प्रतिपक्ष का व्यवहार विधानसभा के इतिहास में काला अध्याय
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि विधानसभा में मंगलवार को प्रतिपक्ष का जो व्यवहार रहा, वह संसदीय परम्पराओं के प्रतिकूल था जो विधानसभा के इतिहास में काला अध्याय बन गया।
श्रीमती राजे ने कहा कि प्रतिपक्ष से आशा की जाती है कि वो सरकार के निर्णयों पर अपनी तर्कसंगत बहस के माध्यम से राजस्थान की जनता का ध्यान आकर्षित करे। राजस्थान की विधानसभा देश की उन चुनिंदा विधानसभाओं में से है जिसकी परम्परा देश के संसदीय इतिहास में गरिमापूर्ण स्थान पर है। यह वही विधानसभा है जहां से भैरोसिंह शेखावत जैसे व्यक्तित्व ने भारत के उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 4 दिन चली बहस में प्रतिपक्ष के नेता सहित 42 सदस्यों ने भाग लिया। मैंने प्रत्येक सदस्य द्वारा दिये गये सुझावों पर सकारात्मक दृष्टि से विचार भी किया परन्तु आज जो व्यवहार प्रतिपक्ष का रहा वह अत्यन्त खेदजनक है।
प्रतिपक्ष को लोकतंत्र के मजबूत पहिये के रूप में सम्मान देना चाहती हूं
श्रीमती राजे ने कहा कि मैं प्रतिपक्ष से अब भी रचनात्मक, सकारात्मक सहयोग की उम्मीद करती हूं तथा उन्हें लोकतंत्र के दूसरे मजबूत पहिये के रूप में पूरा सम्मान देना चाहती हूं। हम स्वस्थ परम्परा को आगे बढ़ाने में विश्वास रखते हैं।
जयपुर, 3 मार्च 2015