न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका एवं मीडिया में प्रभावी समन्वय की जरूरत

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि समाज के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण में न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका तथा मीडिया के प्रभावी समन्वय की आवश्यकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि ज्यूडिशियल एकेडमी के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को पुलिस और प्रशासनिक अकादमियों के साथ भी जोड़ा जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री रविवार को जोधपुर में राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी द्वारा आयोजित ‘डिस्ट्रिक्ट जज काडर आफिसर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर बोल रही थीं। ‘क्रिमिनल जस्टिस डिलिवरी सिस्टम एंड रोल अॅाफ ट्रायल जजेज’ थीम पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि समाज के सभी अंग न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका एवं मीडिया समन्वित भावना से कार्य करेंगे, तो हम सुशासन को त्वरित रूप से दे पाएंगे। इससे नागरिकों में भी सुरक्षा की भावना भी बढ़ेगी।

श्रीमती राजे ने सुझाव दिया कि राजस्थान राज्य न्यायिक अकादमी अपने प्रशिक्षण के साथ अन्य अकादमियों के ‘एक्सचेंज अॅाफ आइडियाज‘ को भी जोड़े, तो प्रशिक्षण निश्चित रूप से प्रभावी होगा। इसमें पुलिस व प्रशासनिक अकादमियों को जोड़ा जाए तो सहयोग से ट्रेनिंग के साथ-साथ सभी अंगों में सामंजस्य भी बढ़ेगा। ये अकादमियां मानव संसाधन विकसित करती हैं तथा ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों के परिणाम दूरगामी होते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘जस्टिस डिलेड, इज जस्टिस डिनायड‘ कहा जाता है, मगर आज के तकनीकी युग में वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग कर त्वरित न्याय दिलाया जा सकता है। देरी से प्राप्त न्याय की पीड़ा को कम करने के लिए आजकल वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग भी एक सशक्त माध्यम है, जिससे समय, ऊर्जा व जीवन सुरक्षा को भी सहेजा जा सकता है। उन्होंने ई-कोर्ट, नेशनल ज्यूडिशियल डेटा अपग्रेड जैसे माध्यमों को न्याय से जुड़े व्यक्तियों को, न्याय प्राप्त करने वालों व न्याय देने वालों को भी शीघ्र जानकारी प्राप्त हो जाती है।

श्रीमती राजे ने लोक अदालतों की तर्ज पर राज्य में ‘न्याय आपके द्वार‘ अभियान की सफलता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि राज्य में दो माह में ही 70 हजार लंबित रेवेन्यू केसेज निर्णित हुए जो एक अनूठी पहल व सफलता है। उन्होंने बताया कि गैर खातेदारी, सीमाज्ञान जैसे निर्णित प्रकरणों की संख्या 20 लाख से भी ज्यादा है। यह समाज के लिए बहुत बड़ी राहत है। हमने व्यक्तिगत लाभ की अपेक्षा इस अभियान में ‘डिस्प्यूट रिजोल्यूशन‘ पर ही फोकस रखा।

उन्होंने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर, एज्यूकेशन व हैल्थ स्किल डवपलमेंट राज्य सरकार का विजन है। इन्हीं तीनों स्तंभों को मजबूत करके समाज को ऊंचाइयों तक ले जाया जा सकता है। हम इस पर फोकस कर रहे हैं। राज्य में कौशल विकास में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और अब तक 6 लाख युवाओं को रोजगार की दिशा में आगे बढ़ाया गया है। उन्होंने महिलाओं के कार्य क्षेत्र में कुशल होने के साथ-साथ समाज में अपनी पहचान बनाने पर खुशी जाहिर की।

मुख्यमंत्री ने रिसर्जेण्ट राजस्थान की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें 3 लाख ‘इन्वेस्मेंट प्रपोजल‘ प्राप्त हुए। उन्होंने इस मौके सभी न्यायिक अधिकारियों को सफल प्रशिक्षण की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हम सभी को अपने राज्य को देश में सर्वोच्च स्थान दिलाना है।

