कृषि एवं उद्यानिकी में नवीन तकनीक का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सरकार संकल्पित

जयपुर, 4 नवम्बर। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि कृषि और उद्यानिकी के क्षेत्र में देश और दुनिया में जो नये प्रयोग एवं आविष्कार हो रहे हैं, राज्य के किसानों को उनका लाभ मिले इसके लिए सरकार दृढ़ संकल्पित है। उन्होंने कहा कि हमारे किसान कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीक का पूरा लाभ उठाकर समृद्ध एवं प्रगतिशील किसान बनें एवं किसी से पीछे नहीं रहें।
श्रीमती राजे मंगलवार को बस्सी तहसील के ढिंढोल में बीज विधायन केन्द्र एवं ‘‘सेंटर आॅफ एक्सीलेन्स’’ प्रशिक्षण केन्द्र के लोकार्पण समारोह को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हम यह चाहते हैं कि आने वाले समय में राजस्थान का किसान गर्व से सिर ऊंचा करके अन्य प्रदेशों के किसानों को यह बता सके कि हम कृषि क्षेत्र में नये तौर-तरीकों एवं तकनीक को अपनाकर आगे बढ़ रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने वर्ष 2005 में जो सपना देखा था वो यहां ढिंढोल में जैतून की खेती और अन्य रूपों में साकार हो रहा है। उन्होंने कहा कि उस समय हमने सोचा कि इजराइल जैसे पानी की कमी वाले रेगिस्तानी इलाके में लोग आपस में मिलकर कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीक के आधार पर अलग हटकर कार्य कर रहे हैं तो यह अपने राजस्थान में संभव क्यों नहीं हो सकता। तब हमने भारत सरकार के कृषि मंत्री से चर्चा करके यह कोशिश की कि इजराइल का एक दल राजस्थान में आये और यहां की कृषि को देखे तथा हमारी भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप सुझाव दे।

राजे ने कहा कि इजराइल के कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के बाद हम वहां से जैतून का एक पौधा लाये तो कई लोगों ने इसे मजाक समझा। आज वहीं पौधा 6-8 फीट का आकार लेकर हमारे सपने को साकार कर रहा है। इतना ही नहीं, हम जैतून के पौधे हिमाचल प्रदेश, गुजरात और जम्मू कश्मीर सहित अन्य राज्यों को भी उपलब्ध करवा रहे हैं। कई प्रदेशों के प्रगतिशील किसान यहां आकर नर्सरी का अवलोकन भी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जैतून का तेल हृदय रोग एवं मधुमेह के रोगियों के लिए लाभकारी है। इसकी मांग में निरन्तर वृद्धि हो रही है। किसानों को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए।

श्रीमती राजे ने कहा कि बीजों का प्रमाणीकरण आवश्यक रूप से होना चाहिए जब बीज किसान तक पहुंचे तो उसके यहां से कोई शिकायत नहीं आये। सरकार ने बीजों के प्रमाणीकरण की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले बीजों का भी प्रमाणीकरण जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज के दौर में व्यक्ति रासायनिक उर्वरक से पैदा हो रहे फल एवं सब्जियों को उपयोग में लेना पसंन्द नहीं करते हैं, इससे कई तरह की बीमारियां होने की आशंका रहती है। उन्होंने समारोह में उपस्थित किसानों से अपील की कि वे अपने खेत के एक हिस्से में जैविक खाद का उपयोग कर इनका उत्पादन करें। साथ ही पानी की बचत के लिए फव्वारा सिंचाई एवं बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति को उपयोग में लें।

श्रीमती राजे ने कहा कि राज्य में नदियों को जोड़ने के प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो गया है। इसका सुखद परिणाम आने वाले दिनों में सामने आयेगा। नदियों के आपस में जुड़ने से भूजल स्तर ऊंचा उठने के साथ डार्क जोन क्षेत्र भी समाप्त होंगे।