ऐसा राजस्थान बनायेंगे जिस पर सभी को गर्व हो

जयपुर, 30 जुलाई। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि हम राजस्थान विजन-2020 के माध्यम से एक ऐसे राजस्थान का निर्माण करना चाहते हैं जिस पर सभी राजस्थानी गर्व कर सकें। उन्होंने कहा कि इस सफर में हम अकेले नहीं हमारे साथ-साथ 7 करोड़ प्रदेषवासियों के कदम भी विकास की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

श्रीमती राजे बुधवार को विधानसभा में वित्त एवं विनियोग विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब दे रही थी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को जब प्रदेष की जनता ने सेवा का अवसर दिया तब ही उन्होंने विकास के सपने को साकार करने की सोच से राजस्थान विजन-2020 प्रस्तुत किया था, जो कोई कल्पना नहीं, बल्कि राजस्थान को बीमारू प्रदेष की श्रेणी से निकालकर देष की अग्रणी पंक्ति में लाने का महत्वपूर्ण कदम है। हम विजन-2020 का लक्ष्य तब ही प्राप्त कर सकेंगे जब राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 12 प्रतिषत वार्षिक दर से वृद्धि हो।

बजट जनता की अपेक्षाओं का आईना

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ने वर्ष 2014-15 के बजट को विकास के रोडमैप के रूप में स्वीकार किया है। यह बजट जनता की आकांक्षा एवं अपेक्षाओं का आईना है जिसे हम पूरी गम्भीरता से अमल में लाते हुए समृद्ध और विकसित राजस्थान का सपना पूरा करेंगे।

सभी जिम्मेदारी से निभाए राजधर्म

श्रीमती राजे ने कहा कि हम सबको जिम्मेदारी के साथ राजधर्म को निभाना होगा। इसके लिये जनता की समस्याओं एवं कठिनाईयों को दूर करने के लिये सदन के अन्दर एवं सदन के बाहर मिलकर काम करने की आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि विकसित राजस्थान के लिये सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्र में आधारभूत ढांचे के विकास के साथ ही ’’सर्विस डिलेवरी’’ को मजबूत करने की जरूरत है।

सत्ता सेवा का माध्यम

मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता सेवा का माध्यम है इसमें राज करने की बात नहीं, सेवा की भावना होनी चाहिये, लेकिन गत सरकार ने न तो जनभावना की परवाह की और न ही जनता के प्रति जवाबदेही को निभाया, जिसका नतीजा सबके सामने है। पिछली सरकार ने 500 करोड़ रूपये तो षिलान्यास पर ही खर्च कर दिये। राज्य की जनता स्वाभिमान से जीना चाहती है उनसे थोथी घोषणाओं से लुभाया नहीं जा सकता है।

बजटीय प्रावधान में बढ़ोतरी

श्रीमती राजे ने कहा कि हमारी सरकार ने विरासत में मिली विकट स्थितियों के बावजूद वर्ष 2013-14 की तुलना में इस वर्ष चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में 64 प्रतिषत, पेयजल के लिये 37 प्रतिषत, कृषि के लिये 56 प्रतिषत व षिक्षा कला एवं संस्कृति के लिये 37 प्रतिषत अधिक बजटीय प्रावधान किए हैं।