विपक्ष की नेता के रूप में

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विपक्ष नेता (2009-2010, 2011-2013)

2008 के चुनावों में BJP दल को 200 सदस्‍यीय राज्‍य विधान सभा में 78 सीटें मिलीं, कांग्रेस दल की 96 सीटों से केवल 18 सीटें कम। कांग्रेस दल ने संयुक्‍त सरकार बनाई एवं वसुंधरा राजे नेता प्रतिपक्ष चुनी गई परन्‍तु कुल समय पश्‍चात् मेरे दल अर्थात् भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उनकी महासचिव के रूप में कार्य करने के लिए आवश्‍यकता हुई एवं इस अवधि में वें दल के संगठनात्‍मक कार्यों को देख रही थी। 2011 के मार्च में वसुंधरा राजे BJP दल के विधायकों द्वारा विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष की तरह पुन: चुनी गई।

भारत में संसदीय प्रजातंत्र की परम्‍पराओं का निर्वाह करते हुए, वसुंधरा राजे एक तरफ BJP दल के विधायकों को सदन व सदन के बाहर जिम्‍मेदारी व शुचिता के साथ कार्य करने, विकास के फल जनता तक पहुंचाने के उद्देश्‍य से प्रशासन के दुर्शासन व अकर्मण्‍यता की घटनाओं पर निगेहबान की तरह कार्य करने तथा सभी सामाजिक वर्गों के लोगों से नियमित सम्‍पर्क स्‍थापित करने के लिए दिशानिर्देश देती रही हैं । नेता प्रतिपक्ष की उनकी भूमिका में वसुंधरा राजे संचार माध्‍यमों, जनता से सूचना एकत्रिकरण व सूचना का अधिकार अधिनियम जैसे उपबंध उनके हथियार हैं जो वह यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी उपयोग में लेती हैं कि उनकी सरकार द्वारा स्‍थापित विकास कार्ययोजना दिशाभ्रमित नहीं हो जाय एवं लोगों को परेशानी न हो। सत्‍ता में नहीं होने के अपने उत्‍तरदायित्‍व व वृहद् चुनौतियां हैं। जनता की समस्‍याओं को समझना व संवेदित होना तथा, परिस्थितियों में जहां तक सम्‍भव हो, उनके समाधान की दृष्टि से लगातार जन सम्‍पर्क में होना अत्‍यधिक महत्‍वपूर्ण है एवं वसुंधरा राजे तद्नुरूप अपने गुरुत्‍तर उत्‍तरदायित्‍व का निर्वहन कर रही हैं ।

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