सफलता की कहानियां-तालाब की तस्वीर बदली, अब बदलेगी गांव की तकदीर
कभी गांव की जल उपलब्धता का मूल आधार मानी जाने वाली नाल की भूरोलाई तलाईए एक बार फिर गांव की प्यास बुझाने को आतुर है। लम्बे समय से उपेक्षा की शिकार इस तलाई की तस्वीरए पिछले तीन महिनों में बदल चुकी है और वह दिन दूर नहीं जब यह तलाई गांव की तकदीर बदल देगी। नाल गांव के बीचोंबीच स्थित भूरोलाई तलाईए बीकानेर जिले की ऎतिहासिक तलाईयों में से एक है। एक दौर थाए जब नाल और आस.पास के अनेक गांवों के लोग इस तलाई से ही अपनी प्यास बुझाते थे। पशुओं को पानी पिलाने और अन्य कार्यों के लिए इस तलाई से जल उपलब्ध हो जाता था। धीरे.धीरे तलाई का स्वरूप बिगड़ने लगा और मिट्टी के कटाव के कारण तलाई में पानी ठहरना बंद हो गया। इससे ग्रामीणों को पेयजल के लिए दूसरे संसाधनों पर निर्भर होना पड़ा।
संकट के इस दौर मेंए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ग्रामीणों के लिए नई रोशनी लाया। ऎतिहासिक तलाई के जीर्णोद्धार और क्षमता वद्र्धन का कार्य अभियान के तहत लिया गया और गत 27 जनवरी को इस कार्य की शुरूआत हो गई और बेहतर मॉनिटरिंग के फलस्वरूप लगभग 90 दिनों में इस तलाई ने नया रूप धारण कर लिया। तलाई के जीर्णोद्धार का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है और जब बरसात होगी तो लगभग 48 हैक्टेयर पायतन वाले तालाब में पानी हिलोरे लेगा और यह पानी गांव को आत्मनिर्भर बनने की राह आसान करेगा।
इतना ही नहींए इसे ष्आदर्श तालाबष् के रूप में तैयार करने की योजना भी है। इसके तहत यहां रंग.बिरंगी लाइटें और आकर्षक पेड़.पौधे लगाकर इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसकी दीवारों पर जल संरक्षण से संबंधित नारे लिखे भी लिखे जाएंगे। नाल गांव में रहने वाले 60 वर्षीय मघाराम का कहना है कि सरकार की मेहरबानी तो हो गईए अब तो बस इंद्र मेहरबान हो जाए। फिर ना ही ग्रामीणों के लिए पानी की कमी रहेगी और ना ही पशुओं के लिए।
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