सफलता की कहानी-वर्षा ऋतु में धरती में प्रवेश करने के बाद जलराशि

फॉर वाटर कन्सेप्ट का मूल मंत्र है दौड़ते हुए पानी को चलना सिखायेंए चलते हुए पानी को रेंगना सिखायेंए रेंगते हुए पानी को रुकना सिखायें तथा रुके हुए पानी को धरती में प्रवेश करना सिखायें। धरती में प्रवेश करने वाला पानी बैंक में जमा कराई गई किसी स्थाई जमा राशि से कम नहीं है। यह पानी ब्याज सहित स्थानीय लोगों के पास लौट कर आता है। संकट की घड़ी में जिस प्रकार आदमी द्वारा बैंक में जमा कराई गई पूंजी ही काम आती हैए उसी प्रकार धरती में प्रवेश करने वाला पानी गर्मियों के संकट में स्थानीय लोागों के काम आता है। इसका जीवंत उदाहरण देखने को मिला है झालावाड़ जिले की बकानी पंचायत समिति के जोगरपुरा गांव में।

जोगरपुरा फोर वाटर कंसेप्ट क्षेत्र के अंतर्गत जोगरपुराए सवाखोहए लक्ष्मीपुरा तथा गणेशपुरा आदि गांव आते हैं। इस क्षेत्र में सन् 2014.15 में जलग्रहण एवं भूजल संरक्षण विभाग द्वारा फोर वाटर कंसेप्ट के कार्य करवाये गये। इसके तहत पहाड़ी के ऊपरी क्षेत्र में एक दरार में मिनी परकोलेशन टैंक बनाया गया ताकि पानी को तेजी से बहकर जाने से रोका जा सके। इस टैंक के भर जाने के बाद उसका जल धीरे.धीरे भूमि में प्रवेश कर गया। अब यही भूमिगत जल रिसकर पहाड़ी की निचली ढलानों में पहुंचा है। एक किसान ने अपने खेत में जेसीबी की मदद से एक गड्ढा खुदवाया।

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उसका विचार एक कच्चा कुंआ बनाने का था किंतु कुछ फुट खुदाई करते ही पानी निकल आया और जैसे जैसे गड्ढा बड़ा किया गयाए वह पानी से लबालब भरता चला गया। इस प्रकार यह जल इस क्षेत्र के लोगों के लिये वरदान बनकर आया है। पूर्व के वर्षों में स्थिति यह थी कि इस पूरे क्षेत्र में मार्च का महीना आते ही समस्त जलाशय रीत जाते थे तथा पशु.पक्षी एवं इंसान पानी के लिये तरस जाते थे। एक साल पहले तक यह स्थिति थी कि ग्रीष्म काल में यहां के लोगों को 20 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा था। जबकि आज स्थिति यह है कि इस मिनी टैंक में भूमि के स्तर तक लबालब जल भरा हुआ है।

इस स्थान से लगभग एक किलोमीटर दूर गांव में इसी वर्ष एक नया नलकूप स्थापित किया गया है। उसमें इतना पानी आ रहा है कि निकटवर्ती 10 गांवों के लोग यहां से पानी ले जा रहे हैं तथा इसका पानी टूटता नहीं है। जब स्थानीय लोगों से इस सम्बन्ध में बात की गई तो ये लोग इस कार्य की प्रशंसा करते नहीं थकते। उनका कहना है कि 22 मई 2016 को जबकि पूरे राजस्थान में तापक्रम 50 डिग्री सेंटीग्रेड से ऊपर चल रहा है तथा पशु.पक्षी एवं इंसान जल के लिये तरस रहे हैंए वहीं जोगरपुरा तथा आस पास के गांवों के लिये उपलब्ध ताजा एवं स्वच्छ जल स्थानीय जीव जगत के लिये तारणहार सिद्ध हो रहा है।

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