भंवरसिंह के लिए वरदान साबित हुआ चांधन का राजस्व लोक अदालत शिविर

डेलासर निवासी भंवरसिंह का 50 वर्ष बाद राजस्व रिकॉर्ड में सही नाम हुआ दर्ज

राज्य सरकार द्वारा जिले में चलाए जा रहे राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर ग्रामीणाें के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्व हो रहें है। डेलासर निवासी भंवरसिंह के लिए तो चांधन में आयोजित हुआ न्याय आपके द्वार शिविर वरदान साबित हुआ एवं लगभग 50 वर्ष बाद आईदानसिंह के नाम से जाने, जाने वाले भंवरसिंह का सही नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हुआ।

उल्लेखनीय है कि डेलासर निवासी भंवरसिंह पुत्र नखतसिंह आयु 50 वर्ष जिसके पिता का देहान्त जब वह 3-4 माह का था हो गया था। भंवरसिंह का उस समय लाड का नाम आईदानसिंह था एवं पिता के देहान्त के बाद फोतेदगी म्यूटेशन के रूप में उसकी पैतृक भूमि में राजस्व रिकॉर्ड में नाम आईदानसिंह दर्ज हो गया। नखतसिंह, आमसिंह, मूलसिंह पुत्र ईश्वरसिंह के खसरा नम्बर 534 एवं 721 में चांधन में 29 बीघा एवं 6 बिस्वा भूमि थी जिसमें से भंवरसिंह के हिस्से में लगभग 10 बीघा भूमि आ रही थी एवं राजस्व रिकॉर्ड में उसका नाम आईदानसिंह होने से उसे हमेशा चिन्ता सता रही थी कि उसका शैक्षणिक रिकॉर्ड एवं अन्य दस्तावेजों में भंवरसिंह नाम है, कहीं यह जमीन उसके नाम होगी की नहीं।

भंवरसिंह ने ग्राम पंचायत चांधन में आयोजित राजस्व लोक अदालत- न्याय आपके द्वार शिविर में शिविर प्रभारी एवं उपखण्ड अधिकारी जैसलमेर कैलाश चन्द्र शर्मा के समक्ष नाम शुद्वि के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया एवं इसमें न्याय प्रदान करने की गुहार की। उपखण्ड अधिकारी ने पूरी सवेंदनशीलता दिखाते हुए भंवरसिंह का आवेदन पत्र प्राप्त किया एवं मौके पर ही नायाब तहसीलदार एवं पटवारी को इसकी सही जानकारी लेने के लिए आदेश दिए। अधिकारी ने मौके पर ही भंवरसिंह के चाचा मूलसिंह व आमसिंह के बयान दर्ज किए तो उन्होंनें बताया कि बचपन में लाड का नाम आईदानसिंह था लेकिन वर्तमान में सभी दस्तावेजों में आईदानसिंह का नाम भंवरसिंह है जो सही है। इस संबंध में मजमे-आम में भी इसकी जानकारी ली तो भंवरसिंह सही नाम बताया गया।

उपखण्ड अधिकारी शर्मा ने राजस्थान काश्तकार अधिनियम की धारा 88 के तहत निर्णय करते हुए आईदानसिंह का नाम भंवरसिंह के नाम डिग्री पारित की एवं राजस्व रिकॉर्ड में आईदानसिंह की जगह भंवरसिंह लिखने के निर्देश प्रदान किए। मौके पर ही भंवरसिंह का नाम राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हो गया एवं उसे शुद्वि पत्र उपखण्ड अधिकारी ने प्रदान किया। शुद्वि पत्र पाकर भंवरसिंह को 10 बीघा कीमती भूमि का असली मालिकाना हक प्राप्त होते ही वह बहुत ही खुश नजर आया। इस प्रकार लगभग 50 वर्ष बाद भंवरसिंह को न्याय मिला एवं उसने इसके लिए शिविर प्रभारी के साथ ही जिला प्रशासन एवं राज्य सरकार की भी प्रशंसा की एवं कहा कि इस प्रकार के अभियान से मेरे जैसे कितने अशुद्व नाम वाले लोगों के नाम राजस्व रिकॉर्ड में सही हो रहें है । अब भंवरसिंह इस भूमि पर आसानी से केसीसी का लाभ भी ले सकेगा।

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