दूरगामी सोच के साथ हो जल प्रबन्धन

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि आने वाले दशक में सबसे बड़ी समस्या जल की होगी, जिसे ध्यान में रखते हुए जल संसाधन विभाग अभी से दूरगामी सोच रखते हुए कार्य करें। श्रीमती राजे गुरूवार को मुख्यमंत्री निवास पर जल संसाधन विभाग की बजट घोषणाओं की समीक्षा कर रही थीं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मूंदड़ा से समुद्री जल डीसेलीनेशन कर राजस्थान लाने और उसे रिवर बेसिन अथाॅरिटी के प्रस्तावित रिवर ग्रिड से जोड़ने की संभावना तलाशी जाए ताकि आने वाले समय में पूरे प्रदेश को जल की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके।

श्रीमती राजे ने कहा कि जिस प्रकार मध्य प्रदेश जल संसाधन के क्षेत्र में बेहतरीन काम कर खाद्यान्न उत्पादन में शीर्ष पर पहुंचा है, उसी तर्ज पर हमें भी अपने सिंचाई तंत्र का विकास कर अपने प्रदेश को अधिकाधिक लाभ देना है। उन्होंने कहा कि हमें मलेशिया, जापान व सऊदी अरब जैसे देशों से जल प्रबंधन का सबक लेने की जरूरत है।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी बड़े जलाशयों एवं बांधों की जलग्रहण क्षमता में आई कमी का आकलन कर इनकी ड्रेजिंग कराई जाए। साथ ही बांधों के सुदृढ़ीकरण के कार्य शीघ्र पूरे किये जाएं ताकि उनमें वर्षा जल की भरपूर आवक हो सके। उन्होंने कहा कि काम में गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखने वाले काॅन्टेªक्टरों को ब्लैक लिस्ट किया जाए।

श्रीमती राजे ने कहा कि यमुना और इन्दिरा गांधी नहर के जल का पूरा हिस्सा प्रदेश को मिले इसके लिए राज्य सरकार पूरे प्रयास कर रही है। उन्होंने भरतपुर फीडर के नजदीक गांवों में सीपेज की समस्या के कारणों का जल्द पता कर इसका समाधान खोजने के निर्देश दिए।

बैठक में जल संसाधन मंत्री डाॅ. प्रताप, मुख्य सचिव श्री सीएस राजन, प्रमुख शासन सचिव वित्त श्री पी.एस. मेहरा, सचिव जल संसाधन श्री अजिताभ शर्मा एवं आयोजना सचिव श्री अखिल अरोड़ा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

जयपुर, 28 मई 2015