राजस्थान प्रोटेक्शन ऑफ इन्टरेस्ट ऑफ डिपोजिटर्स अध्यादेश-2016 को सिद्धान्ततः मंजूरी फर्जी चिटफंड कम्पनियों के खिलाफ होगी पुख्ता कार्रवाई
मंत्रिमण्डल की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में गुरुवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में सम्पन्न हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में फर्जी चिटफंड कम्पनियों पर लगाम लगाने एवं जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा गलत लोगों के हाथों में जाने से रोकने के लिए राजस्थान प्रोटेक्शन ऑफ इन्टरेस्ट ऑफ डिपोजिटर्स (इन फाइनेन्सियल एस्टेब्लिसमेन्ट्स) अध्यादेश-2016 को सिद्धान्ततः मंजूरी दी गई। यह कानून राज्य सूची तथा समवर्ती सूची के तहत आता है इसलिए संविधान के अनुच्छेद 213 के अंतर्गत इस अध्यादेश को जारी करने से पहले इसे राष्ट्रपति से सहमति प्राप्त करने के लिए भिजवाया जाएगा।
संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्रिमंडल की बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि इस अध्यादेश के तहत किए गए प्रावधानों से आमजनता को राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य में जिन वित्तीय एवं नॉन-बैंकिंग संस्थानों द्वारा लोक लुभावन विज्ञापन जारी कर आमजन की मेहनत की कमाई और मूल्यवान वस्तुएं लेने के बाद निश्चित समयावधि में नहीं लौटाए जाने एवं धोखाधड़ी करने पर ऐसे संस्थानों की सम्पत्तियां कुर्क कर राशि जमाकर्ताओं को लौटाया जाना संभव हो सकेगा। यदि कम्पनी ने किसी सम्पत्ति को बेनामी नाम से दूसरे को स्थानान्तरण कर दी है तो ऐसी सम्पत्ति भी जब्त की जा सकेगी।
उन्होंने बताया कि अध्यादेश के तहत ऐसे मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए जिला न्यायाधीश स्तर का डेजिगनेटड कोर्ट प्रस्तावित किया गया है जो एक वर्ष के अंदर सुनवाई पूरी कर फैसला करेगा। जिला मजिस्ट्रेट एवं जिला कलक्टर को ऐसे किसी वित्तीय संस्थान के विरूद्ध शिकायत मिलने पर सुनवाई का अवसर देते हुए समस्त चल और अचल सम्पत्ति कुर्क करने एवं सहायक कलक्टर या उससे ऊपर के अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी नियुक्त कर सम्पत्ति को कब्जे में लेने के लिए अधिकृत किया गया है। प्राधिकारी द्वारा वित्तीय संस्थान की सम्पत्ति का मूल्याकंन तथा जमाकर्ताओं की राशि का आंकलन भी किया जाएगा।
श्री राठौड़ ने बताया कि अब तक ऐसे मामलों में संस्थानों के खिलाफ आईपीसी की धाराओं के तहत कार्यवाही होती थी लेकिन सम्पत्ति कुर्क नहीं हो पाती थी जिससे पीड़ित लोगों को जमा राशि नहीं मिल पाती थी। अध्यादेश के लागू होने के बाद अब यह संभव हो पाएगा। ऐसे मामलों में डेजिगनेटड कोर्ट तीन से सात वर्ष तक की सजा और 2 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना कर सकेगा। डेजिगनेटड कोर्ट का गठन माननीय उच्च न्यायलय से विचार-विमर्श कर किया जाएगा।
निजी क्षेत्र में निर्वाण विश्वविद्यालय की होगी स्थापना
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि बैठक में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में निजी निवेश को आकर्षित करने के लिए निर्वाण चैरिटेबल ट्रस्ट को झर बस्सी, जयपुर में 34 एकड़ भूमि पर निर्वाण विश्वविद्यालय स्थापित करने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इस विश्वविद्यालय में मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग, फिजियोथैरेपी, लाइफ साइंजेस, फार्मेसी, हौम्योपैथी विषयों के अध्यापन एवं अनुसंधान के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। इस पर 250 करोड़ रुपये का निवेश होगा एवं एक हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा।
पॉली क्लिनिक, भीलवाड़ा को 700 व.मी. भूमि निःशुल्क आवंटित होगी
श्री राठौड़ ने बताया कि एक्स सर्विसमेन कॉन्ट्रीब्यूटरी हैल्थ स्कीम पॉली क्लिनिक, भीलवाड़ा को पटेल नगर योजना में 700 वर्ग मीटर भूमि निःशुल्क आवंटित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई।
सहायक आसूचना ब्यूरो को झालाना में 3,979 व.मी. भूमि आवंटित होगी
उन्होंने बताया कि इसके अलावा सहायक आसूचना ब्यूरो, गृह मंत्रालय, भारत सरकार को झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर में 3,979 वर्ग मीटर भूमि क्षेत्र की संस्थानिक आरक्षित दर पर अतिरिक्त 15 प्रतिशत राशि के साथ आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
लोक सेवा आयोग की कार्य प्रणाली की प्रशंसा
श्री राठौड़ ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा विभिन्न परीक्षाओं को समय पर आयोजित कर अभ्यर्थियों को गत एक वर्ष में राहत देकर उल्लेखनीय कार्य किया जिस पर उनकी प्रशंसा की गई। आयोग ने आर.ए.एस. प्रारम्भिक परीक्षा का परिणाम मात्र 17 दिनों में जारी किया। विभिन्न विभागों की 385 डीपीसी की बैठकें आयोजित कर 26 हजार 854 अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति के अवसर दिलाने में सहयोग दिया साथ ही देश में सर्वाधिक 132 परीक्षाएं ऑन लाइन करने का रिकॉर्ड कायम कर उल्लेखनीय उपलब्धि अर्जित की जिस पर मंत्रिमंडल ने राजस्थान लोक सेवा आयोग की प्रशंसा की।
जयपुर, 22 सितम्बर 2016