प्रकृति की आराधना का उत्सव-पोंगल
जयपुर, 14 जनवरी। सभी प्रदेशवासियों को पोंगल की बधाई एवं शुभकामनाएं। पोंगल वस्तुतः प्रकृति की आराधना का उत्सव है। नई फसल के आगमन की खुशी में भोगी पोंगल, सूर्य पोंगल, मट्टू पोंगल और केनू पोंगल के नाम से चार दिन तक मनाया जाने वाला यह त्योहार तिरूवल्लूर, अय्यप्पा, सूर्य, इंद्र और शंकर जी के बैल को समर्पित होता है। ये सभी कृषि, अर्थव्यवस्था और सम्पन्नता के प्रतीक हैं।
मलयाली समाज की मान्यता है कि भगवान अय्यप्पा को नया धान पसन्द होता है। इसलिए उन्हें नए चावल से बने पकवान भोग लगाए जाते हैं।
पोंगल हमें किसानों और कृषि कार्याें में काम आने वाले सभी संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करने तथा परिवार और रिश्तेदारों के साथ नई फसल से मिली सम्पन्नता का आनन्द उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।