जल संकट के दीर्घकालीन समाधान के लिए नदियों को जोड़ना जरूरी
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि प्रदेश में जल संकट का दीर्घकालीन समाधान करने के लिए नदियों को आपस में जोड़ना महत्वपूर्ण कार्य है। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत प्रदेशभर में किए जा रहे वाटरशेड के काम भी इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए करवाए जा रहे हैं।
श्रीमती राजे शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन प्राधिकरण बैठक की अध्यक्षता कर रही थीं। उन्होंने पार्वती, कालीसिंध नदियों को बनास, गंभीर एवं परबती नदियों से जोड़ने के कार्य के प्रथम चरण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना के प्रथम चरण में राज्य के 11 जिले लाभान्वित होंगे और बाद में इसे पूरे राज्य में विस्तार दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि जल संसाधन विभाग राज्य के सभी नदी बेसिन, जलाशयों और बांधों का एकीकृत मानचित्र तैयार करे, जिसके आधार पर पेयजल तथा सिंचाई के लिए प्रस्तावित पानी के ग्रिड के निर्माण का कार्य शुरू किया जा सके।
श्रीमती राजे ने कहा कि नदी बेसिन और ग्रिड निर्माण योजना का उद्देश्य प्रदेश के जल संसाधनों का विभिन्न जरूरतों के लिए समुचित उपयोग करने तथा पानी की बर्बादी रोककर राजस्थान को जल स्वावलम्बी बनाना है। प्रदेश के नदी तंत्र को विकसित करने के लिए सभी नदियों के बेसिनों में अंदरूनी लिंकेज स्थापित किए जायेंगे। इसके बाद बेसिनों को आपस में जोड़कर राज्यव्यापी ग्रिड तैयार किया जाएगा। इस ग्रिड का विस्तार बाड़मेर तक होगा, जहां पर इसे डी-सेलिनेशन वाटर प्लांट के माध्यम से इसे समुद्री पानी से जोड़ने की योजना बनाई जायेगी।
बैठक में भारत सरकार के उपक्रम वापकोस लिमिटेड के सीएमडी श्री आर.के. गुप्ता ने इस परियोजना के समयबद्ध क्रियान्वयन में भागीदारी निभाने की बात कही। इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री डाॅ. राम प्रताप, राजस्थान नदी बेसिन और जल संसाधन प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री श्रीराम वेदिरे, शासन सचिव जल संसाधन श्री अजिताभ शर्मा, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
जयपुर, 26 फरवरी 2016