सौर ऊर्जा नीति-2014: माननीया मुख्यमंत्री महोदया के भाषण के मुख्य बिन्दु
नीति का मुख्य उद्देश्य: राज्य सरकार की 2014-15 की बजट घोषणा के अनुसरण में प्रदेश में 25000 मेगावाॅट की सौर ऊर्जा क्षमता की स्थापना को मूर्तरूप प्रदान किए जाने हेतु ‘‘राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2014‘‘ जारी की जा रही है।
कृषकों एवं ग्रामीणों को लाभ:
- राजस्थान काष्तकारी अधिनियम एवं राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम में संषोधन कर खातेदारों को अपनी कृषि भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने अथवा इस प्रयोजन हेतु इसे लीज पर देने के अधिकार प्रदान किये जा रहे हैं। साथ ही सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना हेतु भूमि का भू-रूपान्तरण करवाया जाना भी आवश्यक नहीं होगा।
- कृषकों द्वारा अपनी भूमि को सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना हेतु उपयोग करने अथवा इस प्रयोजन हेतु लीज पर देने के कारण अन्य कृषि उत्पादों की तरह भूमि से नियमित आय प्राप्त होगी, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
- अब तक प्रदेशमें लगभग 15,000 सोलर वाॅटर पम्पस स्थापित किए गए हैं। सिंचाई हेतु सोलर वाॅटर पम्प योजना को प्रोत्साहित करने के उद्देष्य से 2014-15 के बजट में रूपये 119 करोड़ का प्रावधान राज्य मद से किया गया है।
- दूरदराज के गांवों/ढाणियों में बिजली उपलब्ध कराने के लिए Local Solar Grid, Stand alone Solar System एवं Smart Grid System प्रणाली द्वारा विद्युत आपूर्ति को प्रोत्साहन प्रदान किये जाने हेतु 100 करोड़ रूपये का प्रावधान राज्य बजट 2014-15 में किया गया है।
विकासकर्ताओं को लाभ:
- इस नीति के अन्तर्गत विकासकर्ता निजी भूमि पर भी सोलर पार्क स्थापित कर सकंगे एवं सोलर पार्क विकासकर्ताओं द्वारा सौर ऊर्जा उत्पादकों को भूमि सब लीज करने के अधिकार भी होंगे।
- इस नीति के तहत सरकारी क्षेत्र में सोलर पार्क की स्थापना के साथ-साथ निजी क्षेत्र तथा पब्लिक प्राईवेट पार्टनरषिप से भी सोलर पार्क स्थापित किया जाना संभव हो सकेगा। जोइंट वेंचर(J.V.) कम्पनियों के माध्यम से स्थापित किये जाने वाले सोलर पाक्र्स में राज्य सरकार की 50 प्रतिषत तक अंषधारिता हो सकेगी।
सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना की प्रक्रिया का सरलीकरण:
- इस नीति में सौर ऊर्जा विद्युत परियोजनाओं की स्थापना की प्रक्रिया का सरलीकरण किया गया है, जिसके तहत 10 मेगावाॅट क्षमता तक की सौर ऊर्जा परियोजनाओं की अन्तिम स्वीकृति ऊर्जा सचिव की अध्यक्षता में गठित राज्य स्तरीय स्क्रीनिंग समिति एवं मेगा सोलर पाॅवर परियोजनाओं (500 मेगावाॅट या उससे अधिक) के लिये फास्ट ट्रेक अनुमोदन मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली स्टेट लेवल एम्पावर्ड कमेटी द्वारा किया जावेगा।
- 20 मेगावाॅट से अधिक क्षमता की सौर परियोजनाओं हेतु राज्य स्तरीय समन्वयक को नामित करने का प्रावधान इस नीति में किया गया है।
- राज्य प्रदूषण मंडल द्वारा सौर ऊर्जा संयंत्रों को हरित श्रेणी (Green Category) में रखा गया है। राज्य प्रदूषण मंडल से सोलर प्लांट ’’स्थापित करने की सहमति’’ तथा प्लांट ’’संचालित करने की सहमति’’का सरलीकरण करते हुए इसे 15 दिवस में जारी करने का प्रावधान किया गया है।
रियायतें/छूट/प्रोत्साहन:
- राजस्थान औद्योगिक प्रोत्साहन योजना (RIPS) के तहत उपलब्ध छूट/लाभ इन सोलर पाॅवर परियोजनाओं को भी उपलब्ध होंगे।
- सौर ऊर्जा उत्पादकों से रजिस्ट्रेषन/प्रोसेसिंग फीस 50 हजार प्रति मेगा वाॅट निर्धारित की गई है, जो किसी भी परियाजना के लिये अधिकतम 30 लाख रूपये होगी।
- पात्रता के लिए निर्धारित नैटवर्थ राषि 3 करोड़ रुपये प्रति मेगावाॅट से घटाकर 1 करोड़ रुपये प्रति मेगावाॅट की गई है।
- परियोजना की अमानत राषि 25 लाख रुपये से घटाकर 10 लाख रुपये प्रति मेगावाॅट की गई है।Roof Top संयंत्रों से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा:
सौर ऊर्जा आधारित Roof Top संयंत्रों से विद्युत उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु Net Metering योजना प्रस्तावित।