जनहित में सहयोगी भूमिका निभाएं कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि त्वरित न्याय एवं जनता की भलाई के लिए कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका परस्पर सहयोगी के रूप में भूमिका निभाएं।

श्रीमती राजे शनिवार को नेशनल लाॅ कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के तीनों स्तम्भ जनकल्याण के लिए मिलकर कार्य करेंगे, तो देश एवं प्रदेश तीव्र गति से उन्नति के पथ पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में कार्यपालिका एवं विधायिका द्वारा लिये गये फैसलों के साथ-साथ दूरदर्शी एवं सतर्क न्यायपालिका की भी अहम भूमिका रही है।

न्याय तंत्र की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के हरसंभव प्रयास

मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय एवं विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा विगत वर्षाें में दिये गये ऐतिहासिक फैसलों के माध्यम से देश के नीति-निर्माण एवं विकास को नई दिशा मिली है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रही है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि आगे भी न्याय तंत्र की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के हरसंभव प्रयास किये जायेंगे।

मई-जून में राजस्व लोक अदालतों का आयोजन

श्रीमती राजे ने कहा कि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके इसी उद्देश्य से राज्य सरकार ने 27 नये विशेष न्यायालय, 9 अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय, 4 नये न्यायिक मजिस्टेªट कोर्ट, 1 एडीजे कोर्ट एवं 5 एमएसीटी कोर्ट खोलने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि वर्षाें से लम्बित पडे़ राजस्व मामलों को निस्तारित करने के लिए मई-जून में राजस्व लोक अदालतों का आयोजन किया जायेगा।

अदालती मामलों की रिपोर्टिंग में संतुलन बरते मीडिया

मुख्यमंत्री ने इलेक्ट्रानिक मीडिया की सार्वभौमिक मौजूदगी को रेखांकित करते हुए कहा कि अदालती मामलों में मीडिया को निष्पक्ष रहते हुए अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। सम्पादकों व एंकर्स को मामले के विभिन्न पक्षकारों के बीच संतुलन बनाते हुए मीडिया ट्रायल से बचना चाहिए। किसी भी मामले में निर्णय मीडिया ट्रायल की बजाय मेरिट के आधार पर होने चाहिए।

नवाचारों को अपनायें

उद्घाटन सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस जे.एस. केहर ने कहा कि आज भी लोगों का न्यायपालिका में असीम विश्वास है। उन्होंने कहा कि न्याय प्रदान करना एक दैवीय कार्य है और इसके लिए उच्च स्तर की दक्षता जरूरी है।

जस्टिस केहर ने न्यायाधीशों एवं वकीलों का आह्वान किया कि वे मुकदमों के निस्तारण में देरी को कम करने के लिए नवाचारों को अपनायें। उन्होंने कहा कि लोगों को त्वरित न्याय मिल सके इसकी जिम्मेदारी सिर्फ न्यायालयों की ही नहीं, इसमें सरकार एवं समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि बार काउंसिल की भूमिका वकीलों के विशेषाधिकारों की रक्षा करने के साथ-साथ उनकी जिम्मेदारी तय करने में भी महत्वपूर्ण होती है।

न्याय के मानक बरकरार रहें

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुनील अम्बवानी ने कहा कि कानून में उभरती विधाओं ने न्यायपालिका के समक्ष कई तरह की चुनौतियां प्रस्तुत की हैं। त्वरित न्याय प्रदान करने में हमें इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि मुकदमों के निस्तारण के दौरान न्याय के मानक बरकरार रहें। उन्होंने कहा कि लोक अदालत जैसे न्याय प्रदान करने के नये तरीकों से गरीबों को मदद मिली है और इससे आपसी मनमुटाव के प्रकरणों का सौहार्दपूर्ण निस्तारण करने के रास्ते खुले हैं।

उद्घाटन सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एम.बी. लोकुर, वी.गोपाल गोड़ा, जस्टिस यू.यू. ललित, जस्टिस अमिताव राॅय, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस जी.एस. सिंघवी एवं बार काउंसिल आॅफ इण्डिया के अध्यक्ष श्री मनन कुमार मिश्रा भी उपस्थित थे।

प्रारम्भ में बार काउंसिल आॅफ राजस्थान के अध्यक्ष श्री अशोक मेहता एवं काॅन्फ्रेंस आयोजक श्री बीरी सिंह सिनसिनवार ने अतिथियों एवं अन्य गणमान्यजनों का स्वागत किया।

जयपुर, 18 अप्रैल 2015