मुख्यमंत्री ने दी शीतला अष्टमी की बधाइयां
शीतला अष्टमी हिन्दुओं का एक त्योहार है, जिसमें शीतला माता की पूजा की जाती है और इस दिन घर में खाने के लिए चूल्हा नहीं जलता है। होली सम्पन्न होने के आठवें दिन चौत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला माता का पूजन किया जाता है और व्रत रखा जाता है। कुछ स्थानों पर शीतला देवी की पूजा होली के बाद पड़ने वाले पहले सोमवार अथवा गुरुवार के दिन की जाती है।
संपूर्ण उत्तर भारत में शीतला अष्टमी त्यौहार बास्योड़ा के नाम से विख्यात है। पूजा से एक दिन पूर्व शीतला देवी को भोग लगाने के लिए बासी खाने का भोग यानि बास्योड़ा तैयार कर लिया जाता है। अष्टमी के दिन बासी पदार्थ ही देवी को नैवेद्य के रूप में समर्पित किया जाता है और भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ये ऋतु का अंतिम दिन होता है, जब बासी खाना खा सकते हैं। इसके बाद से बासी खाना खाना बंद कर दिया जाता है।
शीतला माता की उपासना वसंत एवं ग्रीष्म ऋतु में होती है, क्योंकि यह शीतला (चेचक रोग) के संक्रमण का मुख्य समय होता है। रोग से बचाव के लिए शीतला देवी की पूजा की जाती है। भगवती शीतला की उपासना से स्वच्छता और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की प्रेरणा मिलती है।
8 मार्च, 2018