संरक्षित वन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए जनभागीदारी अहम
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी संरक्षित वन क्षेत्रों की बेहतरी के लिए निरंतर प्रयासरत है, परन्तु इसमें जन भागीदारी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पर्यटकों को भी पर्यावरण प्रेमी और उसके संरक्षक का वाहक बनाया है।
श्रीमती राजे गुरूवार को नई दिल्ली के बीकानेर हाऊस में श्रीमती अंजली सिंह और श्री जयसल सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ’’जवाई-लैण्ड ऑफ द लेपर्ड‘‘ के लोकार्पण कार्यक्रम में बोल रही थीं।
मुख्यमंत्री ने ’जिम्मेदार पर्यटन‘ पर जोर देते हुए कहा कि पर्यटकों को न सिर्फ पर्यटक स्थलों का भ्रमण करना चाहिए। साथ ही वहां के प्राकृतिक पर्यावरण एवं जीव-जन्तुओं, पक्षियों की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी एवं उनकी निजता का ध्यान रखना चाहिए। इससे पर्यावरण एवं प्राकृतिक पर्यटन को बढ़ावा देने वाले पक्षियों, जानवरों की सुरक्षा एवं संरक्षण सुनिश्चित हो सकेगा।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान अपने समृद्ध इतिहास, रंग-बिरंगी कला-संस्कृति और हैरिटेज के साथ ही प्राकृतिक पर्यटन की दृष्टि से देश का महत्वपूर्ण राज्य है। राजस्थान में प्राकृतिक सांदर्य से सराबोर अरावली की पहाड़ियां, बाघों के लिए विश्व प्रसिद्ध रणथम्भौर एवं सरिस्का जैसे अभ्यारण्य के साथ-साथ पश्चिमी राजस्थान का विशाल रेगिस्तान में भी प्राकृतिक पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। राजस्थान की नदियां, पहाड़ियां एवं प्राकृतिक स्थल पर्यटन की दृष्टि से बेमिसाल हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चूरू जिले का ’’ताल छापर‘‘ अभ्यारण्य करीब 40 प्रकार के शिकारी पक्षियों की प्रजातियों का विशाल घर है। इसी प्रकार, चम्बल नदी में घड़ियालों एवं अरावली की पहाड़ियों में काले रीछों को भ्रमण करते आसानी से देखा जा सकता है।
श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में दो राष्ट्रीय पार्क एवं 23 अभ्यारण्यों सहित कुल क्षेत्रफल का करीब 3.5 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क में शामिल है। इस संरक्षित क्षेत्र का इकोलॉजिकल सेवाओं के संधारण, संरक्षण और पर्यटकों को आकर्षित कर स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप में आजीविका के अवसर पैदा हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान वैश्विक परिवेश में पर्यटन काफी तेजी से उभरता हुआ क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि पर्यटन न सिर्फ सरकार की आय का साधन है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रबंधन एवं योजना निर्माण, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जनचेतना बढ़ाने में भी योगदान देता है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं विशेषज्ञों की राय काफी महत्वपूर्ण है।
इस अवसर पर केन्द्रीय खेल एवं युवा मामलात राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री विजय गोयल, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री मणिशंकर अय्यर, डॉ. करण सिंह, विभिन्न राष्ट्रों के राजदूत, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित, केन्द्रीय गृह सचिव श्री राजीव महर्षि, राजस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण श्री निहाल चंद गोयल, राजस्थान की पर्यटन सचिव श्रीमती रोली सिंह, मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् की सदस्य श्रीमती मालविका सिंह और श्रीमती मीरा महर्षि, राजस्थान राज्य वन्य जीवन मण्डल के सदस्य श्री वाल्मिक थापर, श्री तेजवीर सिंह, श्रीमती संजना कपूर, श्री अंशू जैन सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे।
जयपुर, 22 सितम्बर 2016