मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् की पहली बैठक “विजन 2020-वे अहेड” बनेगा विकास का आधार
जयपुर, 10 अगस्त। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् की पहली बैठक के उद्घाटन सत्र में ’राजस्थान विजन 2020-वे अहेड (आगे की राह)’ को प्रदेश के विकास का आधार बताया। उन्होंने अपने प्रस्तुतीकरण के दौरान प्रदेश में पानी, बिजली, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना, पर्यटन, शहरी विकास, उद्योग, शिक्षा, आजीविका की मौजूदा स्थिति एवं भविष्य के विजन पर प्रकाश डाला तथा भामाशाह योजना पर विशेष फोकस किया।
रविवार को मुख्यमंत्री कार्यालय स्थित कान्फ्रेंस हाॅल में आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री ने प्रदेश में पानी की वर्तमान स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि 172 ब्लाॅक अतिदोहित हैं जिनमें पुनर्भरण से ज्यादा जल का दोहन हो रहा है। 24 ब्लाॅक क्रिटिकल श्रेणी में जबकि 20 ब्लाॅक सेमी क्रिटिकल श्रेणी में हैं। उन्होंने बताया कि 28 हजार से अधिक ढ़ाणियां पेयजल की दृष्टि से गुणवत्ता प्रभावित है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेयजल की स्थिति में सुधार के लिये फोर वाटर कनसेप्ट एवं नदियों को जोड़ने पर कार्य कर रही है।
श्रीमती राजे ने ऊर्जा की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की योजनाओं को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य सरकार मेगा सोलर पार्कों के विकास, ग्रीन एनर्जी ट्रान्समिशन सिस्टम विकास तथा पीपीपी मोड पर विद्युत आपूर्ति, विद्युत छीजत कम करने तथा अगले पांच वर्ष में 6 हजार 500 मेगावाट बिजली उत्पादन बढ़ाने जैसे लक्ष्य लेकर चल रही है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विद्युत आपूर्ति को मजबूत बनाया जायेगा। उन्होंने विद्युत उत्पादन, प्रसारण एवं वितरण में पीपीपी मोड़ की आवश्यकता बताई।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सड़क विकास के माॅडल एवं योजनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि पीपीपी मोड़ पर 20 हजार किलोमीटर सड़क निर्माण के लिये राजस्थान स्टेट हाइवे आॅथोरिटी का गठन किया गया है। साथ ही पूर्व-पश्चिम कोरिडोर के अंतर्गत 2 हजार किलोमीटर सड़क का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि 9 हजार 177 ग्राम पंचायत मुख्यालय पर ग्रामीण गौरव पथ बनाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि रोड़ सेफ्टी आॅडिट के साथ रोड़ सेफ्टी के लिये कार्य योजना तैयार की जायेगी।
श्रीमती राजे ने अपने प्रस्तुतीकरण में नगरीय विकास के परिदृश्य की चर्चा करते हुए कहा कि कस्बों एवं गांवों के विकास की योजना के तहत राज्य के 10 हजार से अधिक आबादी वाले 81 गांवों के लिये मास्टर प्लान बनाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में विभिन्न आय वर्ग के परिवारों के लिये 10 लाख मकानों की आवश्यकता है इसके लिये भी प्रयास होंगे। बड़े शहरों में ठोस कचरा निस्तारण को चुनौती बताते हुए कहा कि इसके लिये कार्य शुरू किया जा रहा है तथा कच्ची बस्तियों के समुचित विकास के लिये स्लम डवलपमेंट बोर्ड गठित होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली-मुम्बई इण्डस्ट्रियल कोरिडोर का 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से गुजरेगा जो कि प्रदेश के औद्योगिक विकास में नये आयाम स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार उद्यमिता को बढ़ावा देने के साथ कौशल विकास पर भी जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि आईआईएम अहमदाबाद के विशेषज्ञों की मदद से रीको द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों का विकास किया जा रहा है तथा प्रदेश में निवेश बढ़ाने के लिये उद्योगों को हर सुविधा प्रदान करने के लिये दूरगामी योजना पर कार्य शुरू कर दिया गया है।
