अभयारण्यों में जाने वाले पर्यटकों के अनुभवों के आधार पर इन स्थलों के विकास एवं नये पर्यटन केन्द्रों को विकसित करने पर ध्यान दें।
श्रीमती राजे ने वन्य जीवों एवं वन क्षेत्रों के विकास एवं बेहतर प्रबन्धन में स्थानीय लोगों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने विभिन्न विभागों से कहा कि वे कम पर्यटन गतिविधि वाले अभयारण्यों जैसे कुम्भलगढ़, सोरसन एवं तालछापर पर ज्यादा ध्यान देने के साथ चम्बल क्षेत्र एवं चम्बल के बीहड़ों में पर्यटन की सम्भावनाओं पर जोर दें।
मुख्यमंत्री ने तेंदुआ, गोडावण एवं भालुओं के संरक्षण के लिये विशेष कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने संतुलित वन्य जीवन एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से जवाई बांध संरक्षित क्षेत्र पर और अधिक ध्यान देेने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्रीमती राजे ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों से ग्रामीणों के विस्थापन के मुद्दे को संवेदनशीलता से देखें और इस बात पर ध्यान दिया जाये कि विस्थापित होने वाले लोगों को उचित पुनर्वास पैकेज मिले। उन्होंने जोड़बीड़ क्षेत्र में विषैली दवाओं से गिद्धों एवं बाजों की मौत पर भी चिन्ता जताई।
बैठक में राज्य वन्य जीव मण्डल ने विकास से जुड़े महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर विचार कर उन्हें स्वीकृति प्रदान की, जिन्हें अब केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा। इन प्रस्तावों में कुम्भलगढ़ अभयारण्य क्षेत्र में पाली-नाडोल-गोमती चैराहा के बीच सड़क नवीनीकरण, चम्बल नदी पर सबलगढ़-करौली स्टेट हाईवे-22 पर हाईलेवल ब्रिज का निर्माण, बंध बरेठा अभयारण्य क्षेत्र में बाड़ी-बसेड़ी-नगर-पहाड़ी राज्यमार्ग पर सड़क दो लेन कर सुदृढ़ीकरण, दर्रा वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में स्थित एन.एच.12 पर रामगंजमण्डी, कोटा को झालावाड़ जिले से जोड़ने वाली सड़क का नवीनीकरण तथा केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान एवं केसरबाग वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में ऊंचा नंगला-खानवा-रूपबास-धौलपुर सड़क के उन्नयन आदि शामिल हैं।
बैठक में मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि, अतिरिक्त मुख्य सचिव वन श्री ओ.पी.मीणा, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्री सिद्धनाथ सिंह, प्रमुख शासन सचिव खनन एवं पेट्रोलियम श्री अशोक सिंघवी, प्रमुख शासन सचिव राजस्व श्री मुकेश शर्मा, प्रमुख शासन सचिव सार्वजनिक निर्माण विभाग श्री डी.बी.गुप्ता, पीसीसीएफ श्री राहुल कुमार एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