राजस्थान स्टेट ज्यूडिशियल अकादमी के पैटर्न इन चीफ एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति अजीतसिंह ने कहा कि हमें राज्य में विधायिका से वांछित सहयोग मिला है। इस वर्ष सिविल न्यायाधीशों की भर्ती प्रक्रिया से रिक्त पदों की पूर्ति हो सकेगी। उन्होंने समाज में शांति बनाए रखने के लिए इस बात पर बल दिया कि अपराधों पर अंकुश तभी लग सकता है, जब अपराधी को यह लगे कि वह पकड़ा जाएगा। मुख्य न्यायाधिपति ने कहा कि सभी प्रदेशों की तुलना में व्यक्तिगत डिस्पोजल में राजस्थान अग्रणी है। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में आधारभूत व रोजमर्रा की सुविधाएं प्राप्त करने में भी राज्य सरकार का सहयोग मिल रहा है।

प्रशासनिक न्यायाधीश जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि न्यायिक अकादमी का उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों को न केवल प्रशिक्षण देना, बल्कि उन्हें साइबर क्राइम, क्राइम अगेंस्ट चिल्ड्रन, आतंकवाद जैसे अपराधों और उनके विरुद्ध दण्ड प्रक्रियाओं के संबंध में अपडेट करना है। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम के थीम ‘क्रिमिनल जस्टिस डिलीवरी सिस्टम एण्ड रोल अॅाफ ट्रायल जजेज’ पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में 12 लाख 91 हजार 553 लंबित प्रकरणों में से 8 लाख 74 हजार 992 आपराधिक प्रकरण हैं। इससे स्पष्ट है कि हमें क्रिमिनल जस्टिस विषय पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि हमें स्वतंत्र जांच एजेंसी की आवश्यकता है, जिससे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम सशक्त बनेगा।
राजस्थान उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश व न्यायिक अकादमी के चेयरमैन जस्टिस गोविन्द माथुर ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि देश में 26 जनवरी, 1950 को ही तय हो गया था कि कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं विधायिका गवर्नेंस के बीच एक सेतु है और हमें संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करते हुए आम जनता को न्याय देना है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में स्थापित राजस्थान न्यायिक अकादमी में न्यायिक सेवाओं के साथ-साथ दूसरी सेवाओं के अधिकारियों के लिए भी प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं।

इससे पहले मुख्यमंत्री ने अकादमी के नवनिर्मित फैकल्टी गेस्ट हाऊस का लोकार्पण किया। 8,700 वर्ग फुट में बने इस गेस्ट हाऊस के निर्माण में 1.83 करोड़ रुपये की लागत आई है।

प्रारंभ में रजिस्ट्रार जनरल श्री विजय कुमार व्यास ने मुख्यमंत्री का पुष्पगुच्छ भेंट कर स्वागत किया। मुख्यमंत्री, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, प्रशासनिक न्यायाधीश, न्यायिक अकादमी के चेयरमैन और अकादमी अध्यक्ष ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

समारोह में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता, जस्टिस अरूण भंसाली, जस्टिस विजय विश्नोई, जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास, जस्टिस प्रतापकृष्ण लोहरा, जस्टिस संगीत लोढा, कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर एस चैहान, सुश्री जयश्री ठाकुर, उद्योग मंत्री श्री गजेन्द्रसिंह खींवसर, संसदीय सचिव श्री भैराराम सियोल, सांसद श्री गजेन्द्रसिंह शेखावत, श्री पी पी चैधरी, श्री नारायण पंचारिया, जोधपुर के महापौर श्री घनश्याम ओझा, महाधिवक्ता श्री नरपतमल लोढा, अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री पुष्पेन्द्रसिंह भाटी, श्री पृथ्वीराज सिंह जोधा, श्री राजेश पंवार, श्री श्याम लादरेचा, विधायक श्रीमती सूर्यकांता व्यास, श्री कैलाश भंसाली, श्री जोगाराम पटेल, संभागीय आयुक्त श्री रतन लाहोटी, पुलिस आयुक्त श्री अशोक राठौड़, पुलिस महानिरीक्षक श्री जी एल शर्मा, जिला कलक्टर श्री विष्णु चरण मल्लिक सहित अन्य न्यायिक अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

जयपुर/जोधपुर, 14 फरवरी 2016