हिमालय की वादियों में रेतीले धोरों का संगीत, सादुलपुर के लोक कलाकारों ने थिम्पू में दी प्रस्तुति
शेखावाटी के रेतीले धोरों के लोक कलाकारों ने शनिवार को राजस्थान की संस्कृति को साकार करने वाली विभिन्न प्रस्तुतियां देकर माउण्टेन ईकोज लिटरेचर फेस्टिवल में उपस्थित कलाप्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सादुलपुर (चूरू) के लोक कलाकार जमना देवी, माली देवी, करना राम एवं भंवर लाल ने शनिवार को भूटान शाही विश्वविद्यालय में कबीर के दोहों और मीरा के भजनों की ढोलक और इकतारे के साथ प्रस्तुतियों से हिमालय की वादियों में राजस्थानी लोक संस्कृति को जीवंत कर दिया। इन लोक कलाकारों ने एक से बढ़कर एक लोकगीत पेश किए, जिस पर वहां उपस्थित साहित्य एवं कलाप्रेमियों ने करतल ध्वनि से उनका स्वागत किया।
इससे पहले राजस्थानी लोक कलाकारों ने राजमाता भूटान की राजमाता श्रीमती आशी दोरजी वांग्मो वांग्चुक के साथ भूटान शाही विश्वविद्यालय में मुलाकात की। श्रीमती वांग्चुक ने कलाकारों की प्रतिभा की सराहना की और उन्हें शुभकामनाएं दीं।
जयपुर/थिम्पू, 27 अगस्त 2016