सामाजिक समरसता को बरकरार रखते हुए सरकार गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध

राज्य सरकार ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार विशेष पिछड़ा वर्ग को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के अपने संकल्प के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन 21 प्रतिशत के अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में से 4 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना सामाजिक समरसता के प्रतिकूल होगा। सरकार के प्रतिनिधियों के साथ सचिवालय में गुर्जर नेताओं से बुधवार को हुई वार्ता में भी यही पक्ष रखा गया तथा इस पत्र की प्रतियां गुर्जर नेताओं को सौंपी। वार्ता में संसदीय कार्यमंत्री राजेन्द्र राठौड़, समाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री अरूण चतुर्वेदी, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री हेम सिंह भडाना एवम् वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

पत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि राज्य सरकार राजस्थान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, विशेष पिछड़ा वर्ग और आर्थिक पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) अधिनियम 2008 की मूल भावना के अनुरूप गुर्जर आरक्षण पर विचार करने के लिए संकल्पबद्ध है।

50 प्रतिशत से अधिक भी दिया जा सकता है आरक्षण

राज्य सरकार की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि संविधान की धारा 16 (4) ए तथा 16 (4) बी के प्रावधानों के अनुसार 50 प्रतिशत के आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करते हुए भी आरक्षण दिया जा सकता है। इन्द्रा साहनी बनाम केन्द्र सरकार मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार राज्य सरकार विशेष पिछड़ा वर्ग को 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लघंन करते हुए भी आरक्षण दे सकती है।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि वर्तमान में भी विशेष पिछड़ा वर्ग को एक प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिल रहा है और शेष 4 प्रतिशत पदों के आरक्षण का लाभ दिलवाने के लिए कार्मिक विभाग द्वारा पहले ही उचित आदेश जारी किए जा चुके हैं। उक्त आरक्षण अनारक्षित पदों एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के पदों के विरूद्ध प्राप्त होने वाले लाभ के अलावा है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मिल रहे एसबीसी के एक प्रतिशत आरक्षण के प्रावधान से अब तक करीब 2000 लोगों को नियुक्तियां मिल चुकी है।

यह था भाजपा का संकल्प पत्र

राज्य सरकार ने भाजपा के संकल्प पत्र को नीतिगत दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया है। जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि विशेष पिछडा वर्ग में सम्मिलित गुर्जर, राईका, रेबारी (देवासी), बंजारा, बालदिया, लबाना, गाडि़या लुहार व गाडोलिया जातियों की विशेष पिछड़ा वर्ग आरक्षण की सभी संवैधानिक बाधाएं दूर कर 5 प्रतिशत आरक्षण लागू करने तथा संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए आवश्यक वैधानिक कार्यवाही की जायेगी।

न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ा है ठोस विकल्प का मार्ग

पत्र में कहा गया है कि अधिनियम 2008 उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। इस अधिनियम के ठोस विकल्प का मार्ग भी न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है।

पूर्व में सहमत थे, अब क्यों नहीं

पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार द्वारा 30 नवम्बर, 2012 को निर्णय लिया गया था कि वर्तमान में उपलब्ध 49 प्रतिशत के आरक्षण के अतिरिक्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर गुर्जर समेत विशेष पिछड़ी पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण 2008 अधिनियम के अनुसार दिया जाए। इस आयोग के समक्ष गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा न केवल अपना पक्ष रखा गया बल्कि आयोग की कार्यवाही में सक्रिय भागीदारी भी निभाई गई।

पत्र में गुर्जर नेताओं को पुनः सचिवालय में वार्ता के लिए तारीख एवं समय तय कर राज्य सरकार को सूचित करने का आग्रह किया गया है।

जयपुर, 27 मई 2015