थमे हुए विकास पहियो को फिर से चलाने का काम कर रहे हैं

जयपुर, 18 अगस्त। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सोमवार को कई जगह अचानक पहुंची। वे दुर्गम और जटिल रास्तों के बीच से गुजरते हुए पहाडि़यों पर बसे आदिवासियों के बीच भी गईं। उनके काफिले में चल रहे ज्यादातर लोग तो बहते पानी और ऊबड़-खाबड़ रास्तें और पहाडि़यों चढ़ाई को देख आधे रास्ते से ही लौट आये, लेकिन मुख्यमंत्री ने आदिवासियों के प्रति अपना अपनत्व दिखाते हुए उनके झोपड़ों तक पहुंचकर सरकार आपके द्वार कार्यक्रम को सार्थक बनाया।

उदयपुर से सागवाड़ा जाते समय काया गांव में मुख्यमंत्री का ग्रामीणों ने जोरदार स्वागत किया। ग्रामीणों को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत देखने तथा जनता के दुख-दर्द जानने के लिए हमने सरकार आपके द्वार कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत मंत्री एवं अधिकारी गांव-गांव घूमकर वास्तविक स्थिति से रूबरू हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय विकास के पहिये थम गये थे, हम उन्हें फिर से चलाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंच रहा है अथवा नहीं तथा आमजन की वास्तविक स्थिति क्या है इसका आंखों देखा हाल जानना ही सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम है।

ग्रामीणों के स्वागत से अभीभूत श्रीमती राजे ने कहा कि जनता ने हमें अभूतपूर्व समर्थन एवं आशीर्वाद दिया है, उसके लिए हम दिन रात 24 घंटे काम कर रहे हैं।

पटवारी घर पर जाकर खोले नामांतरकरण
मुख्यमंत्री ने खैरवाड़ा में आयोजित जन समस्या शिविर में ग्रामीणों सम्बोधित करते हुए कहा कि ज्यादातर शिकायतें गांवों में पटवारी द्वारा नामांतरकरण नहीं खोले जाने की मिल रही है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि किसी परिवार में मृत्यु हो जाने पर मृतक के आश्रितों के पास पटवारी जाये और उसे नामांतरकरण की प्रक्रिया समझाकर उसका नामांतरकरण खोले। उन्होंने नामांतरकरण निश्चित समयावधि में नहीं खोले जाने पर तहसीलदार और पटवारी के खिलाफ कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिए।

कर्मचारी नौकरी को जाॅब नहीं सर्विस समझे
श्रीमती राजे ने कहा कि अधिकारियों को अब पिपुल फ्रेण्डली होना होगा। अब जनता की सेवा करनी होगी। जनता उनके लिए नम्बर वन है। जो जनता की नीड को मीट नहीं करेगा, उन्हें बख्शा नहीं जायेगा। उनकी सरकार की पहली प्राथमिकता जनता की सेवा है। कर्मचारी अपनी नौकरी को जाॅब नहीं सर्विस (सेवा) समझें, तब ही जाकर जनता को राहत पहुंचाई जा सकेगी।

भामाशाह का खाता घर पर भी खुलेगा
श्रीमती राजे ने वहां बड़ी संख्या में उपस्थित महिलाओं को कहा कि भामाशाह योजना ने आपको परिवार का मुखिया बना दिया है। इसलिये आप भामाशाह कार्ड जरूर बनाये। जहां बैंक नहीं है, वहां आपका घर बैठे खाता खुलेगा, लेकिन इसके लिए आपको भी इस योजना से जुड़ना होगा। मुख्यमंत्री ने योजना के तहत राज्य में प्रथम कार्ड प्राप्त करने वाली इसी गांव की महिला शांति बाई को मंच पर बुलाकर अब गांव की सभी महिलाओं के कार्ड बनवाने में आप सहायता करें।

कस्तूरबा आवासीय विद्यालय बनें सेंटर फाॅर एक्सीलेंस
मुख्यमंत्री ने उदयपुर जिले की गिरवा पंचायत समिति धोल की पार्टी गांव स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का आकस्मिक निरीक्षण किया। उन्होंने यहां कहा कि कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों को सेंटर फाॅर एक्सीलेंस के रूप में विकसित करें। इन विद्यालयों के परीक्षा परिणामों के आधार पर इनकी ग्रेडिंग की जाए तथा उसके आधार पर इनके विकास की योजना तैयार की जाए।

