रंग लाई मुख्यमंत्री की पहल, पलभर में सुलझ रहे पीढि़यों के मामले

न्याय आपके द्वार अभियान

भाई से भाई मिला, विधवा को मिला ससुराल। पलभर में सुलझे पीढि़यों के मामले, जन-जन हुआ निहाल। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के निर्देश पर शुरू हुआ “न्याय आपके द्वार” अभियान प्रदेश की राजस्व अदालतों में बरसों से अटके लाखों पेचीदा मामलों का निपटारा कर लोगों के चेहरों पर मुस्कान लौटाने का अनूठा जरिया साबित हो रहा है।

राज्य के इतिहास में पहली बार 18 मई से शुरू हुए इस अभियान के तहत लगाई जा रही राजस्व लोक अदालतों ने 10 जून तक मात्र 24 दिनों में 5 लाख 33 हजार 299 मामलों का निपटारा कर लोगों को भरपूर राहत पहुंचाई है। इस तरह प्रतिदिन औसतन 22 हजार मामले सुलझ रहे हैं और राजस्व अदालतों पर लंबित मामलों का बोझ भी कम हो रहा है। इनमें सर्वाधिक मामले नामान्तकरण, राजस्व नकल, राजस्व अभिलेख में दुरूस्ती के हैं। इसके अलावा खाता विभाजन, खातेदारी अधिकार, इजराय, सीमाज्ञान, पत्थरगढ़ी, रास्ते आदि से सम्बन्धित मामलों को भी अभियान में सुलझाया जा रहा है।

दिलों की दूरियां मिटी, बिखरे परिवार मिले

राजस्व लोक अदालतों के सामने ऐसे भी मामले आए जिनमें कोई मामला छह दशक पुराना था तो कोई पांच दशक पुराना। ऐसे भी मामले थे जिनमें अदालतों के चक्कर काटते-काटते पीढि़यां गुजर गई लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। अभियान में ऐसे मामलों को प्राथमिकता से निपटाया जा रहा है। अभियान की सफलता से लोग उत्साहित हैं और आपसी सहमति से मामलों को निपटाने के लिए आगे आ रहे हैं। कुछ मामलों के निस्तारण ने दिलों की दूरियां मिटाकर बरसों से बिखरेे परिवारों को फिर एक कर दिया है।

तीन पीढ़ी बाद मिली खुशी

सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा में राजस्व कर्मचारियों ने जमीन मालिक की मृत्यु के बाद गलत रिकाॅर्ड दर्ज कर दिया था। करीब तीन पीढ़ी बाद यह मामला सुलझा और ओबाराम को अपना खातेदारी अधिकार मिला। एक ही दिन में बिना किसी शुल्क के यह मामला निस्तारित हुआ तो ओबाराम और उसके परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

विधवा और उसकी बेटी को मिली नई जिन्दगी

भीलवाड़ा जिले के गिरधारीपुरा गांव की एक विधवा महिला व उसकी नाबालिग बेटी को इस अभियान ने फिर नई जिन्दगी दी। विधवा को उसके देवर ने करीब 10 साल पहले जायदाद से बेदखल करवा दिया था। हर स्तर पर गुहार लगाने और विभिन्न राजस्व अदालतों में 77 पेशियां भुगतने के बाद अब उसे अभियान में न्याय मिला।

17 बीघा और 37 खातेदार, आपसी सहमति से हो गया बंटवारा

बाडमेर जिले के सराणा गांव में 17 बीघा के एक ऐसे खेत का आपसी सहमति से बंटवारा लोक अदालत में किया गया जिसके 37 खातेदार हैं। आवंटन के बाद पहली बार इस खेत का बंटवारा हो सका। इसी प्रकार बाडमेर के ही उमरलाई गांव के रामाराम पालीवाल को पुश्तैनी जमीन के काश्तकारी लाभ फिर मिले तो उसकी आंखें छलक आईं। वह सेटलमेंट के समय रिकाॅर्ड में नाम गलत दर्ज हो जाने की मामूली गलती का बरसों से खामियाजा भुगत रहा था।

कोख में था, अब मिली खातेदारी

सिरोही जिले के नगा सानवाड़ा गांव के मूलाराम के पिता की उस समय मौत हो गई थी जब वह मां की कोख में था। पिता के मौत के बाद पूरी जमीन बड़े भाई रतीराम के नाम दर्ज हो गई थी। मूलाराम ने खातेदारी अधिकार को लेकर बरसों तक राजस्व अधिकारियों के चक्कर काटे लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। न्याय आपके द्वार अभियान से उम्मीद जगी तो दोनों भाई अपना मामला लेकर पीठासीन अधिकारी के सामने पहुंचे और 58 वर्ष पुराने मामले का पलभर में निस्तारण हो गया।

जयपुर, 11 जून 2015