अनुपयोगी कानूनों को निरस्त करने का काम तय समय में पूरा हो
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राज्य में अनुपयोगी, अप्रचलित एवं असंगत कानूनों तथा विनियमों को निरस्त करने की प्रक्रिया में को तेजी से निपटायें तथा तय समय में इस काम को पूरा करें।
मुख्यमंत्री आज अपने राजकीय निवास पर नीति आयोग के सदस्य श्री विवेक देबराॅय, मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् के सदस्य श्री मनीष सब्बरवाल, मुख्य सचिव श्री सीएस राजन, प्रशासनिक सुधार विभाग के एसीएस श्री राकेश वर्मा तथा अन्य अधिकारियों के साथ इस संबंध में आयोजित बैठक को संबोधित कर रही थीं।
श्रीमती राजे ने कहा कि एक जैसे विषयों पर वर्तमान में मौजूद छोटे-छोटे कानूनों को उसी विषय के एक नये कानून में शामिल किए जाने से, ढेर सारे कानूनों के क्रियान्वयन एवं माॅनिटरिंग में आ रही कठिनाई को दूर किया जा सकता है। यह एक जटिल काम है, जिसे विधि विशेषज्ञों, राज्य के पुराने एवं अनुभवी अधिकारियों तथा प्रशासनिक सुधार विभाग के अनुभवों का लाभ लेते हुए पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजस्व, भूमि, गृह एवं शिक्षा आदि विषयों पर बने हुए पुराने एवं अनुपयोगी कानूनों को हटाया जाना चाहिए।
नीति आयोग के सदस्य श्री बिबेक देबराॅय ने बैठक में राज्य में कानूनों के सुधार के संबंध में दिए गए अपने प्रजेंटेशन में कहा कि पुराने असंगत कानूनों को निरस्त किया जाए। एक जैसे विषयों पर बने कानूनों को मौजूदा क्लस्टर में एकीकृत किया जाए अथवा आवश्यकतानुसार कुछ कानूनों को नए क्लस्टर में समाहित किया जाए।
मुख्य सचिव श्री सीएस राजन ने अनुपयोगी कानूनों के निरस्तीकरण की प्रक्रिया पर अब तक हुई कार्यवाही की जानकारी देते हुए बताया कि जिन कानूनों को राज्य में निरस्तीकरण के लिए चिन्हित किया गया है उन पर श्री देबराॅय के साथ नियमित विचार-विमर्श किया जाएगा।
प्रशासनिक सुधार विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राकेश वर्मा ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि राज्य में वर्तमान में 405 प्रिंसिपल एक्ट्स तथा 187 अमेंडिंग एक्ट्स सहित कुल 592 अधिनियम लागू हैं। साथ ही समीक्षा किए गए विभिन्न विभागों में 169 रूल्स भी मौजूद हैं। अनावश्यक एक्ट्स एवं रूल्स को हटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति सप्ताहवार इस कार्य की समीक्षा कर रही है तथा फिलहाल 29 प्रिंसिपल एक्ट्स एवं 94 अमेंडिंग एक्ट्स को निरस्त करने के लिए चिन्हित किया गया है। सभी विभागों की समीक्षा पूर्ण होने पर यह संख्या और बढ़ जाएगी।
बैठक में मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद् के सदस्य श्री मनीष सब्बरवाल ने भी विचार व्यक्त किए।
जयपुर, 8 मई 2015
