बरसों के इंतजार के बाद मिला विरासती सम्पत्ति में हक
मेवाड़ के आदिवासी अंचलों में राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार शिविर काश्तकारों के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। इनमें ग्रामीणों के बरसों से लंबित कामों और प्रकरणों का निस्तारण लोक जीवन को सुकून दे रहा है वहीं सरकार के इस अभियान को व्यापक जनसमर्थन भी हासिल हो रहा है। ग्राम्यांचलों में होने वाले इन शिविरों में ग्रामीण समुदाय मुखर होकर राज्य सरकार की तारीफ करने नहीं अघाते।
कई ग्रामीणों की दशकों पुरानी इच्छाएं ये शिविर पूरी कर रहे हैं। उदयपुर जिले के सलूम्बर उपखण्ड क्षेत्र के बारा गांव निवासी धुला और काना के लिए उनके क्षेत्र बरोड़ा में लगा राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार शिविर वरदान साबित हुआ जब उनके नाम भी खातेदार के रूप में जोड़ कर खातेदारी अधिकार दिए गए।
बारा गांव के दो भाइयों धुला एवं काना मीणा के पिता लालू मीणा का 30 साल पहले स्वर्गवास हो गया। उस समय ये दोनों छोटे थे इसलिए विरासती इंतकाल इनके बड़े भाई के नाम से खोला गया। इसलिए धुला एवं काना का नाम विरासती सम्पत्ति के खाते में दर्ज नहीं हो पाया।
पिता की मौत के बाद दोनों भाई अपने नाम जुड़वाने के लिए खूब प्रयास करते रहे मगर सफलता हाथ नहीं लगी। इस वजह से इन्हें राजकीय एवं निजी कामों को करानेए ऋण पाने और दूसरे कई सारे कामों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
अपने क्षेत्र बरोड़ा में आयोजित शिविर में ये दोनों इस उम्मीद से पहुंचे कि अब कि बार तो उनका काम हो ही जाएगा। और हुआ भी ऎसा ही। दोनों बरोड़ा में लगे शिविर में पहुंचे और शिविर प्रभारीए सलुम्बर के उपखण्ड अधिकारी श्री नरेश बुनकर के सामने अपनी समस्या रखी। इस पर प्रभारी अधिकारी श्री बुनकर ने शिविर में ही दोनों से नाम जुड़वाने का प्रार्थना पत्र लियाए तहसीलदार से हाथों हाथ रिपोर्ट तैयार करवाई और राजस्व रेकार्ड मेंं नाम जुड़वा दिया। धुला एवं काना के लिए यह शिविर सरकार का वरदान साबित हुआ जिसने बरसों की आस को पूरी कर खुशी से भर दिया।
उदयपुर जिले के बारा गांव निवासी श्री धुला और श्री काना मीणा के पिताजी का 30 वर्ष पहले स्वर्गवास हो गया था। उस समय दोनो भाइयों की उम्र कम होने की वजह से विरासती इंतकाल इनके बड़े भाई के नाम से खोला गया। बहुत प्रयासों के बाद भी इन दोनों का नाम विरासती सम्पत्ति के खाते में दर्ज नहीं हो पाया। बरोड़ा में लगे राजस्व लोक अदालत के शिविर में दोनों ने अपनी समस्या रखी। प्रभारी अधिकारी ने त्वरित कार्यवाही करते हुए तहसीलदार से रिपोर्ट तैयार करवाई और राजस्व रिकॉर्ड में दोनो भाइयों का नाम जुड़वाया। श्री धुला और श्री काना के लिए यह शिविर वरदान साबित हुआ।
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