काली सिंध तथा छबड़ा की 8 इकाइयों का होगा विनिवेश घाटा कम होगा, उपभोक्तओं को मिलेगी राहत

राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में महत्त्वपूर्ण निर्णय

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में सम्पन्न हुई राज्य मंत्रिमण्डल बैठक में विद्युत उत्पादन कम्पनियों को घाटे से उबारने तथा आम उपभोक्ताओं को वाजिब दर पर बिजली सुलभ करवाने के उद्देश्य से काली सिंध तथा छबड़ा की कुल आठ इकाइयों का विनिवेश करने की सैद्धान्तिक सहमति दी गई। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की जाएगी तथा उन्हें सेवा से पृथक नहीं किया जाएगा।

संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने मीडिया को कैबिनेट के महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि काली सिंध थर्मल पावर प्लांट की 600 मेगावाट की दो परिचालित इकाइयों के साथ ही छबड़ा थर्मल पाॅवर प्लान्ट की 250 मेगावाट की चार परिचालित और 660 मेगावाट की दो निर्माणाधीन इकाइयों को प्रतिस्पर्धात्मक खुली निविदा प्रक्रिया के तहत विनिवेश करने की सैद्धान्तिक सहमति दी गई। उन्होंने बताया कि विनिवेश प्रक्रिया को सम्पादित करने के लिए सलाहकार की नियुक्ति की जायेगी। काली सिंध में दो 660 मेगावाट की इकाइयां भी निजी क्षेत्र में लगाने के प्रस्ताव का सैद्धांतिक अनुमोदन किया गया।

श्री राठौड़ ने बताया कि कालीसिंध की दो इकाइयों को टेरिफ बेस्ड बिडिंग के आधार पर स्थापित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कालीसिंध की इन परिचालित इकाइयों में वर्ष 2014-15 में 524 करोड़ रुपये का घाटा हुआ तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष में 514 करोड़ रुपये का घाटा संभावित है। घाटे का प्रमुख कारण इकाइयों की उपलब्धता फैक्टर तथा स्टेशन हीट रेट के मापदण्डों के अनुरूप उत्पादन नहीं होना है। विनिवेश से इस घाटे पर विराम लगेगा, साथ ही विद्युत उपभोक्तओं को कम दरों पर आपूर्ति की संभावना बनेगी। इस विनिवेश प्रक्रिया से 7 हजार 434 करोड़ रुपये के पूंजीगत ऋण कम होंगे तथा सरकार को 721 करोड़ रुपये नकद प्राप्त होने की संभावना है।

संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि इसी प्रकार छबड़ा थर्मल प्लान्ट की 250 मेगावाट की 4 संचालित एवं 660 मेगावाट की दो निर्माणाधीन इकाइयों का विनिवेश एनटीपीसी के साथ डायरेक्ट नेगोसिएशन रूट या प्रतिस्पर्धात्मक खुली निविदा प्रक्रिया के तहत करने की भी सैद्धान्तिक स्वीकृति मंत्रिमण्डल ने दी है। उन्होंने बताया कि छबड़ा पाॅवर प्लान्ट की इन संचालित इकाइयों का वर्ष 2014-15 में घाटा 499 करोड़ रुपये तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष में 633 करोड़ रुपये का घाटा संभावित है। इन इकाइयों के विनिवेश से राज्य सरकार को 1284 करोड़ रुपये नकद मिलना संभावित है। साथ ही दोनों निर्माणाधीन इकाइयों के विनिवेश से राज्य सरकार को 852 करोड़ रुपये की अंश पूंजी तथा ऋण राशि 3 हजार 189 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं करना पडेगा।

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की समीक्षा

संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की भी समीक्षा की गई। अभियान के तहत 295 ब्लाॅक में कुल एक लाख 74 हजार 354 कार्य चिन्हित किए गए है। इनमें से 3 हजार 529 गांवों में 22 हजार 131 कार्य शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जनसहयोग के माध्यम से करीब 12 करोड़ रुपये के कार्य शुरू किए गए है। साथ ही सेना, पुलिस तथा मीडिया के सहयोग से 165 लाख रुपये के कार्य शुरू किए गए है।

जयपुर, 23 फरवरी 2016