सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट: डेढ़ करोड़ महिलाओं को वित्तीय आजादी का तोहफा मुख्यमंत्री ने की देश की सबसे बड़ी महिला वित्तीय सशक्तीकरण की ’भामाशाह योजना’ लाॅन्च

उदयपुर, 15 अगस्त। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने शुक्रवार को मेवाड़ अंचल के उदयपुर शहर से देश में महिला वित्तीय सशक्तीकरण की सबसे बड़ी भामाशाह योजना का शुभारंभ किया, जो महिला आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में एक नये युग का सूत्रपात करेगी। श्रीमती राजे का यह ड्रीम प्रोजेक्ट देश की आजादी के पावन दिवस पर प्रदेश की करीब डेढ़ करोड़ महिलाओं के लिये ’वित्तीय आजादी’ का तोहफा है, जो उन्हें आर्थिक रूप से परिवार पर निर्भर रहने की मजबूरी से मुक्त करेगा। इसके माध्यम से सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ, इन्हीं बैंक खातों में जमा होंगे। यह योजना प्रदेश की नारी शक्ति को एकता के सूत्र में बांधकर आर्थिक अधिकार देने का प्रयास भी है, जिस पर सरकार इस वर्ष 600 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

इसअवसर पर मुख्यमंत्री ने लाभार्थी परिवार की महिला को दिये जाने वाला भामाशाह कार्ड जारी किया और उदयपुर की शांता बाई को पहला कार्ड सौंपा। उन्होंने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए कोटा शहर में प्रदेश के प्रथम भामाशाह नामांकन शिविर का भी उद्घाटन किया।

       इसलिये है भामाशाह योजना की देश में चर्चा

-> 28 फरवरी, 2008 को पिछली वसुन्धरा सरकार ने            भामाशाह योजना की घोषणा की।
-> 13 दिसम्बर, 2008 में राजस्थान में सरकार बदलते         ही भामाशाह योजना बंद।
-> यूपीए सरकार ने भामाशाह योजना की नकल कर               सितम्बर, 2010 में की आधार कार्ड योजना लाॅन्च।
-> 15 अगस्त, 2014 को फिर से वसुन्धरा सरकार ने की       भामाशाह योजना लाॅन्च।

मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित भामाशाह योजना लाॅन्चिग कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश पितृ सत्तात्मक प्रणाली पर सदियों से चलता आ रहा है। इस योजना के शुरू होने के बाद आज से राजस्थान में युगान्तरकारी परिवर्तन होने जा रहा है। अब राजस्थान मातृ सत्ता के सहारे भी आगे बढ़ेगा।

श्रीमती राजे ने कह कि शक्ति स्वरूपा बहनें स्वतंत्र भारत में आजादी की सांस तो ले रही हैं, लेकिन उन्हें आज भी सामाजिक उपेक्षा से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिल पाई है। महिला मुख्यमंत्री होने के नाते मैंने अपने पिछले कार्यकाल में पंचायत राज संस्थाओं और स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का देश में पहला निर्णय लिया था। यह अलग बात है कि पंचायती राज में तो आज भी आधे पदों पर नारी शक्ति बैठी है, लेकिन निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का मामला पिछली सरकार के समय अदालत में चला गया।

उन्होंने कहा कि इस योजना की परिकल्पना भी उनके पिछले शासनकाल में बहनों को ’पावर वूमन’ बनाने के उद्देश्य से ही की गई थी, लेकिन सरकार बदलने के साथ ही इस योजना को बंद कर दिया गया। जबकि उस वक्त हमारी सरकार ने इस योजना में 45 लाख 78 हजार महिलाओं का नामांकन कर, महिलाओं के 29 लाख 7 हजार बैंक खाते खुलवाकर, 160 करोड़ रुपये बैंकों में जमा करा दिये थे। करीब 8 हजार कार्ड भी वितरित कर दिये गये थे। श्रीमती राजे ने कहा कि राजस्थान में जिन लोगों ने महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने वाली इस योजना को बंद किया था, केन्द्र में उन्हीं की यूपीए सरकार ने हमारी इस योजना की नकल कर आधार कार्ड योजना शुरू की, जो कारगर नहीं हो सकी। योजना का आधार कार्ड केवल परिचय पत्र बनकर रह गया, जिसमें न तो वित्तीय समावेश था और न ही इसकी कोई बड़ी उपयोगिता।

उन्होंने कहा कि काफी सोच विचार के बाद हमने इस योजना को स्वतंत्रता दिवस पर मेवाड़ की पवित्र धरा से शुरू करने का निर्णय लिया, ताकि आजादी की सालगिरह के दिन को महिला स्वाभिमान दिवस के रूप में भी मनाया जाता रहे। मेवाड़ से यह योजना इसलिये लाॅन्च की गई, क्योंकि यहां पन्नाधाय, हाडी रानी और रानी पद्मिनी जैसी वीरांगनाओं ने नारी जाति का मस्तक गर्व से ऊंचा किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना में नामांकन के लिये 16 अगस्त से ग्राम पंचायत एवं शहरों में वार्ड स्तर पर शिविर आयोजित होंगे। राज्य स्तर पर एक केन्द्रीयकृत हैल्पलाइन भी स्थापित की गई है, जिसका टोल फ्री नम्बर 1800-180-6127 है।

उन्होंने कहा कि कुछ लोग प्रदेश का विकास रोकना चाहते हैं। ऐसे लोग भामाशाह योजना को भी न्यायालय में ले गये। हालांकि न्यायालय में महिलाओं के साथ न्याय हुआ। ये वे ही लोग हैं, जो हमारे पिछले कार्यकाल में भी विकास की राह में रोड़े अटकाते थे, लेकिन आपकी ताकत साथ है। इसलिये प्रदेश को देश के अग्रणी प्रदेशों में ले जाने का काम हम साथ मिलकर करेंगे।

समारोह में ग्रामीण विकास एवं पंचायत राजमंत्री श्री गुलाबचंद कटारिया, मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री सुभाषचन्द्र गर्ग, सूचना प्रौद्योगिकी सचिव श्री अखिल अरोड़ा भी मौजूद थे।