शिक्षा में गुणवत्ता बढ़ाना सरकार की प्राथमिकता

जयपुर, 11 जून। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि प्रदेश को विकास की ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बेहद जरूरी है। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाते हुए, गुणवत्ता को बढ़ाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने शिक्षा में ’’रिफाॅम्र्स’’ पर बल देते हुए कहा कि हमें अपने मानव संसाधनों का न्यायसंगत तरीके से पूरा उपयोग करना होगा, तभी हम शिक्षा में देश के अग्रणी राज्यों से प्रतिस्पद्र्धा करते हुए राजस्थान को अव्वल बना सकेंगे।

श्रीमती राजे बुधवार को यहां हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशासन संस्थान में शिक्षा पर ’’चैलेंजेज एण्ड स्ट्रेटेजीजः न्यू ऐरियाज आॅफ इनोवेशन’’ के विषय पर आयोजित विशेष कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रही थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भरतपुर सम्भाग में ’’सरकार आपके द्वार’’ कार्यक्रम में विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बच्चे न तो पहाड़े ढंग से सुना पा रहे थे और न ही हिन्दी ठीक से पढ़़ पा रहे थे। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो हम राज्य में निवेश और प्रदेश को आगे ले जाने की बात करते हैं वहीं दूसरी ओर हमारे स्कूलों की स्थिति ऐसी है, जो चिन्ताजनक है।

ग्लोबल सिटीजन बनाने का प्रयास
श्रीमती राजे ने कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में हमने अंग्रेजी पढ़ाने वालों को प्रोत्साहित किया था। इसका उद्देश्य था कि हम अपने बच्चों को बेहतर विकल्प दें और उन्हें ’’ग्लोबल सिटीजन’’ बनने का अवसर प्रदान करें। ताकि वे दुनिया में चुनौतियों के हर स्तर पर अपनी जगह खुद बना सके। उन्होंने कहा कि हमारे गत कार्यकाल में ’’मिड-डे-मील’’ सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम था, हमारी सरकार ने बच्चों को स्कूल से जोड़ने और उन्हें इस कार्यक्रम के जरिये पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिये पीपीपी के आधार पर करार किये। लेकिन अब यह कार्यक्रम भी पटरी से उतर गया है, हम इसे फिर मजबूत बनाने को प्रतिबद्ध है।

महिला साक्षरता पर जताई चिन्ता
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 65 लाख स्कूली बच्चों की शिक्षा पर प्रतिवर्ष 16 हजार करोड़ रूपये खर्च होते हैं। इस प्रकार प्रत्येक बच्चे पर सालाना करीब 25 हजार रूपये के व्यय के बावजूद राज्य में शिक्षा के पैरामीटर्स में कोई सुधार नहीं आया है। उन्होंने कहा कि देश के सामने आज शिक्षा और रोजगार दो मुख्य विषय हैं। देश का युवक अच्छी शिक्षा और रोजगार चाहता है, हमें इन पर गम्भीरता से ध्यान देना होगा। उन्होंने प्रदेश में महिला साक्षरता के घटते स्तर पर भी चिन्ता व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब हम सरकार में आये तो आरटीईटी के कई मुकदमें लम्बित थे। राज्य सरकार ने अब शिक्षकों की भर्ती के लिये एक ही परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया है।

शिक्षा प्रगति की एक मात्र धुरी
ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया ने कहा कि किसी भी राज्य के लिये शिक्षा प्रगति की एकमात्र धुुरी है। उन्होंने शिक्षकों की स्थानांतरण नीति में परफोरमेंस को आधार बनाने, स्कूलों में खेलकूद को बढ़ावा देने तथा विद्यालयों के प्रभावी निरीक्षण पर विचार रखे और शिक्षा व्यवस्था को ठीक करने के लिये कठोरता से प्रयास करने की आवश्यकता जताई।

समानीकरण की नीति पर होगा काम
शिक्षा मंत्री श्री कालीचरण सराफ ने कहा कि प्रदेश की स्कूलों में छात्र-शिक्षक अनुपात में संतुलन के लिये सरकार ने समानीकरण की नीति पर कार्य करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 8वीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिये बोर्ड की वैकल्पिक परीक्षा लेना तय किया है, जिसके लिये 1 लाख 80 हजार आवेदन प्राप्त हुए हैं।

सुझावों पर विचार के लिए तीन कमेटियां
कान्फ्रेंस के दौरान प्राप्त सुझावों पर विचार-विमर्श के लिये स्कूली शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा तथा उच्च शिक्षा से संबंधित तीन कमेटियां गठित की गई हैं। पूर्व में प्राप्त सुझावों पर भी कमेटी विचार विमर्श करेगी। कान्फ्रेंस में बताया गया कि शिक्षा में सुधार के लिये आमजन और शिक्षाविद् अपने सुझाव डाक द्वारा एवं शिक्षा विभाग की वेबसाइट के माध्यम से भी भेज सकते हैं।

ये हुए प्रस्तुतीकरण
कान्फ्रेंस में अतिरिक्त मुख्य सचिव स्कूल शिक्षा श्री श्याम एस.अग्रवाल ने राज्य में शिक्षा के परिदृश्य पर प्रस्तुतीकरण दिया। साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव महिला एवं बाल विकास गुरजोत कौर ने बाल विकास, श्रम विभाग के शासन सचिव श्री रजत मिश्र ने व्यावसायिक शिक्षा एवं ग्रामीण एवं पंचायतीराज विभाग के आयुक्त श्री राजेश यादव ने मिड-डे-मील पर प्रस्तुतीकरण दिये।

अन्त में मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री श्रीमत पाण्डेय, शिक्षाविद, शासन सचिव, स्कूल शिक्षा श्री नरेश पाल गंगवार, शिक्षा विभाग के अधिकारी् और स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।