श्रीमती राजे ने कहा कि प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये पर्यटकों को विश्व स्तरीय सुविधायें उपलब्ध कराने के साथ पर्यटक स्थलों के लिये बेहतर एवं व्यवस्थित आवागमन की सुविधा के लिये कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकार पुरामहत्त्व स्थलों के संरक्षण, धार्मिक पर्यटन स्थल सर्किट के विकास, हैण्डीक्राफ्ट्स को बढ़ावा देने की दिशा में भी ठोस कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिये गुणवत्तायुक्त शिक्षा जरूरी है। इसके लिये सरकार माॅडल स्कूल स्थापित करने के साथ स्कूलों का आधारभूत ढांचा सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही है। स्कूलों में नामांकित होने वाले बच्चे बीच में विद्यालय नहीं छोड़े इसके लिये ट्रान्सपोर्ट वाउचर जैसी योजना बनाकर कार्य किया जा रहा है। बालिका शिक्षा पर सरकार का विशेष जोर है। तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये पीपीपी मोड़ पर काॅलेजों खोलने की शुरूआत की जा रही है।
श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर उनके लिये अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजित करने का प्रयास कर रही है। इसके लिये देश की प्रतिष्ठित 40 एजेंसियों से सरकार के साथ एमओयू भी हो गया है जिसके तहत एक लाख युवाओं को प्रशिक्षित किया जायेगा। हमारे युवा दक्ष एवं प्रशिक्षित होंगे तो उनके लिये नौकरियों की कोई कमी नहीं होगी। सरकार का पांच वर्षों में 15 लाख युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि युवा उच्च शिक्षा, दक्षता प्रशिक्षण एवं नौकरी चाहते हैं। इसी को देखते हुए हमने पिछले कार्यकाल में आरमोल की स्थापना की थी। अब इस दिशा में राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम (आरएसएलडीसी) के द्वारा कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में रोजगार कार्यालयों को केरियर सेन्टर के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।
प्रदेश में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि चिकित्सकों की कमी पूरी करने के लिये प्रदेश में नये मेडिकल काॅलेज खोले गये हैं। उन्होंने कहा कि खुले में शौच से प्रदेश को मुक्त करना हमारी प्राथमिकता है। इसके लिये करीब 10 लाख टाॅयलेट बनाने की जरूरत है। सरकार इस दिशा में भी कार्य कर रही है।
भामाशाह योजना का जिक्र करते हुए श्रीमती राजे ने कहा कि महिला सशक्तीकरण पर आधारित यह योजना देश की पहली डाइरेक्ट कैश ट्रान्सफर स्कीम है, जिसे हमने अपने पिछले कार्यकाल में लान्च किया था। यह स्कीम राजनैतिक कारणों से आगे नहीं बढ़ पाई। उन्होंने आधार योजना से भामाशाह योजना का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसमें कई ऐसे विशिष्ट प्रावधान हैं, जो आधार योजना में नहीं हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार उचित मूल्य की दुकानों पर उपभोक्ताओं को राशन सामग्री के साथ उनकी आवश्ययकता की सामग्री भी वाजिब मूल्य पर उपलब्ध हो इसके लिये उन्हें अन्नपूर्णा भण्डार के रूप में विकसित करने के लिए सीधे उत्पादकों, बिग बाजार एवं मेट्रो जैसे संस्थानों से चर्चा कर रही है। चयनित दुकानों पर यह व्यवस्था 15 अगस्त से शुरू हो जायेगी।
मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् की इस बैठक के दौरान मंत्रिमंडल के सदस्यों, परिषद् के सदस्यों, विशेषज्ञों और प्रशासनिक अधिकारियों को स्वास्थ्य एवं पोषण; सीएसआर फंड्स के उपयोग से आधारभूत संरचना, निवेश एवं आर्थिक प्र्रगति; और शिक्षा, कौशल एवं आजीविका के तीन उपसमूहों में विभाजित किया गया। इन उपसमूहों की चर्चा के दौरान जो सुझाव आए उनका विस्तृत प्रस्तुतीकरण मुंख्यमंत्री के समक्ष दिया गया।
