कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने के लिए जिले करेंगे प्रतिस्पर्धा

मुख्यमंत्री का पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने पर्यावरण स्वच्छता की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के सभी 33 जिलों के कलक्टर को निर्देश दिये हैं कि वे कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए जल्द कदम उठायें तथा पर्यावरण स्वच्छता की दिशा में कारगर पहल सुनिश्चित करें।

मुख्यमंत्री नेे राज्य के सभी जिलों को निर्देश दिये हैं कि वे कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने से सम्बंधित सभी क्षेत्रों जैसे शहरी कचरा प्रबंधन, पौधारोपण, जल संरक्षण, प्लास्टिक रिसाइक्लिंग व्यवस्था आदि को मजबूत करने के साथ-साथ सौर एवं पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने से सम्बंधित सभी पहलुओं पर निरंतर कारगर कदम उठायें।

राज्य सरकार द्वारा अपनाई जा रही ‘एक्ट लोकली टू इम्पैक्ट ग्लोबली’ रणनीति के तहत उठाये गये इस कदम से राज्य को हरा-भरा, स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, इससे ग्लोबल वाॅर्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा।

निगरानी कमेटी का गठन

राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव, पर्यावरण एवं वन की अध्यक्षता में ऊर्जा, परिवहन, शहरी विकास एवं उद्योग क्षेत्रा से जुड़े अधिकारियों एवं गैर अधिकारिक सदस्यों की एक कमेटी बनाने का निर्णय भी लिया है, जो जिलों द्वारा किये गये कार्बन उत्सर्जन कमी के प्रयासों की निगरानी करेगी। साथ ही, जिलों द्वारा कार्बन उत्सर्जन में कमी से सम्बन्धित कार्याें की तृतीय पक्ष ‘‘नाॅलेज पार्टनर’’ द्वारा रैंकिंग करवाई जाएगी। रैंकिंग में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिले को विश्व पर्यावरण दिवस-2016 पर अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा।

राज्य द्वारा उठाया गया यह महत्वपूर्ण कदम ‘पर्यावरण संरक्षण’ के लिए राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को और अधिक मजबूत करेगा, जिससे नागरिकों के लिए स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त वातावरण उपलब्ध करवाया जा सकेगा।

उल्लेखनीय है कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा निरंतर गंभीर प्रयास किये जा रहे हैं। राजस्थान में अभी तक 40 गीगावाट सोलर पाॅवर उत्पादन के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किये जा चुके हैं। यह राज्य द्वारा पूर्व निर्धारित 25 गीगावाट के लक्ष्य से अधिक है तथा इससे भारत सरकार द्वारा निर्धारित कार्बन रिडक्शन के लक्ष्यों की प्राप्ति में भी सहायता मिलेगी।

ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार वन संरक्षण की दिशा में प्राथमिकता आधारित रणनीति से कार्य कर रही है। प्रदेश ने जे.आई.सी.ए./जे.बी.आई.सी के अनुदान से संचालित वन संरक्षण परियोजनाओं एवं वानिकी सरंक्षण कार्यक्रमों में पिछले दो दशकों के दौरान बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

जयपुर/नई दिल्ली, 8 दिसम्बर 2015