राज्य खनन नीति में संशोधन, सभी खानों की होगी ई-नीलामी
राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक में महत्त्वपूर्ण निर्णय
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में सोमवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में सम्पन्न मंत्रिमण्डल की बैठक में राज्य की खनिज नीति-2015 में संशोधन और सभी खानों की ई-नीलामी सहित कई महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
संसदीय कार्य मंत्री श्री राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्रिमण्डल की बैठक में हुए निर्णयों की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि खनन पट्टों के वितरण में पारदर्शिता एवं प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने सभी प्रकार के पट्टों का आवंटन ई-टेण्डरिंग के माध्यम से करने का निर्णय लिया है। निजी खातेदारी की जमीन पर पट्टे जारी करने पर खनन का पहला हक खातेदार का होगा। निजी खातेदारी के पट्टे की नीलामी भी ई-टेण्डरिंग के जरिए की जाएगी, जिसके लिए बोलीदाता को खातेदार की पूर्व सहमति लेनी होगी।
श्री राठौड़ ने बताया कि राजस्थान खनिज नीति-2015 में मंत्रिमण्डल द्वारा स्वीकृत संशोधनों के तहत सभी नए खनन पट्टे 50 वर्ष की अवधि के लिए तथा नए क्वारी लाइसेंस 30 वर्ष के लिए जारी किए जाएंगे। जिन खनन पट्टों एवं क्वारी लाइसेंस की अवधि 31 मार्च, 2022 तक समाप्त हो रही है, उनकी अवधि 31 मार्च, 2025 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, खनन पट्टे के हस्तांतरण के लिए लॉक-इन-पीरियड़ की अवधि 2 साल की बजाय एक साल रहेगी। उन्होंने बताया कि दो खनन पट्टों के बीच कोई गैप एरिया नहीं छोड़ा जाएगा, ताकि अवैध खनन को रोका जा सके।
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा 31 प्रधान खनिजों को अप्रधान खनिज की श्रेणी में परिवर्तित करने के बावजूद इन खनिजों के लिए पहले से जारी हो चुके 657 लेटर ऑफ इंटेंट के लिए पुराने नियम ही प्रभावी रहेंगे।
श्री राठौड़ ने बताया कि मंत्रिमण्डल ने प्रदेश के 8 नए मेडिकल कॉलेजों के संचालन के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में राजस्थान मेडिकल कॉलेज सोसायटी का गठन करने का निर्णय लिया है। यह सोसायटी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की भर्ती के लिए वेतन-भत्ते एवं अन्य शर्तें तथा विद्यार्थियों से ली जाने वाली फीस आदि का निर्धारण करेगी। इन सभी कॉलेजों के लिए मेडिकल कॉउंसिल ऑफ इण्डिया द्वारा प्रथम निरीक्षण किया जा चुका है। अगले सत्र से इन कॉलेजों में कक्षाएं प्रारम्भ हो जाएंगी।
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि बैठक में राजस्थान सामूहिक विवाह नियमन एवं अनुदान नियम-2009 में संशोधन कर विवाह के पंजीकरण के लिए प्राधिकृत अधिकारी की जिम्मेदारी जिला कलक्टर के साथ-साथ एसडीएम, महिला अधिकारिता विभाग की कार्यक्रम अधिकारी को देने का निर्णय भी लिया गया। साथ ही, सामूहिक विवाह में भागीदार प्रत्येक जोड़े को अनुदान 10 हजार रूपये से बढ़ाकर 15 हजार रूपये तथा आयोजन करने वाली संस्था का अनुदान 2500 रूपये से बढ़ाकर 3000 रूपये किया गया है। आयोजक संस्था के लिए प्रति वर्ष अधिकतम अनुदान की सीमा भी 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 15 लाख रूपये करने का निर्णय लिया गया है।
श्री राठौड़ ने बताया कि मंत्रिमण्डल ने राजस्थान कृषि अधीनस्थ सेवा नियम-1978 में संशोधन का भी निर्णय लिया है। इसके तहत सहायक कृषि अधिकारी के पद पर पदोन्नति में ग्राम सेवकों का पांच प्रतिशत कोटा समाप्त कर पदोन्नति के सभी 50 प्रतिशत पद कृषि पर्यवेक्षक से भरे जाएंगे। इसके अलावा राजस्थान आबकारी अधीनस्थ (निवारक शाखा) सेवा नियम-1967 में संशोधन कर जमादार ग्रेड प्रथम, प्रहराधिकारी ग्रेड द्वितीय एवं प्रहराधिकारी ग्रेड प्रथम की ग्रेड-पे क्रमशः 2800, 3600 एवं 4200 रूपये करने का मंजूरी दी।
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राज्य मंत्रिमण्डल ने राजस्थान सिंचाई प्रणाली प्रबन्धन में कृषकों की सहभागिता अधिनियम-2000 में संशोधन कर जल उपभोक्ता संगम (वाटर यूजर एसोशियशन) की प्रबंधन समिति में महिलाओं को आरक्षण देने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब भूस्वामी के साथ उसकी पत्नी भी समिति की सदस्य बन सकेगी।
जयपुर, 20 फरवरी 2017