राजस्थान को विकास की दृष्टि से देश का अग्रणी प्रदेश बनाएंगे

बांसवाड़ा, 14 जून। मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने कहा है कि जनता के आत्मीय प्रेम, संत-महात्माओं और देवी-देवताओं के आशीर्वाद और समग्र विकास के संकल्पों के साथ राजस्थान को हर दृष्टि से अग्रणी प्रान्त बनाने के लिए भरपूर प्रयास किए जाएंगे और जन विश्वास पर खरा उतरते हुए जनता का कर्ज चुकाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाएगी।

मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने बांसवाड़ा शहर के समीप जानामेड़ी में उत्तम सेवा धाम रविन्द्र ध्यान आश्रम में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में ‘राष्ट्रीय संतों का साहित्यिक अवदान’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि पद से संबोधित करते हुए यह आह्वान किया। मुख्यमंत्राी ने इस मौके पर श्रीधर पराड़कर द्वारा लिखित उत्तम स्वामी के जीवन परिचय नामक पुस्तक का विमोचन भी किया।

मुख्यमंत्राी श्रीमती राजे नेवैदिक ऋचाओं से मंगलाचरण भारत माता की तस्वीर पर पुष्पहार अर्पित कर तथा दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया। शंख ध्वनि और समवेत स्वरों में शारदा वंदना के बीच मुख्यमंत्राी ने संत-महात्माओं, महंतों, मठाधीशों का अभिवादन कर स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि जनता द्वारा दिए गए अपार प्यार और विश्वास को अच्छी तरह महसूस किया जा रहा है तथा राजस्थान प्रदेश और प्रदेशवासियों के कल्याण के लिए जो समय जनता ने दिया है उसका भरपूर उपयोग करते हुए राजस्थान को बदलने की हरसंभव कोशिश की जाएगी।

विकास के लिए मिले सिर्फ तीन माह
मुख्यमंत्राी ने कहा कि उन्होंने 13 दिसम्बर को मुख्यमंत्राी पद की शपथ ली थी। 20 दिसम्बर को मंत्राीमण्डल बना था । उसके बाद 5 मार्च को आचार संहिता लग गई। कुल मिलाकर करीब तीन माह आचार संहिता और दूसरे कामों में व्यतीत हो गए। उन्हें तो प्रदेश के लिए तीन महिने का समय ही मिला। इसके बावजूद उनकी सरकार ने जो महत्वपूर्ण फैसले लिए वे जनता को मालूम हैं और फिर सरकार तो पांच साल की चुनी जाती है। इस अवधि में हम निश्चित रूप से राजस्थान को देश के अग्रणी प्रदेशों में शुमार करवाएंगे। लेकिन यह बहुत बड़ा काम जिसे कोई अकेला नहीं कर सकता। प्रदेश की जनता की भागीदारी से ही हम प्रदेश की तकदीर बदलेंगे।

संत महात्माओं के बिना नहीं बढ़ सकता कोई राज आगे
उन्होंने कहा कि बांसवाड़ा छोटी काशी के रूप में जाना जाता है। उन्हें त्रिपुरा सुन्दरी और माही की इस तपोभूमि पर आकर दिव्य ऊर्जा और ताजगी का अहसास होता है। संत-महात्माओं तथा देवी-देवताओं के आशीर्वाद से भरी यह धरा ईश्वरीय अंश का बोध कराती है। उन्होंने कहा कि संत-महात्माओं के आशीर्वाद के बिना राज आगे नहीं बढ़ सकता।

मुख्यमंत्राी ने क्षेत्रा के देव सोमनाथ, बेणेश्वर, त्रिपुरा सुंदरी, घोटिया आम्बा, मानगढ़ आदि तीर्थों का जिक्र किया और कहा कि सरकार इनके विकास के लिए कृत संकल्पित है और इस दिशा में जो काम हुए हैं वे ऐतिहासिक हैं। उन्होंने राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण द्वारा इस दिशा में किए गए प्रयासों की जानकारी दी और कहा कि राजस्थान में इस दिशा में व्यापक और बेहतर काम हो रहा है।

