मुख्यमंत्री की सिफारिश पर लोकायुक्त करेंगे खनन प्रकरण की जांच

सीएम ने किये 548 एलओआई और 53 अनुज्ञापत्र निरस्त

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने व्यापक जनहित और पारदर्शिता के उच्च मानदंड अपनाते हुए खान विभाग में ’पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर खनन पट्टे आवंटन के लिये जारी किये गये 548 एलओआई और 53 अनुज्ञापत्रों को निरस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल से इस प्रकरण की जांच लोकायुक्त से करवाने की सिफारिश की है। इस पर राज्यपाल ने लोकायुक्त से जांच करवाने के आदेश जारी किये हैं।

राज्य सरकार ने तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव खनिज विभाग श्री अशोक सिंघवी के परिपेक्ष्य में प्राप्त शिकायतों के मद्देनजर खनन पट्टों के आवंटन के लिये 01 नवम्बर, 2014 से 12 जनवरी, 2015 के बीच जारी की गई एलओआई और अनुज्ञापत्रों की स्वीकृतियों की निष्पक्ष जांच के लिये प्रशासनिक स्तर पर 5 अक्टूबर 2015 को एक समीक्षा समिति का गठन किया था। इस समिति की प्रारम्भिक रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 19 हजार आवेदनों में से लगभग 4 प्रतिशत पत्रावलियों को ’पहले आओ, पहले पाओ’ की आड़ में जल्दबाजी में निस्तारित किया गया है, जो उचित प्रतीत नहीं होता। इसके अतिरिक्त भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने भी आवंटन से संबंधित शिकायतों को निराधार नहीं माना। इस पर मुख्यमंत्री ने अंतरिम रिपोर्ट का इंतजार किये बिना उच्च आदर्शों का परिचय देते हुए यह कार्रवाई की है।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने एलओआई और अनुज्ञापत्रों की 601 स्वीकृतियों को निरस्त करके प्रकरण की विस्तृृत जांच करवाने की सिफारिश की है। इस क्रम में राज्यपाल की ओर से जारी आदेश में लोकायुक्त को खनन पट्टे आवंटन की पूरी प्रक्रिया, इसमें हुई गड़बडि़यों की जांच तथा खनन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिये निर्देशित किया गया है। लोकायुक्त भविष्य में ऐसी गड़बडि़यों को रोकने के लिये सिफारिश भी देंगे।

जयपुर, 17 अक्टूबर 2015