सरकार प्रदेश में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने को कटिबद्ध

जयपुर, 13 जून। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिये कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पेयजल आमजन केे जीवन की पहली प्राथमिकता और मूलभूत अधिकार है। राज्य में शुद्ध पेयजल का शत-प्रतिशत कवरेज हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

श्रीमती राजे शुक्रवार को यहां हरिश्चन्द्र माथुर लोक प्रशिक्षण संस्थान में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इंजीनियर्स की कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा मुझे विश्वास है कि विभाग के इंजीनियर्स में इस लक्ष्य को पूरा करने की क्षमता है। सरकार सबके सहयोग से राज्य की सभी बस्तियों में पीने योग्य पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 4 हजार 965 एमएलडी पानी की मांग की तुलना में 3 हजार 679 एमएलडी पानी उपलब्ध है। इस प्रकार 1200 एमएलडी से ज्यादा पानी की कमी है। उन्होंने कहा कि राजस्थान का क्षेत्रफल देश के क्षेत्रफल का 10.4 प्रतिशत, जनसंख्या 5.6 प्रतिशत तथा देश का 18.7 प्रतिशत पशुधन है। देश की तुलना में यहां सतही जल मात्र 1.1 प्रतिशत और भूजल केवल 1.7 प्रतिशत ही उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि पानी की इतनी अल्प मात्रा से सभी की जरूरतें पूरी करना बहुत बड़ी चुनौती है, लेकिन हम दृढ़ इच्छा शक्ति से इन स्थितियों का मुकाबला करने को प्रतिबद्ध है।

श्रीमती राजे ने कहा कि सुराज संकल्प यात्रा और भरतपुर में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान राज्य में धरातल पर पेयजल को लेकर इन विकट स्थितियों को उन्होंने करीब से देखा। उन्होंने कहा कि राज्य के 243 ब्लाॅक में से मात्र 25 ब्लाॅक ही भूजल के स्तर की दृष्टि से सुरक्षित है। पूरे देश की तुलना में राजस्थान की 28.8 प्रतिशत बस्तियों में कम गुणवत्तायुक्त, 44 प्रतिशत बस्तियों में फ्लोराइडयुक्त और 84 प्रतिशत बस्तियों में खारा पानी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल की समस्या से निपटने के लिए राज्य में अब तक बिना किसी दूरदृष्टि के पुराने ढर्रे से ही काम किया जा रहा है। हम पानी की जरूरतों के लिए अधिकतर भूजल पर ही निर्भर रहे हैं। अब हमें नई सोच और तकनीक के साथ इस दिशा में कार्य करना होगा। समय की आवश्यकता है कि हम सिर्फ गर्मी के दिनों के लिए कन्टीजेंसी प्लान बनाने व टैंकरों से सप्लाई जैसे पुराने तौर-तरीको से बाहर निकले। उन्होंने राज्य में भूजल की बजाय सतही जल पर आधारित प्रोजेक्ट बनाने, नदियों को जोड़ने, व्यर्थ बहने वाले पानी को संचित कर भूजल स्तर बढ़ाने, पेयजल के लिए वाटर ग्रिड बनाने, आधुनिक तकनीकों का उपयोग एवं पीपीपी मोड पर कार्य करने की आवश्यकता जताई।

कान्फ्रेंस को जल संसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने भी सम्बोधित करते हुए प्रदेश में नियमित एवं व्यवस्थित जल आपूर्ति के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सुझाव दिये। मुख्य सचिव श्री राजीव महर्षि ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य में बेहतर जल प्रबन्धन के लिए विभाग में नवाचारों को अपनाने एवं उपयोगी सुझावों पर विचार करने के साथ ही विभाग के सुदृढ़ीकरण के लिए एक कमेटी का गठन किया जायेगा, जिसमें स्वयं सेवी संगठन एवं सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि और इंजीनियर्स शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि अभियंता जनता के प्रति संवेदनशील बने तथा जन समस्याओं का समय पर निस्तारण करें। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव श्री पी.एस. मेहरा ने कहा कि इस कांफ्रेंस में प्राप्त महत्वपूर्ण सुझाव विभाग के लिए दिशा-निर्देश का काम करेंगे।

कान्फ्रेंस में गुणवत्तायुक्त पेयजल सप्लाई, जनता जल योजना, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पानी सप्लाई के लिए टैंकरों का उपयोग घटाने सहित कई विषयों पर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के इंजीनियर्स ने प्रस्तुतीकरण देते हुए अपने सुझाव दिये। मुख्यमंत्री ने सभी के सुझावों को गौर से सुना। उन्होंने प्रस्तुतीकरण के बीच में अलग-अलग बिन्दुओं पर इंजीनियर्स के साथ गहन चर्चा भी की।

इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव इन्फ्रा. श्री सी.एस.राजन, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव श्रीमत पाण्डेय, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री दीपक उप्रेती, ऊर्जा विभाग के शासन सचिव श्री आलोक के अलावा राज्य भर से आये इंजीनियर्स, स्वयं सेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि और विषय विशेषज्ञ मौजूद रहे।