जन्म और व्यवसाय नहीं, विचार की श्रेष्ठता जरूरी

जयपुर, 2 फरवरी। आज महाकवि रैदास का श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है जिन्होंने अपने आचरण और व्यवहार से यह सिद्ध कर दिया कि विचार की श्रेष्ठता, समाजहित की भावना और सद्व्यवहार जैसे गुण ही व्यक्ति को महान बनाते हैं।

उन्होंने समाज के सम्मुख एक उदाहरण प्रस्तुत किया कि मनुष्य अपने जन्म और व्यवसाय के आधार पर महान नहीं बनता बल्कि अभिमान और बड़प्पन का भाव त्याग कर विनम्रतापूर्वक समाज के व्यापक हित और भक्ति की सच्ची भावना से समाज में सम्मान प्राप्त किया जा सकता है।

संत रैदास के उपदेश आज भी सामाजिक समरसता, जनकल्याण और मानव उत्थान के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।