मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान-मानसून में बरसी मेहर ने बदली मोरन नदी एनीकट की तस्वीर
गांव वालों ने बड़ी हसरतों के साथ हर साल होने वाली बारिश के पानी को इकट्ठा करने के उद्देश्य से एनीकट का निर्माण करवाया था परंतु क्षतिग्रस्त होने के कारण पिछले कई वर्षों से इस एनीकट में एक बूंद भी पानी नहीं ठहर रहा था। इन स्थितियों में मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान ग्रामीणों की अधूरी हसरतों को पूरा करने वाला साबित हुआ है और जिस एनीकट में पिछले वर्षों में एक बूंद पानी नहीं ठहरा था वह आज लबालब होकर सरकार के इस अभियान की सफलता का गान करता प्रतीत हो रहा है। जी हां, यह कहानी है डूंगरपुर जिले की झौंथरी पंचायत समिति की ग्राम पंचायत पाड़ली गुजरेश्वर स्थित मोरन नदी पर बने एनीकट की। ग्राम पंचायत के अटल सेवा केन्द्र के नीचे की ओर बहने वाली मोरन नदी पर यह एनीकट वर्षा ऋतु में नदी के माध्यम से बहकर जाने वाले पानी को रोककर गांव के खेतों की प्यास बुझाने के लिए लगभग 20 वर्ष पूर्व बनाया गया था परंतु समयांतराल में क्षतिग्रस्त होने व पाल में रिसाव होने के कारण इस एनीकट में पिछले कई वर्षों से पानी की एक बूंद नहीं ठहर रही थी और ग्रामीण अच्छी बारिश होने के बावजूद पानी को इकट्ठा नहीं कर पा रहे थे।
वर्ष-दर-वर्ष बारिश में पानी आता और एनीकट बना होने के बावजूद बहकर चला जाता। पंचायत द्वारा अलग-अलग योजनाओं में दो बार इस एनीकट की मरम्मत भी करवाई गई परंतु ठोस नतीज़ा नहीं निकला। इस दौरान मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान के तहत गांव को अभियान में चयनित किया गया तो सबने मिलकर इस एनीकट की दशा सुधरवाने की ठानी। बस फिर क्या था ग्राम पंचायत के माध्यम से एनीकट की क्षतिग्रस्त पाल की मरम्मत के साथ इसकी डिसिल्टिंग का कार्य को प्रस्तावित किया गया। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत मोरन नदी एनीकट सुदृढ़ीकरण एवं गाद निकालने के कार्य के लिए 14 लाख 94 हजार की स्वीकृति जारी की गई।
ग्रामीणों ने भी इस कार्य की महत्ता को समझते हुए पूरी ऊर्जा के साथ कार्य किया और तीन माह में ही इस कार्य को पूर्ण किया। इस कार्य के तहत श्रम मद पर 8.92 लाख रुपये और सामग्री मद पर 6.02 लाख रुपये की स्वीकृति से 2 हजार 184 मानव दिवस सृजित हुए। कार्य पूरा होते ही मानसून की मेहर हुई और आज पहली वर्षा में यह एनीकट पानी से लबालब भरा हुआ है। ग्रामीण बताते है कि एनीकट में पानी के ठहराव से ग्रामीणों के खेतों में सिंचाई सुविधा मिलेगी और गर्मियों में भी इस पानी का उपयोग ग्रामीण कर सकेंगे।
जयपुर, 19 जुलाई 2016
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