विनिर्माण क्षेत्र पर प्रस्तुतीकरण मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् के सदस्य श्री राजीव कुमार ने दिया। उन्होंने प्रस्तुतीकरण में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 12 प्रतिशत तक ले जाने, करों को तर्कसंगत बनाने, गैर पारंपरिक क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित करने, जैम्स एंड ज्वलैरी, इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर, सौर उपकरण और निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने सम्बंधी सुझाव दिए। इस प्रस्तुतीकरण के दौरान लैंड बैंक बनाने सहित विभिन्न भूमि सुधारों पर भी चर्चा हुई। प्रदेश में खनिज क्षेत्र में उपलब्ध संभावनाओं का दोहन करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय भागीदारी और कौशल विकास पर विचार विमर्श हुआ। कम लागत में घर बनाने की तकनीक, बायोटाॅयलेट्स और बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति को प्रोत्साहित करने सम्बंधी सुझाव इस समूह चर्चा के दौरान सामने आए। ऐसी योजना बनाने पर बल दिया गया, जिससे सीएसआर फंड्स का उपयोग पोषण एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने जैसे कार्यक्रमों में हो सके।
स्वास्थ्य एवं पोषण पर प्रस्तुतीकरण में किरण मजमूदार शाॅ ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच सुविधाएं बढ़ाने और टेलीमेडीसन को बढ़ावा देने पर बल दिया। उन्होंने माइक्रोहेल्थ इंश्योरेंस स्कीम को भामाशाह योजना से जोड़ने, चिकित्सा सेवाओं के लिए स्वास्थ्य कूपन जारी करने, महिलाओं और बच्चों को जरूरी पोषण उपलब्ध कराने के लिए सीएसआर के उपयोग, प्रस्तावित कैंसर स्पेशियलिटी हाॅस्पीटल में पीपीपी की संभावनाएं तलाशने, गांवों और छोटे कस्बों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए निजी उद्यमियों के माध्यम से आरओ संयंत्र स्थापित करने सम्बंधी सुझाव दिए।
शिक्षा, कौशल और आजीविका पर प्रस्तुतीकरण में श्री मनीष सब्बरवाल ने शिक्षा के अधिकार को संशोधित करने, उच्च शिक्षा के लिए ज्यादा बजट स्वीकृत करने, राज्य स्तर पर रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना, वोकेशनल विश्वविद्यालय की स्थापना करने सम्बंधी सुझाव दिए।
परिषद् के उपाध्यक्ष श्री अरविंद पानगडि़या ने अपने उद्बोधन में पर्यटन, विनिर्माण और शहरीकरण पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि राजस्थान को पर्यटन के क्षेत्र में विश्व पटल पर स्थापित किया जा सकता है। उपसमूहों की सिफारिशों के चर्चा के दौरान शिक्षा मंत्री श्री कालीचरण सराफ, कृषि मंत्री श्री प्रभुलाल सैनी, चिकित्सा मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़, ऊर्जा मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, सार्वजनिक निर्माण मंत्री श्री युनूस खान एवं मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि, विभिन्न विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव एवं सचिव सम्मिलित हुए।
बैठक में परिषद् के पूर्णकालिक सदस्य श्रीमती मीरा महर्षि, सदस्य श्री अजय एस. श्रीराम, श्री बिबेक देबराॅय, श्री हर्षवर्द्धन नेवटिया, किरण मजमूदार शाॅ, श्रीमती मालविका सिंह, श्री मनीष सब्बरवाल, श्री मोहनदास पाई, श्रीमती नैना लाल किदवई, श्री राजेश शाह, श्री उदय कोटक, श्री राजेन्द्र एस. पंवार, श्री राजीव कुमार ने शिरकत की। विशेष आमंत्रित सदस्यों आरएसएलडीसी के अध्यक्ष श्री एम. एल मेहता एवं वरिष्ठ चार्टेर्ड अकाउन्टेंट श्री पीपी पारीक ने चर्चा में हिस्सा लिया एवं सभी बिन्दुओं पर अपने महत्वपूर्ण सुझाव दिए।
