छोटे खनन लीज धारकों को राहत दिलाने के लिए पहल

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने प्रदेश के 33 हजार छोटे खनन लाइसेंस धारकों को राहत दिलाने के लिए केन्द्र सरकार से इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस की अनिवार्यता में छूट देने का आग्रह किया है। उन्होंने इस विषय पर केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखा है।

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि राजस्थान में वर्तमान में संचालित 33 हजार से अधिक लघु खनन लीज व क्वारी लाइसेंस ग्रामीण एवं कस्बाई क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों और रोजगार का माध्यम हैं। ये खनन क्षेत्र सिरेमिक, ग्लास, रबड़, पेंट, आयरन और स्टील जैसे महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 13 जनवरी, 2015 के फैसले से इन क्षेत्रों में खनन गतिविधियां बंद होने का खतरा है।

उल्लेखनीय है कि ट्रिब्यूनल ने 5 हेक्टयर से कम क्षेत्रफल वाले सभी खनन लीज व लाइसेंस के लिए 6 महीने की समयावधि में इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस लेना अनिवार्य कर दिया है। श्रीमती राजे ने केन्द्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मांग की है कि माननीय ट्रिब्यूनल से इस निर्णय पर पुनर्विचार के लिए आग्रह किया जाये। उन्होंने कहा कि 6 महीने के अल्पावधि में 33 हजार लाइसेंस धारकों को इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस दिया जाना संभव नहीं है क्योंकि इसके लिए केवल एक स्टेट लेवल इन्वायर्नमेंट इम्पेक्ट एसेसमेंट अथाॅरिटी है।

मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय मंत्री को बताया है कि इस विषय पर राजस्थान हाईकोर्ट ने भी 9 अप्रेल, 2015 को एक निर्णय दिया है, जिसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित राजस्थान पर्यावरण संरक्षण के लिए लघु खनिज छूट नियम को निरस्त कर दिया गया है। राजस्थान हाईकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की है। उन्होंने इस विषय पर भी केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से राज्य की मदद करने का आग्रह किया है।

श्रीमती राजे ने मांग की कि केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में राज्य का समर्थन करे, ताकि राज्य सरकार द्वारा बनाये गये नियमों को न्यायालय की स्वीकृति मिल सके। साथ ही, उन्होंने केन्द्र सरकार लघु खनिजों के खनन से संबंधित नियम बनाने की शक्तियां राज्य सरकार को प्रदान करने को कहा है, जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार नियम बनाये जा सकें। उन्होंने कहा कि यह केन्द्र सरकार की विकेन्द्रीकरण नीति के भी अनुरूप है।

मुख्यमंत्री ने आग्रह किया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने तक लघु खनिज लाइसेंस धारकों के लिए केन्द्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण संबंधी नियम अधिसूचित किये जाये। साथ ही, विकल्प के तौर पर वर्तमान खनन लाइसेंस धारकों को इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस के लिए आवेदन करने के लिए एक वर्ष का समय दिया जाये और इन आवेदनों के निस्तारण तक उन्हें खनन गतिविधियां जारी रखने की छूट दी जाये। ऐसे आवेदनों के त्वरित निस्तारण के लिए जिला या संभाग स्तर पर इन्वायर्नमेंटल क्लीयरेंस समितियां गठित की जाएं।

जयपुर, 20 जून 2015