न्याय आपके द्वार शिविर के काम मोह रहे हैं ग्रामीणों का मन, 39 वर्ष बाद हक पाकर दमक उठा तेजराम का चेहरा
आम ग्रामीणों की भलाई और ग्राम्य विकास की बुनियाद को मजबूत करते हुए बहुआयामी तरक्की के सुनहरे आयाम स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर प्रदेश भर में आयोजित हो रहे राजस्व लोक अदालत – न्याय आपके द्वार शिविर में त्वरित गति से हो रहा कार्य सम्पादन ग्रामीणों का मन मोह रहा है।
इन शिविरों का लाभ पाने वाले ग्रामीणों के अनुसार आम जन को सुकूनदायी जिन्दगी प्रदान करने, ग्राम्य सौहार्द और शान्ति तथा तरक्की की दिशा में ये शिविर ऎतिहासिक हैं तथा ग्रामवासियों के लिए सरकार का वह वरदान है जिसे आने वाली पीढ़ियां भी भुला नहीं पाएंगी।
राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप राजसमन्द जिले में इन शिविरों का सुव्यस्थित तरीके से सफलतापूर्वक आयोजन कर बड़ी संख्या में ग्रामीणों को लाभान्वित किया जा रहा है। इन शिविरों में कई पुराने मामलों का हाथों-हाथ निस्तारण ग्रामीणों के लिए खासे सुकून की वृष्टि कर रहा है। अब तक बड़ी संख्या में ऎसे मामलों का निस्तारण किया गया है जो कई बरस पुराने थे। इनमें कई सारे माले पेचीदा और उलझे हुए भी सामने आए लेकिन शिविर प्रभारियों की समझाईश और आत्मीय व्यवहार का ही नतीजा है कि ये सारे मामले सुलझ गए और इनसे संबंधित वादी और प्रतिवादी अब संतोषजनक जीवन का आनंद पा रहे हैं।
इसी तरह का एक मामला राजसमन्द पंचायत समिति अन्तर्गत मोही गांव के अटल सेवा केन्द्र में हाल ही लगे न्याय आपके द्वार शिविर में सामने आया। इसमें मोही गांव के ही तेजराम ने शिविर प्रभारी, उपखण्ड अधिकारी श्री राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल के समक्ष आकर प्रार्थना पत्र दिया। इसमें तेजराम ने बताया उसके पिता की लगभग 40 वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है लेकिन अब उसका नाम पुश्तैनी खाते में अंकित नहीं हुआ है।
इस पर शिविर प्रभारी ने वस्तुस्थिति की जाँच करवाई । इसके अनुसार 17 नवम्बर 1978 को ग्राम मोही में 669 नम्बर का नामान्तरणकरण दर्ज किया। उस समय जगन्नाथ, भँवर, नाना, गोपीया पिता पेमा गाडरी के नाम दर्ज किए गए। उस समय तेजराम पाँच माह का शिशु होने के कारण उसका नाम रिकार्ड में अंकित होने से छूट गया था।
शिविर में तेजराम के अन्य भाई गोवर्धनलाल, भंवरलाल, नाना पिता पेमा और भैरूलाल पिता जगन्नाथ गाडरी ने तेजराम को पेमा का पुत्र होना स्वीकार किया। इस पर तत्काल उपखण्ड अधिकारी ने आदेश देकर तेजराम का नाम राजस्व अभिलेख में अंकित करवाया। इसमें तेजराम एक बटा पाँचवे हिस्से से कुल 4 बीघा में से 16 बिस्वे का खातेदार बना। उल्लेखनीय है कि तेजराम बहुत गरीब है तथा मोही बस स्टैण्ड एवं उसके आस-पास गन्ने के रस की लारी चलाकर पेट पालने में जुगाड़ में लगा हुआ है।
इसके बाद इसी खाते में गोदिया का नाम गोवर्धन शुद्ध कर राजस्व रिकार्ड में अंकित करवाया गया। इस प्रकार तेजराम पिता पेमा गाडरी 39 वर्ष बाद पैतृक सम्पत्ति में अपना हक प्राप्त कर बेहद खुश हो उठा। तेजराम के शब्दों में – सरकार ने घणो आच्छो काम कियो जो मनें म्हारों नाम मिल गयो। सभी रो भलो हो। जय हो सरकार की। तेजराम ने दोनों हाथ जोड़ कर व सिर नवा कर सभी का आभार जताया। शिविर में मौजूद ग्रामीणों ने भी सरकार की खूब प्रशंसा की।
शिविर में ग्रामीणों को 24 पट्टों का वितरण राजसमन्द पंचायत समिति के प्रधान ने किया। शिविर में उपखण्ड न्यायालय से संबंधित कुल 14 राजस्व मुकदमों का निस्तारण हुआ। इनमें 8 प्रकरण पूर्व से न्यायालय में विचाराधीन थे। इसके अलावा 21 भामाशाह कार्ड्स वितरण, 42 नामान्तरणकरण, 42 नकलें, 40 मरीजों को परामर्श व दवाई वितरण, 153 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण और 55 पशुओं के उपचार आदि के कार्य संपादित हुए।