श्रीमती राजे ने इस आवासीय विद्यालय के रसोई घर, शौचालय, शयन कक्ष तथा कम्प्यूटर रूम आदि की व्यवस्थाओं को देखा। मुख्यमंत्री ने बालिकाओं के लिए तैयार की गई साबूदाने की खिचड़ी खाई। उन्होंने निर्देश दिए कि खाने की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जाए। उन्होंने विद्यालय में शयन कक्ष, शौचालय तथा कम्प्यूटर रूम के स्थिति पर नाराजगी व्यक्त करते हुए निर्देश दिए कि इनकी व्यवस्थाएं सुधारी जाएं।

मुख्यमंत्री ने भगवान एकलिंग जी के दर्शन किए
श्रीमती राजे ने उदयपुर के समीप कैलाशपुरी गांव में भगवान एकलिंग जी के दर्शन कर प्रदेश की सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना की। मन्दिर के पुरोहित ने श्रीमती राजे को भगवान एकलिंग की तस्वीर व प्रसाद भेंट किया। इस दौरान ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री का फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया।
दुर्गम रास्तों से पहुंची पहाड़ी पर बसे आदिवासियों के बीच

श्रीमती राजे पहाड़ों से बहते हुए पानी के बीच दुर्गम पथरीले रास्तों से गुजरते हुए उदयपुर जिले के खरपीणा के गणगौर फलां गांव में पहुंचीं। करीब एक किलोमीटर पैदल चलकर उन्होंने एक आदिवासी के आग्रह पर पहाड़ी पर निर्मल भारत अभियान के अन्तर्गत बने शौचालय को देखा। यह मार्ग इतना दुर्गम और विकट था कि मुख्यमंत्री के काफिले में चल रहे ज्यादातर लोग तो वहां पहुंच ही नहीं सके। एक ऐसा शौचालय भी देखा जिसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने जिला कलक्टर को निर्देश दिए कि वे उदयपुर जिले को टेस्ट केस के रूप में लेकर ग्रामीणों को अपने-अपने घरों में शौचालयों का निर्माण कराकर उनका उपयोग करने के लिए प्रेरित करें। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने भगवान मीणा व प्रकाश मीणा के आग्रह पर उनके झौपड़ों के बाहर बनाए गए शौचालयों का अवलोकन भी किया।

सोमकागदरा बांध का निरीक्षण
श्रीमती राजे ने सोमकागदरा बांध का निरीक्षण किया। वर्ष 2003 में इस बांध से ऋषभदेव सहित चार गांवों की पेयजल योजना स्वीकृत की गई थी। जिसके तहत 20 उच्च जलाश्य निर्माण के साथ पाईप लाइन डालने का कार्य पूर्ण हो गया परन्तु फिल्टर प्लांट का कार्य नहीं हुआ, जिससे यहां की पेयजल समस्या का समाधान नहीं हुआ। 4.88 करोड़ रुपये लागत की इस पेयजल योजना के समय पर पूर्ण नहीं होने पर मुख्यमंत्री ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अधिकारियों से जानकारी प्राप्त की। उन्होंने सिंचाई एवं जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि वो वर्ष 2003 से 2008 के मध्य स्वीकृत कार्य जो अधूरे पडे़ उनकी वस्तु स्थिति की जानकारी दें। उन्होंने दोनदी बांध व घोडाखोज बांध की नहरों के निर्माण व इनकी मरम्मत के बारे में भी अधिकारियों से चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए।

पाॅलिटेक्निक भवन की दुर्दशा पर नाराजगी
मुख्यमंत्री ने खैरवाड़ा में आठ करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित पाॅलिटेक्निक काॅलेज भवन की दुर्दशा देखकर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भवन का निर्माण भी पूर्ण नहीं हुआ तथा छात्रों की यहां पढ़ाई भी शुरू नहीं हुई और एक वर्ष पूर्व ही भवन का लोकार्पण कर दिया गया। अब इस भवन की दुर्दशा हो रही है। उन्होंने तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक से इस भवन के निर्माण एवं खैरवाड़ा पाॅलिटेक्निक काॅलेज के छात्रों के अध्ययन के बारे में पूछताछ की। संयुक्त निदेशक ने बताया कि इस काॅलेज के 120 छात्र वर्तमान में बांसवाडा पाॅलिटेक्निक काॅलेज में अध्यनरत है।