सफलता की कहानियां -जयपुर में मानोता के शिविर में ग्रामीणों को मिली राहत
जयपुर में मानोता के शिविर में ग्रामीणों को मिली राहत
जयपुर जिले में राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी फ्लेगशिप कार्यक्रम ‘राजस्व लोक अदालत अभियानः न्याय आपके द्वार‘ के शिविरों की फिजाओं में गूंजते ‘सहमति‘, ‘समझाईश‘, ‘सुलह‘, ‘मेलजोल‘ राजीनामा‘ एवं ‘समझौता‘ जैसे शब्द छोटे-छोटे मसलों पर आपसी मतभेद के कारण राजस्व न्यायालयों में एक दूसरे के खिलाफ खड़े अपनों के रिश्तों को फिर से मधुर बना रहे हैं। अभियान के माध्यम से राज्य सरकार की मंशा को साकार करते हुए अधिकाधिक लोगों को राहत प्रदान करने के लिए जयपुर जिला प्रशासन द्वारा किए गए इंतजामों और फील्ड में कार्यरत राजस्व अधिकारियों और कार्मिकों की मेहनत से कुछ ऎसी ही बानगी जिले की जमवारामगढ़ तहसील की मानोता ग्राम पंचायत में आयोजित शिविर में देखने को मिली, जहां ग्रामीणों में समझाईश के माध्यम से सुलह की राह प्रशस्त की गई।
समझाईश से हुआ खाता विभाजन
एक ही जमीन के अलग-अलग हिस्सों पर पंजीकृत खरीददार होने के बावजूद कौनसे हिस्से पर किसका हक है? इस बात को लेकर मानोता पंचायत के गांव ड्योढ़ा डूंगर में एक बीघा 13 बिस्वा कृषि भूमि पर दो पक्षों में 7 वर्षों से अधिक समय से विवाद चल रहा था। गांव की कौशल्या देवी बनाम रामादेवी, गम्मूड़ी देवी और मुन्ना देवी के इस प्रकरण में उपखण्ड न्यायालय जमवारामगढ़ में वाद चल रहा था। कौशल्या देवी ने वर्ष 2010 में ड्योढा डूंगर में कृषि भूमि खरीदी थी। इसी खसरे पर रामादेवी, गम्मूड़ी देवी और मुन्ना देवी ने भी कृषि भूमि क्रय की, लेकिन खसरे के कौनसे हिस्से पर कौन सा पक्ष काबिज हो इसको लेकर विवाद के कारण कोई भी पक्ष इस जमीन पर बुवाई-जुताई (काबिज काश्त) नहीं कर पा रहा था। मानोता में शनिवार को राजस्व लोक अदालत के शिविर में सही मायनों में न्याय ने आकर इन पक्षकारों के द्वार पर दस्तक दीं। शिविर में मौके पर उपखण्ड अधिकारी श्री नरेन्द्र मीना, ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती सुमन मीना सहित उपस्थित गांव के मौज़िज लोगों ने दोनों पक्षों की समझाईश की कि वे सहमति से अपने-अपने हिस्से की जमीन को नक्शे में चिह्वित करा ले ताकि सुकून से इसका उपयोग कर सके। इस समझाईश का ही नतीजा था कि दोनों पक्षों ने राजी-राजी खसरे पर अपनी भूमि को ‘मार्क‘ करते हुए खाता विभाजन की सहमति दे दी। इसके बाद उपखण्ड न्यायालय द्वारा उस खसरे पर दोनों पक्षों की जमीन के हिस्से को चिह्वित करते हुए खाता विभाजन एवं स्टे खारिज कर वाद का निपटारा कर दिया गया। शिविर में मौजूद ग्रामीणों की मौजूदगी में पारित निर्णय की प्रति जब कौशल्या देवी तथा रामादेवी, गम्मूड़ी देवी व मुन्ना देवी को सौंपी गई तो उनके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव न्याय आपके द्वार की सफलता की गवाही दे रहे थे।
रामस्वरूप को मिला हक
ड्योढ़ा डूंगर के 73 वर्षीय बुजुर्ग रामस्वरूप को मानोता के शिविर में जब उसकी भूमि का नामांतरण दर्ज कर जमाबंदी सौंपी गई तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। गांवों में राजस्व लोक अदालतें आयोजित कर ग्रामीणों को लाभांवित करने के मिशन की रामस्वरूप ने मुक्तकंठ से सराहना करते हुए राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। रामस्वरूप ने वर्ष 2005 में 19 बिस्वा कृषि भूमि रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के जरिए प्राप्त की और ग्राम पंचायत में नामांतरण दर्ज करने के लिए आवेदन किया। बकौल रामस्वरूप रिश्तेदारों से किसी मसले पर मनमुटाव के कारण ग्राम पंचायत ने उस भूमि पर अन्य व्यक्तियों का कब्जा दिखाकर उसके नामांतरण को खारिज कर दिया। रामस्वरूप ने ग्राम पंचायत के इस निर्णय के विरूद्ध जमवारामगढ़ के एसडीएम कोर्ट में अपील की, जिसकी सुनवाई करते हुए उपखण्ड मजिस्ट्रेट ने खुले न्यायालय में निर्णय सुनाते हुए उसके नामांतरण को सही मानते हुए तहसीलदार को पालना के लिए सुपर्द किया। शनिवार को मानोता में हुए शिविर में तहसीलदार श्री ज्ञानचंद जैमन ने उपखण्ड न्यायालय के आदेश की पालना करते हुए रामस्वरूप के नामांतरण को स्वीकार कर उसको आदेश की प्रति सौंप दी।
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