न्याय आपके द्वार अभियान : दो साल में सुलझे 40 लाख प्रकरण

अब तक 126 पंचायतें हुईं वाद मुक्त

श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल का असर है कि कचहरियों में मुद्दतों से चले आ रहे राजस्व विवाद अब हाथों-हाथ निपट रहे हैं और राजस्व लोक अदालत न्याय आपके द्वार अभियान शिविरों के जरिए बीते दो साल में करीब चालीस लाख राजस्व संबंधी प्रकरण आपसी समझाइश से सुलझाए जा चुके हैं। इन दो सालों में प्रदेश की कुल 126 ग्राम पंचायतें वाद मुक्त हो चुकी हैं। राज्य में वर्ष 2015 से शुरू हुए इस अभियान के सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।

लोक अदालत की भावना के अनुरूप इस साल 9 मई से 12 जून तक लगाए गए शिविरों में 18 लाख 63 हजार से अधिक राजस्व संबंधी प्रकरणों का आपसी समझाइश से निस्तारण किया गया है। इस साल अब तक 35 दिन में 6023 कैम्प लगाकर बरसों पुराने ऐसे कई राजस्व प्रकरण हल किए गए हैं जो भाई-भाई के बीच विवाद की वजह थे या जिनकी वजह से एक गांव से दूसरे गांव के बीच रास्ते का विवाद बड़ा रूप ले सकता था। ये शिविर न केवल राजस्व अदालतों के लंबित प्रकरणों के बोझ को कम कर रहे हैं बल्कि रिश्तों में आई दरारों को पाटने का जरिया भी साबित हो रहे हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2015 में भी 18 मई से 30 जुलाई तक राजस्व लोक अदालत अभियान चलाया गया था जिसमें 21 लाख 20 हजार से अधिक राजस्व प्रकरण निस्तारित किए गए थे। वर्ष 2015 में 61 पंचायतों को वाद मुक्त किया गया था जबकि इस साल 12 जून तक 65 पंचायतें वाद मुक्त हो चुकी हैं। इस साल पाली की 19, झालावाड़ की 12, चित्तौड़गढ़ की 9, चूरू की 5, करौली की 4, टोंक की 3, नागौर, अलवर, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, उदयपुर तथा जोधपुर की 2-2 तथा धौलपुर की 1 पंचायत वाद मुक्त बनी हैं।

प्रभुदयाल व गिर्राज प्रसाद को महाजन से पुनः ब्राह्मण बनाया

दौसा जिले की महवा तहसील में करीब 42 साल पहले प्रभुदयाल व गिर्राज प्रसाद की जमीन की जमाबंदी संधारित करते समय खातेदारों की जाति ब्राहमण के स्थान पर महाजन कर दी गई थी। अभियान के तहत ठेकड़ा पंचायत में इस साल 9 जून को लगे शिविर में गिर्राज प्रसाद की जाति महाजन के स्थान पर ब्राह्मण करने का आदेश देकर जमाबंदी में हुई 42 साल पुरानी गलती को दुरूस्त किया गया।

55 साल बाद मिला केरेग को हक

जनजाति क्षेत्र के बांसवाड़ा जिले के गढ़ी के आसन में आयोजित राजस्व लोक अदालत शिविर में केरेग को 55 साल के बाद खातेदारी का हक मिला। अपना हक मिलने से खुश केरेग ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह शिविर नहीं होता तो उसे घर बैठे अपना हक इतनी आसानी से नहीं मिलता।

30 मिनट में हुआ 30 साल पुराना काम

गोपीनाथ का गढ़ा (बांसवाड़ा) में आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में 30 साल पहले विरासत में छूट गए भगवती पुत्र लालजी भील के नाम का प्रकरण आया। भगवती के 6 भाइयों ने उसका नाम जुड़ाने पर सहमति दे दी और मात्र 30 मिनट में ही भगवती को पैतृक भूमि पर अपना हक मिल गया।

अलग रह रही बहनों को किया एक

न्याय आपके द्वार शिविर परिवारों के गिले-शिकवे दूर करने का माध्यम भी बन रहे हैं। ऐसा ही एक वाकया भरतपुर जिले की धमारी पंचायत के शिविर में आया जहां भूमि विवाद के कारण तीन साल से अलग रह रही दो बहिनें केला व भगवती एक-दूसरे से गले मिलीं। शिविर में समझाइश के कारण दोनों बहिनों ने राजीनामा किया और हमेशा साथ रहने की कसम खाकर घर को गईं।

अभियान के तहत आयोजित किए जा रहे शिविरों में बरसों पुराने राजस्व प्रकरणों का निस्तारण कर राहत पहुंचाई गई है। इनमें राजस्व अभिलेख में दुरूस्ती के 4 लाख 69 हजार 669, खाता विभाजन के 44 हजार 259, खातेदारी अधिकार के 14 हजार 418, इजराय के 38 हजार 838, नामान्तरकरण के 3 लाख 89 हजार 583, राजस्व नकल के 5 लाख 81 हजार 415, रास्ते के 4054, सहित अन्य प्रकरण शामिल हैं। इस तरह प्रतिदिन औसतन 53 हजार 233 से अधिक मामले सुलझ रहे हैं और राजस्व अदालतों पर लंबित मामलों का बोझ भी कम हो रहा है।

जयपुर,13 जून 2016