रणनीतियां बनाकर व चुनौतियों के समाधान करके ही प्राप्त की जा सकती हैं कृषि पर्यटन की सम्पर्ण क्षमताएं
- राजस्थान में कृषि पर्यटन में संभावनाएं विषय पर सेमीनार
- ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) 2016 का तीसरा दिन
जयपुर के सीतापुरा स्थित जयपुर एग्जीबिशन एंड कन्वेंशन सेंटर (जेईसीसी) में आयोजित किए गए ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (ग्राम) 2016‘ के अंतिम दिन आज राजस्थान सरकार के सार्वजनिक निर्माण व परिवहन मंत्री श्री यूनूस खान ने कहा कि राजस्थान में कृषि पर्यटन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। ‘राजस्थान में कृषि पर्यटन में संभावनाएं‘ विषय पर आयोजित सेमीनार में उन्होंने आगे कहा कि भारत में कृषि पर्यटन व्यवसाय की संख्या एवं विविधताओं में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन राजस्थान में इसके विकास की संभावनाओं की सीमित पहचान है। ग्राम का आयोजन संयुक्त रूप से राजस्थान सरकार एवं फैडरेशन आॅफ इंडियन चैम्बर्स आॅफ काॅमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा किया गया।
इस अवसर पर राजस्थान सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन व पर्यावरण; पर्यटन, कला व संस्कृति, श्री निहाल चंद गोयल ने कहा कि कृषि पर्यटन का मतलब कृषि क्षेत्रों को वैकेशन वेंचर्स में परिवर्तित करना तथा फार्म आधारित गतिविधियों में पर्यटकों को आकर्षित करना है। उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में बेहतरीन टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर होने से राज्य में प्रति वर्ष करीब 37 करोड़ पर्यटक आते हैं, जिसका राज्य में कृषि पर्यटन के विकास में उपयोग होना चाहिए।
एग्री टूरिज्म डवलपमेंट कम्पनी प्राइवेट लिमिटेड (एटीडीसी), के प्रबंध निदेशक श्री पांडुरंग तवारे ने कहा कि कृषि पर्यटन व्यवसाय की सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर बहुत अधिक खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि विदेशी मेहमान ही किसानों के फाॅम्र्स एवं इनके कार्यों को देखकर किसानों को भुगतान करते हैं। उन्होंने बताया कि पर्यटक गायों के दूध निकालने, विभिन्न फसलों के खेतों, गुड़ व वाइन बनते देखने, कुंए के पास नहाने और रेशम के कीड़े पालने के स्थान पर जाने जैसी गतिविधियों का अनुभव करते हैं। इनके साथ परंपरागत भोजन एवं लोक संगीत की शाम से उनकी विजिट और अधिक मनोरंजक हो जाती है।
मोरारका फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री मुकेश गुप्ता ने कहा कि कृषि पर्यटन में किसी भी अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता नहीं होने से यह अत्यंत लाभदायक व्यवसाय है। शहरों में रहने वाले और महंगे होटलों में दिल खोलकर खर्च करने वाले लोग ही वास्तव में कृषि पर्यटन को चुनते हैं, क्योंकि उन्हें गांव का जीवन देखने को नहीं मिलता है। श्री गुप्ता ने कहा कि किसान कृषि पर्यटन के जरिए अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
महाराष्ट्र स्टेट एग्री एंड रूरल टूरिज्म काॅपरेटिव फैडरेशन लिमिटेड (मार्ट) के निदेशक, श्री सुनील मनकिकर ने कहा कि कृषि पर्यटन को प्रोत्साहित करने के कई तरीके हैं, जिनमें योगा, विपश्यना व प्राणायाम टूरिज्म, वाइन टूरिज्म (नासिक महाराष्ट्र की तरह), मेडिसिनल टूरिज्म और चिल्ड्रन टूरिज्म शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि महाराष्ट्र राज्य कृषि पर्यटन के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है और हमनें राजस्थान में भी कृषि पर्यटन के ऐसा ही सेट-अप स्थापित करने की पेशकश की है।
उदय टूर्स एंड ट्रेवल्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक, श्री राजीव मेहरा ने सुझाव दिया कि किसानों व सरकार को मिलकर ऐसे विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना चाहिए, जो स्वयं किसान हैं। ये विदेशी पर्यटक हमारे किसानों के साथ रहना और स्थानीय खेती तकनीकों को जानना चाहते हैं। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि कृषि की सर्वोत्तम वैश्विक प्रणालियों को जानने के लिए भारतीय किसानों को भी विदेश जाना चाहिए और खेती की तकनीकों के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। सरकार द्वारा इसमें किसानों का कुछ खर्च वहन करके विदेश जाने में उनकी मदद करनी चाहिए।
कल्चर आंगन टूरिज्म प्राइवेट लिमिटेड की निदेशक, श्रीमती रश्मि सावंत ने बताया कि गांव के जीवन को साझा करना तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनके फार्महाउसों का नवीनीकरण करके रोजगार के अवसर उत्पन्न करना उनकी परियोजना का उद्देश्य है। फार्महाउसों के नवीनीकरण में पानी के कुओं व शौचालयों को स्वच्छ रखना और मेहमानों की मेजबानी करने जैसे नए हुनर सीखना शामिल हैं।
जयपुर, 11 नवम्बर 2016