सत्रह साल बाद भाई-बहन को मिला पुश्तैनी हक़, मजबूती पा रही सौहार्द और सामाजिक समरसता की बुनियाद

राज्य सरकार की ओर से चलाया जा रहा राजस्व लोक अदालत अभियान – न्याय आपके द्वार ग्रामीणों के लिए उनके बरसों पुराने और लम्बित कामों को हाथों-हाथ निपटाकर राहत का सुकून प्रदान करने वाला साबित हो रहा है।

ग्रामीणों में इस बात की खुशी है कि न्याय आपके द्वार शिविरों में एक ही दिन में वे सारे काम निस्तारित हो रहे हैं जिनके लिए अर्से तक चक्कर लगाने पड़ रहे थे।

ग्रामीणों का मानना है कि सरकार ने यह अभियान चलाकर ग्रामीणों को ढेरों औपचारिकताओं, समस्याओं और तनावों से मुक्त करने का जो दौर चला रखा है उससे ग्रामीणों को लगता है कि इन शिविरों की बदौलत बरसों से चला आ रहा भार उनके सर से उतरने लगा है।

परिवादों के समाधान का सीधा असर पारिवारिक और ग्राम्य लोक जीवन पर पड़ रहा है जहाँ क्लेश समाप्त होकर सौहार्द और सामाजिक समरसता की बुनियाद मजबूती पा रही है।

इन शिविरों में राजस्व और विभिन्न विभागों के काम-काज के साथ ही जन सुनवाई करते हुए ग्रामीणों की वैयक्तिक और गांव की सामुदायिक समस्याओं का समाधान भी हो रहा है। इससे ग्राम्य विकास की गतिविधियों को भी सम्बल प्राप्त हो रहा है।

राजसमन्द जिले में राजस्व लोक अदालत अभियान – न्याय आपके द्वार के शिविरों में हो रहे कामों से उत्प्रेरित होकर भीषण गर्मी के बावजूद ग्रामीणों का जमघट लगा रहने लगा है। ये ग्रामीण अपनी समस्याओं के तनाव लेकर शिविर में आ रहे हैं और चन्द घण्टों में निर्णायक समाधान पाकर खुशी-खुशी घर लौट रहे हैं।

जिले के विभिन्न क्षेत्रों में रोजाना लगने वाले इन शिविरों में उल्लेखनीय उपलब्धियां सामने आ रही है। इनमें कई मामले ऎसे निर्णीत हो रहे हैं जिनके लिए ग्रामीण अरसे से परेशान थे या अनभिज्ञता के कारण उनके काम नहीं हो पा रहे थे।

बरसों पुराने कामों को एक ही छत के नीचे एक ही दिन में अपनी आँखों के सामने निस्तारित होते देख ग्रामीणों की खुशी और उन्हें मिल रहे सुकून को उनके चेहरों से अच्छी तरह पढ़ा जा सकता है।

इसी तरह का सुकून भरा एक मामला राजसमन्द पंचायत समिति की भाणा ग्राम पंचायत में बुधवार को आयोजित राजस्व लोक अदालत अभियान – न्याय आपके द्वार शिविर में सामने आया जिसमें भाई-बहन को सत्रह साल बाद उनका पुश्तैनी हक़ मिला।

इस शिविर में प्रभारी अधिकारी, राजसमन्द के उपखण्ड अधिकारी श्री राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल के समक्ष भगवान्दा कलां गांव का ग्रामीण तिलोक पिता उदा भील आया और उसने अपनी पुश्तैनी जमीन को लेकर अब तक की सारी रामकहानी सुनायी।

तिलोक ने बताया कि उसके पिता उदा पिता खूमा भील की मृत्यु लगभग 18 साल पहले हो गई। इससे उनकी पुश्तैनी भूमि का नामान्तरण लगभग 17 वर्ष पूर्व खुल गया लेकिन इस पुश्तैनी भूमि में उसका तथा उसकी बहन रोडी बाई का नाम भूल से छूट गया जबकि उसकी माता की मृत्यु के उपरान्त खुले नामान्तरण में उसका तथा बहिन का नाम दर्ज है।

तिलोक भील ने शिविर प्रभारी को अवगत कराया कि पैतृक भूमि मेंं उसका नाम दर्ज नहीं होने से उसे कब्जानुसार विकास करने और ऋण प्राप्त करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

इस मामले को तत्काल दर्ज कर शिविर प्रभारी श्री राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल ने प्रार्थी तिलोक के शेष सभी भाइयों की सुनवाई की, राजस्व रिकार्ड का परीक्षण किया और इसके बाद खाते मेंं शेष रहे प्रार्थी तिलोक एवं उसकी बहन रोड़ी बाई का नाम राजस्व रिकार्ड में जोड़ने के आदेश जारी किए और हाथों-हाथ रिकार्ड की प्रतिलिपि उसे प्रदान कर दी।

सत्रह साल बाद नाम जुड़ने से खुश हो उठे तिलोक ने भगवान एवं शिविर प्रभारी का आभार जताया और कहा कि सरकार का यह शिविर उसकी जिन्दगी के लिए तोहफा देने वाला रहा। इसे वह कभी भुला नहीं पाएगा।

उपखण्ड अधिकारी श्री राजेन्द्रप्रसाद अग्रवाल के अनुसार भाणा के शिविर में राजस्व विभाग से संबंधित 6 पुराने विचाराधीन मुकदमों सहित कुल 11 मामले उपखण्ड न्यायालय द्वारा निर्णीत किये गए। इनमे खातेदारी अधिकारों की घोषणा, कृषि भूमि विभाजन, राजस्व अभिलेख शुद्धिकरण, पत्थरगढ़ी एवम अस्थायी निषेधाज्ञा आदि कार्य शामिल हैं।

इसी प्रकार शिविर में नामान्तरकरण के 33, इंद्राज दुरुस्ती के 8 कार्य संपादित हुए। कुल 93 पशुओं को दवा वितरण, 450 किसानों को मृदा कार्ड का वितरण और 200 मीटर पाइप लाइन मंजूरी, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा 58 मरीजों की जांच व दवा वितरण, बिजली से संबंधित 5 प्रकरणों का निस्तारण आदि कार्य हुए।

शिविर में ग्रामीणों को सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं की जानकारी दी गई। इसके साथ ही शिविर प्रभारी ने जन सुनवाई की, जिसमें कुल 15 परिवाद प्राप्त हुए। इनमें से 5 का मौके पर ही निस्तारण कर ग्रामीणों को राहत प्रदान की गई।

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