उन्होंने भारत के आध्यात्मिक वैभव की चर्चा की और कहा कि पूरी दुनिया में यह इस वजह से जाना जाता है और इसे कोई मात नहीं दे सकता।

मुख्यमंत्राी ने किया कीर्तिमान स्थापित
राज्यसभा सांसद कप्तान सिंह सौलंकी ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुंधरा राजे ने राजस्थान में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। विधानसभा चुनाव में 163 और लोकसभा चुनाव 25 की 25 सीटंेे उनकी मेहनत का नतीजा है। श्रीमती राजे में विकास के लिए विजन है। इसीलिए राजस्थान की जनता उनसे विकास की अपेक्षा रखती है, जिस पर वह खरा उतरने का प्रयास कर रही हैं।

अहिल्या के रूप में वसुंधरा
जाने-माने संत ध्यानयोगी महर्षि उत्तम स्वामीजी महाराज ने साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्राी श्रीमती वसंुधरा राजे देवी अहिल्या का रूप है। जिन्होंने राजस्थान के लिए बहुत कुछ किया है और बहुत कुछ करने वाली हैं। चैबीस घंटों में से 15-16 घंटे काम करने वाली राजे सचमुच अहिल्या का रूप है। उन्होंने कहा कि राजस्थान का भविष्य वसुंधरा के हाथों में ही सुरक्षित है, क्योंकि वे आध्यात्म से जुड़ी हुई हैं। उनके अंदर विकास करने की ललक है। राजस्थान के लिए कुछ करने का संकल्प हैं।

राष्ट्रवादी चिंतन ही राष्ट्र निर्माण का मूलाधार
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कप्तानसिंह सोलंकी ने साहित्य और संस्कृति के लिए समर्पित अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रवादी चिंतन पर प्रकाश डाला तथा कहा कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से संतों के साहित्यिक अवदान से जन-जन को परिचित कराने और नवचेतना की गतिविधियों को संबल मिलता है। उन्हांेने राष्ट्रीय चेतना और आदर्श राष्ट्र निर्माण के लिए राष्ट्रवादी चिंतन से परिपूर्ण विचारों के प्रभावी प्रचार-प्रसार के लिए व्यापक लोकचेतना गतिविधियों व आयोजनों पर बल दिया।

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. त्रिभुवननाथ शुक्ल व राष्ट्रीय संगठन मंत्राी श्रीधर पराड़कर विशिष्ट अतिथि थे। समारोह में मुख्यमंत्राी को त्रिपुरा सुन्दरी की तस्वीर भेंट की गई व शाॅल ओढ़ाकर स्वागत किया गया। वहीं साहित्यकार विष्णूदत्त शर्मा द्वारा लिखित ’’ भूरेटिया न मानू काव्य संग्रह एवं गौ भक्त गोविन्द गिरी की सीडी का भी लोकार्पण किया गया। संगोष्ठी में देश भर से 40 से अधिक मनीषी साहित्यकार भाग ले रहे हैं। संगोष्ठी दो दिन चलेगी।

समारोह में राजस्थान धरोहर संरक्षण समिति के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, सांसद वीपी सिंह, पूर्व संसदीय सचिव भवानीसिंह राजावत, मुख्यमंत्राी के प्रेस सलाहकार महेन्द्र भारद्वाज, निम्बाहेड़ा विधायक श्रीचन्द कृपलानी, क्षेत्राीय सांसद मानशंकर निनामा, बांसवाड़ा-डूंगरपुर के विधायकगण, संभागीय आयुक्त वैभव गालरिया, पुलिस महानिरीक्षक जीएन पुरोहित, जिला कलक्टर कुंजबिहारी गुप्ता, समाजसेवी भगवतपुरी, ओम पालीवाल, गोविंदसिंह राव, दीपक जोशी, योगेश जोशी सहित बड़ी संख्या में क्षेत्राीय जन प्रतिनिधि, समाजसेवी, गुरुभक्त मण्डल के सदस्यगण, साहित्यकार, गणमान्य नागरिक एवं विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधिगण उपस्थित थे।