राज्य की नई ई-गवर्नेंस एवं सूचना प्रौद्योगिकी नीति एवं कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति जारी

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे एवं केन्द्रीय पर्यटन, कला एवं संस्कृति राज्य मंत्री डाॅ. महेश शर्मा ने गुरुवार को होटल क्लाक्र्स आमेर में आयोजित रिसर्जेंट राजस्थान के एम.ओ.यू. साइनिंग कार्यक्रम के दौरान राज्य की नई ई-गर्वनेंस एवं सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा नीति-2015 तथा राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति-2015 जारी की।

ई-गवर्नेंस एवं सूचना प्रौद्योगिकी नीति के मुख्य आकर्षण

राज्य की इस नई ई-गवर्नेंस एवं सूचना प्रौद्योगिकी/सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा नीति-2015 के मुख्य उद्देश्यों में सुशासन संवर्धन के लिये सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग, आईटी/ आईटीईएस/ ईएसडीएम संबंधित मानव संसाधन विकास, आईटी/ आईटीईएस/ ईएसडीएम क्षेत्र में निवेश से राज्य का आर्थिक विकास संवर्धन तथा राज्य में सूचना सुरक्षा एवं ग्रीन आईटी तंत्र स्थापित करना शामिल है। पहली बार सूचना प्रौद्योगिकी नीति में इलेक्ट्राॅनिक सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण उद्योगों के लिए लाभ तथा रोबोटिक केन्द्र को भी शामिल किया गया है। साथ ही पहली बार राज्य सरकार ने एक अति विकासशील कदम उठाते हुए सूचना प्रौद्योगिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी आधारित सेवा उद्योग को अधिकाधिक बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस उद्योग को क्षेत्रीकरण निवियमन एवं भू-रूपांतरण से पूर्णतया मुक्त रखा है।

कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति के मुख्य बिन्दु

राजस्थान कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति-2015 राज्य में कृषि प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है । इस नीति का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन का प्रोत्साहन एवं फसलोत्तर हानि में कमी द्वारा किसानों को उनके उत्पाद का अधिकाधिक लाभकारी मूल्य दिलाना है । इस नीति के अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा अनेक वित्तीय प्रोत्साहन देने के साथ-साथ प्रक्रिया के सरलीकरण पर भी जोर दिया गया है। यह नीति राज्य में इस क्षेत्रा में मानव संसाधन के विकास को भी प्रोत्साहित करेगी ।

कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन प्रोत्साहन नीति के तहत दो प्रकार से प्रावधान किये गये हैं । राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2014 में कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि विपणन क्षेत्र को अन्य क्षेत्रों के समान प्राप्त होने वाले प्रोत्साहनों के अतिरिक्त इस क्षेत्र को पर्यटन, कपडा, ऊर्जा आदि क्षेत्रों की तर्ज पर प्राथमिकता क्षेत्रा (Thrust Sector) के रूप में जोड़ कर सामान्य से अधिक वित्तीय प्रोत्साहन देने का प्रावधान किया गया है ।

उद्योग संवर्धन ब्यूरो द्वारा संचालित राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना-2014 में फसलोत्तर प्रबन्धन गतिविधियों को प्राथमिकता क्षेत्रा (Thrust Sector) के रूप में 5 वर्ष तक 5 प्रतिशत सावधि ऋण पर ब्याज अनुदान, 7 वर्ष तक विद्युत कर, भूमि कर एवं मण्डी शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट, मुद्रांक शुल्क एवं भू-रूपान्तरण शुल्क में तथा उपकरण एवं मशीनरी प्रदेश से बाहर से लाने पर प्रवेश शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट देय होंगे।

उद्यमियों द्वारा प्रसंस्करण क्षेत्र में 25 लाख रुपये तक निवेश पर 30 प्रतिशत निवेश अनुदान, 20 प्रतिशत रोजगार सृजन अनुदान 7 वर्ष तक जमा कराये गये वेट एवं केन्द्रीय बिक्री कर पर देय होगा, जबकि 25 लाख से अधिक निवेश पर 60 प्रतिशत निवेश अनुदान, 10 प्रतिशत रोजगार सृजन अनुदान 7 वर्ष तक जमा कराये गये वेट एवं केन्द्रीय बिक्री कर पर देय होगा। इसी प्रकार विद्युत कर, भूमि कर, मण्डी शुल्क में 7 वर्ष तक 50 प्रतिशत छूट, मुद्रांक शुल्क एवं भू-रूपान्तरण शुल्क में तथा उपकरण एवं मशीनरी प्रदेश से बाहर से लाने पर प्रवेश शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट देय होंगी। पशुदाना/कुक्कुट दाना निर्माण पर 5 प्रतिशत ब्याज अनुदान सावधि ऋण पर 5 वर्ष तक या ऋण चुकाने की अवधि तक जो भी पहले हो, अनुदान देय होगा। इसी प्रकार 100 करोड़ व इससे अधिक के निवेश या 250 व्यक्तियों के रोजगार सृजन पर अनुकूलित पैकेज (ब्नेजवउप्रम च्ंबांहम) देय होगा। फूड पार्क स्थापित किये जाने पर भूमि के प्रथम स्थानान्तरण पर 50 प्रतिशत मुद्रांक शुल्क में छूट भी देय होगी।

जयपुर, 5 नवम्बर 2015