ओलम्पिक पदक विजेता, एशियाड एवं कॉमनवैल्थ के स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ियों को राज्य सेवा में मिलेगी सीधी नियुक्ति

राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में बुधवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में ओलम्पिक, कॉमनवैल्थ, एशियाड़, पैरालिम्पिक, विश्व चैम्पियनशिप एवं राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पदक जीतने पर सीधे सरकारी नौकरी में नियुक्ति देने सहित कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्रिमण्डल की बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि मंत्रिमण्डल ने मुख्यमंत्री की वर्ष 2016-17 की बजट घोषणा के अनुरूप ‘राजस्थान आउट ऑफ टर्न अपॉइन्टमेंट टू स्पोर्ट्स मेडल विनर्स रूल्स-2017‘ का अनुमोदन किया है। अब राज्य सरकार ओलम्पिक के पदक विजेताओं, एशियाड एवं कॉमनवैल्थ खेलों के स्वर्ण पदक विजेताओं को राज्य सरकार आरएएस, आरपीएस सहित राज्य सेवा में सीधी नियुक्ति देगी। एशियाड एवं कॉमनवैल्थ खेलों में रजत एवं कांस्य पदक विजेता, राजस्थान खेल अधिनियम से मान्यता प्राप्त अथवा ओलम्पिक एवं एशियाड में शामिल खेलों के विश्वकप अथवा विश्व चैम्पियनशिप में विजेता एवं उपविजेता, एशियाई एथलेटिक्स चैम्पियनशिप एवं कॉमनवैल्थ खेलों में पदक विजेता, विजेता एवं उपविजेताओं, ओलम्पिक खेलों में क्वालिफाई कर हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों एवं पैरालिम्पिक्स के पदक विजेता खिलाड़ियों को अधीनस्थ सेवाओं में सीधे नियुक्ति मिलेगी। राष्ट्रीय खेलों में सीनियर वर्ग में पदक विजेता, राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में पदक विजेता, विजेता एवं उपविजेता खिलाड़ियों एवं पैरालिम्पिक्स में क्वालिफाई कर हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों को मंत्रालयिक सेवाओं में नियुक्ति दी जाएगी।

श्री राठौड़ ने बताया कि नियुक्ति के लिए पात्र खिलाड़ियों को पदक जीतने अथवा उपलब्धि हासिल करने के तीन वर्ष के भीतर आवेदन करना होगा। चयन के लिए उम्र की बाध्यता नहीं होगी। नियुक्ति प्राप्त करने वाले खिलाड़ी को सम्बन्धित पद के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यताएं पांच वर्ष में पूरी करनी होंगी।

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि राज्य में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने कॉलेज ऑफ फिजीशियन/सर्जन मुम्बई से अनुबंध किया है, जिसके तहत राज्य के चयनित चिकित्सा संस्थानों में चिकित्सकों को विभिन्न विषयां में दो वर्षीय डिप्लोमा एवं तीन वर्षीय फैलोशिप पाठ्यक्रम करवा जा सकेंगे। इन संस्थानों में ऐसे 21 डिप्लोमा एवं 5 फैलोशिप पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे। इन पाठ्यक्रमों में कुल 266 सीटें होंगी, जिनमें से 50 प्रतिशत सेवारत चिकित्सकों एवं 50 गैर सेवारत चिकित्सकों के लिए होंगी। चयनित चिकित्सकों के अंतिम परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उनके डिप्लोमा एवं फैलोशिप प्रमाणपत्र निदेशक (जन स्वास्थ्य) के कार्यालय में तीन साल तक जमा रहेंगे। इन चिकित्सकों को तीन साल तक राजस्थान सरकार के सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देना बाध्यकारी होगा।

श्री राठौड़ ने बताया कि चारागाह भूमियों के संरक्षण के उद्देश्य से बड़ा कदम उठाते हुए राजस्थान काश्तकारी (सरकारी) नियम 1955 के नियम 7 को संशोधित करने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया। इसके अनुसार चारागाह भूमि खनन कार्य के लिए उपयोग में तभी ली जा सकेगी, जब उतनी ही खातेदारी भूमि चारागाह की एवज में खनन कार्य करने वाले व्यक्ति अथवा फर्म के द्वारा सरकार को चारागाह हेतु समर्पित की जाएगी। ऐसी समर्पित कराई गई भूमि पर चारागाह विकसित करने हेतु पंचायत को 50 हजार रुपये प्रतिबीघा की दर से राशि भी उपलब्ध करानी होगी। इस राशि का उपयोग पंचायत द्वारा चारागाह विकास के लिए किया जाएगा। राज्य सरकार के इस कदम से चारागाह भूमि अक्षुण्ण रहेगी एवं चारागाह क्षेत्र में कमी नहीं आएगी।

संसदीय कार्यमंत्री ने बताया कि मंत्रिमण्डल की बैठक में 24 से 26 मई तक कोटा में संभागीय स्तर पर आयोजित होने वाले ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) में 27 हजार किसानों का पंजीकरण हो चुका है। ग्राम में 32 सेमीनार होंगे और 86 कृषि विशेषज्ञ किसानों को आमदनी बढ़ाने और उपज बढ़ाने के तरीकों की जानकारी देंगे। ग्राम में नीदरलैण्ड, मोरक्को सहित चार देशों के प्रतिनिधि आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री ने ग्राम के सफल आयोजन के लिए सभी तैयारियां पूरी रखने के निर्देश दिए।

श्री राठौड़ ने बताया कि बैठक में न्याय आपके द्वार अभियान के पहले सप्ताह में हुई प्रगति पर संतोष जाहिर किया गया। अभियान में अभी तक 1620 कैम्प आयोजित कर 1,84,322 प्रकरण निस्तारित किए गए हैं, जिनमें 723 रास्ते से सम्बन्धित थे।

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री शहरी जनकल्याण शिविर में कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों का नियमन के लिए पहले 1999 की कटऑफ निर्धारित थी जिसे अब 2 मई, 2012 तक कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि शहरी जनकल्याण शिविरों में अब तक 3088 पट्टे जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने इन शिविरों में कार्य की गति और बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

श्री राठौड़ ने बताया कि बैठक में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण पट्टा वितरण अभियान की समीक्षा की गई। अभियान के तहत 3245 ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर अब तक 1 लाख 13 हजार 798 पट्टे जारी किए गए हैं तथा 1 लाख 59 हजार 678 पट्टे प्रक्रियाधीन हैं। राजस्थान पंचायती राज नियम-1996 के नियम 157(1) में संशोधन कर पुराने घरों को विनियमित कर पट्टे देने के लिए कटऑफ वर्ष 1996 से बढ़ाकर 31 दिसम्बर, 2016 की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी विस्तार के लिए भूमि सेट अपार्ट की जिला कलक्टर की शक्तियां उपखण्ड अधिकारी को प्रत्यायोजित की गई है।

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि सुराज संकल्प के निर्णय के अनुरूप गठित राजस्थान केशकला बोर्ड का का अनुमोदन भी मंत्रिमण्डल की बैठक में किया गया।

जयपुर, 17 मई 2017