आपदा राहत नियमों में शिथिलता प्रदान कर वास्तविक नुकसान के आधार पर सहायता देने का आग्रह

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने भारी ओलावृष्टि से प्रभावित प्रदेश के किसानों को अधिक राहत दिलाने के लिए केन्द्र सरकार से आपदा राहत कोष के नियमों (एसडीआरएफ) में संशोधन एवं शिथिलता प्रदान करने का आग्रह किया है। उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह को इस संबंध में पत्र लिखा है। जिसमें बेमौसम हुई वर्षा एवं ओलावृष्टि से किसानों को वास्तविक नुकसान के आधार पर कृषि-आदान अनुदान सहायता देने के मापदण्ड निर्धारित करने का आग्रह किया गया है। मुख्यमंत्री ने पशुधन की वास्तविक कुल क्षति संख्या के आधार पर ही सहायता राशि निर्धारित करने का अनुरोध किया है।

श्रीमती राजे ने पत्र में बताया कि एसडीआरएफ नियमों के तहत लघु एवं सीमान्त काश्तकारों से भिन्न काश्तकारों को 50 प्रतिशत से अधिक खराबा होने की स्थिति में प्रथम आपदा पर एक हैक्टेयर तथा लगातार दूसरी बार प्राकृतिक आपदा की स्थिति में दो हैक्टेयर तक कृषि आदान अनुदान सहायता प्रदान करने की सीमा निर्धारित की हुई है। मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया कि इस सीमा को बढ़ाये जाने की आवश्यकता है जिससे कि इस श्रेणी के काश्तकारों को पर्याप्त सहायता मिल सके।

मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक आपदा से दुधारू एवं गैरदुधारू पशुओं की क्षति होने पर पशुओं की संख्या एवं सहायता राशि की निर्धारित सीमा को भी बढ़ाने का अनुरोध किया है। उल्लेखनीय है कि एसडीआरएफ मानदण्डों में यह प्रावधान है कि बड़े दुधारू पशुओं जैसे – भैंस, गाय, ऊंट आदि की प्राकृतिक आपदा में क्षति होने पर एक पशुपालक को एक पशु तक ही सहायता देने की सीमा निर्धारित है। इसी प्रकार छोटे दुधारू पशु जैसे – भेड़, बकरी की क्षति होने पर चार पशुओं तक ही सहायता निर्धारित की हुई है। गैर दुधारू पशुओं की प्राकृतिक आपदा से क्षति होेने पर एक बड़े पशु एवं दो छोटे पशुओं तक ही सहायता उपलब्ध कराने की सीमा निर्धारित की हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कई काश्तकार एवं पशुपालक ऐसे हैं, जिन्हें ओलावृष्टि के कारण एक से अधिक बड़े पशुओं और 4 से अधिक छोटे पशुओं का नुकसान हुआ है। कई पशुपालकों को तो 150 से 200 भेड़-बकरियों की एक साथ क्षति हुई है, लेकिन वर्तमान मापदण्ड के अनुसार उन्हें अधिकतम 4 पशुओं की सीमा तक ही सहायता मिल पायेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सहायता पशुपालकों के लिए नगण्य मात्र है। अतः बड़े पशुओं की क्षति में भी सहायता सीमा को एक पशु तक सीमित करने के प्रावधान में शिथिलता दी जाए।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश में 28 फरवरी, 1 मार्च तथा 12 से 15 मार्च के दौरान हुई भयंकर ओलावृष्टि एवं बारिश से रबी की फसल को व्यापक पैमाने पर हुए नुकसान की ओर ध्यान दिलाते हुए पत्र में लिखा है कि इससे राज्य के 4 हजार 247 गांव प्रभावित हुए हंै। कई जिलों में तो फसलंे पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। जीरा, इसबगोल, गेहूं, चना, जौ, लहसुन, धनिया, सरसों एवं संतरे की फसलों को ओलावृष्टि से काफी नुकसान पहुंचा है। बिजली गिरने और अधिक वर्षा से मकान गिरने के कारण 25 व्यक्तियों की मृत्यु एवं बड़ी संख्या में पशुधन की क्षति हुई है। प्रदेश में करीब पांच हजार आवासीय मकान भी क्षतिग्रस्त हुए हैं।

जयपुर, 18 मार्च 2015