राजस्थान में कई दूसरे राज्यों से कम हैं बिजली की दरें

मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने कहा कि बिजली कम्पनियों की जो हालत कांग्रेस ने की वह किसी से छुपी हुई नहीं है। उन्होंने पूरे बिजली तंत्र को चूर-चूर कर दिया था। उन्होंने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने ही केबिनेट में हर साल बिजली की दरें बढ़ाने का निर्णय लिया था। हमारी सरकार ने विपरीत आर्थिक हालातों के बावजूद बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ किया। आज प्रदेश में तकनीकी खराबी को छोड़कर घरेलू बिजली 22 से 24 घंटे मिल रही है। किसानों को भी पर्याप्त बिजली मिल रही है।

श्रीमती राजे बुधवार को उदयपुर में आयोजित भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक को सम्बोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि हमने बिजली तंत्र में सुधार किया तो आज प्रदेश बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बन गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्थान में विद्युत दरें देष के कई दूसरे राज्यों की तुलना में काफी कम है। कृषि बिजली की दरें छत्तीसगढ़, पष्चिम बंगाल, असम, मेघालय, दिल्ली, मध्य प्रदेष, केरल, उड़ीसा, उत्तराखण्ड, गोवा व कर्नाटक से कम है। घरेलू बिजली की दरें भी यहां महाराष्ट्र, मध्य प्रदेष व कर्नाटक से कम है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी प्रकार अघरेलू बिजली की दरें दिल्ली, केरल, पंजाब, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेष व आन्ध्र प्रदेष से कम हैं। लघु उद्योगों की बिजली दर भी यहां दिल्ली, मध्यप्रदेष, पष्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेष, व पंजाब से कम है। मध्यम उद्योगों की बिजली दर भी दिल्ली, महाराष्ट्र, पष्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेष व पंजाब तथा वृहद औद्योगिक बिजली दर, पष्चिम बंगाल व महाराष्ट्र से कम है।

श्रीमती राजे ने कहा कि वर्तमान में मीटर्ड कृषि उपभोक्ताओं की विद्युत दर 4.75 रुपए प्रति यूनिट है, जिसमें राज्य सरकार 3.60 रुपए प्रति यूनिट का अनुदान दे रही है। फ्लैट रेट उपभोक्ताओं को बिजली राज्य सरकार के अनुदान के बाद सिर्फ 120 रुपए प्रति हॉर्स पॉवर मिल रही है, जबकि वास्तविक विद्युत दर 635 रुपए प्रति हॉर्स पॉवर है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार कृषि उपभोक्ताओं के लिए विद्युत कम्पनियों को 7200 करोड़ रुपए वार्षिक अनुदान दे रही है।

जयपुर/उदयपुर, 5 अक्टूबर 2016