अनेक पुस्तकों का किया लोकार्पण, ऐतिहासिक अभिलेख किए आॅनलाइन

मुख्यमंत्री ने किया राज्य अभिलेखागार का अवलोकन

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने मंगलवार को राजस्थान राज्य अभिलेखागार का अवलोकन किया। उन्होंने ‘फारसी फरमानों के प्रकाश में मुगलकालीन भारत एवं राजपूत शासक भाग-3’ तथा “पुरन्धर की संधि” पुस्तकों का विमोचन करने के साथ मारवाड़ तथा किशनगढ़ राज्य के 5.08 लाख ऐतिहासिक अभिलेखों को आॅनलाइन किया। उन्होंने बीकानेर की गंगा रिसाला प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया।

श्रीमती राजे ने करीब एक घंटे अभिलेखागार की विभिन्न गतिविधियों का पूरे मनोयोग से अवलोकन किया। मुख्यमंत्री ने जोधपुर राज्य की ऐतिहासिक बहियों, मारवाड़ का अपुरालेखीय इतिहास तथा किशनगढ़ राज्य के 5.08 लाख पृष्ठों को आॅनलाइन किया। उन्होंने 55 लाख ऐतिहासिक अभिलेखों की आॅनलाइन प्रक्रिया तथा बीकानेर संभाग के डिजिटाईज्ड पट्टा अभिलेखों का निरीक्षण किया और इस कार्य की प्रशंसा की। श्रीमती राजे अभिलेखागार में रखे अभिलेखों और उनकी बेहतर सार-संभाल को देखकर अभिभूत हुईं।

मुख्यमंत्री ने मारवाड़ के डिजिटाइज्ड हो रहे अभिलेखों तथा विभागीय प्रकाशन को देखने के पश्चात शोध कक्ष में शोधार्थियों से विभिन्न शोध विषयों पर बातचीत की। अभिलेखों को दीर्घकाल तक सुरक्षित रखने के लिये बनायी गयी माइक्रो फिल्मों को देखकर उन्होंने ‘वंडरफुल’ एवं ‘अमेजिंग’ कहा।

श्रीमती राजे ने स्वतंत्रता सेनानी दीर्घा में स्वतंत्राता सेनानियों के संस्मरण एवं प्रकाशनों का अवलोकन किया। उन्होंने टेस्सीटोरी कक्ष में इटेलियन विद्वान एल.पी. टेस्सीटोरी के हस्तलिखित हिन्दी व अंग्रेजी के पत्रा पढ़े। उन्होंनेे विभाग की ओर से लगायी गयी “बीकानेर राज्य की गंगा रिसाला” प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया और ऊँटों के सम्बन्ध में दुर्लभ जानकारियां प्राप्त कीं।

श्रीमती राजे ने विभागीय अभिलेख भवन में रखे सुव्यवस्थित अभिलेखों तथा साफ-सफाई को देखकर निदेशक अभिलेखागार डाॅ. महेन्द्र खड़गावत से कहा कि सन् 1953 से पहले के अभिलेखों तथा इतिहास को सुरक्षित करने के पश्चात् अब सन् 1953 के बाद के अभिलेखों को भी सुरक्षित किया जाए।

उन्होंने राजस्थान में अकाल, गंग नहर तथा रियासत काल के साथ ही वर्तमान लैण्ड रेवेन्यू सिस्टम पर शोध करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर अभिलेखागार निदेशक ने बीकानेर में देश का पहला अभिलेख म्यूजियम बनाने के लिए मुख्यमंत्री से सहमति देने का आग्रह किया, जिस पर श्रीमती राजे ने कहा कि यदि आप एक बेहतरीन अभिलेख म्यूजियम बना सकें, तो इसकी सहमति दी जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने अभिलेख भवन में विश्व प्रसिद्ध 22 फुट लम्बी “पुरन्धर की संधि” का फारसी से हिन्दी व देवनागरी में अनुवादित डाॅ. महेन्द्र खड़गावत द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने “फारसी फरमानों के प्रकाश में मुगलकालीन भारत एवं राजपूत शासक, भाग-3” का भी विमोचन किया। इस पुस्तक में मुगल शहजादों, शहजादियों तथा बेगमों द्वारा राजपूत मनसबदारों को लिखे गये 117 फारसी फरमानों के मूल पाठ सहित हिन्दी व देवनागरी में अनुवाद का संकलन किया गया है।

इस अवसर पर प्रमुख शासन सचिव कला एवं संस्कृति श्री शैलेन्द्र अग्रवाल तथा निदेशक डाॅ. महेन्द्र खड़गावत ने मुख्यमंत्री को फारसी फरमानों के प्रकाश में मुगलकालीन भारत एवं राजपूत शासक के तीन भाग तथा ‘राजस्थान थ्रू दी एजेज के तीन भाग एवं विभाग के एतिहासिक मोन्यूमेन्ट प्रतीक चिन्ह के रूप में भेंट किये।

जयपुर/बीकानेर, 26 जनवरी 2016