उदयपुर: अरावली के आगोश में समा रही जलराशि बदलेगी धरती पुत्रों की तकदीर

बरसाती पानी की रफ्तार पर लगाम लगाने और उसे गांवों में ही जगह-जगह रोक देने की मुहिम मेवाड अंचल भर में अप्रत्याशित सफलताओं के गीत गुनगुना रही है। अरावली की गोद में अवस्थित कृषि भूमि एवं पहाड़ों से सतह पर पहुंच कर तेजी से बह जाने वाली जलराशि अब किसान का छिपा हुआ खजाना साबित हो रही है और यह सब संभव हो पाया है मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से। प्रतिवर्ष वर्षाकाल में पहाड़ों से बह जाने वाली अथाह जलराशि का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा था। ऊँची पर्वत श्रृंखला से तीव्र गति से नाले के रूप में जगह बनाता हुआ वर्षा जल व्यर्थ बहकर निकल जाता और भरपूर वर्षा के बावजूद किसान मुँह ताकता रह जाता। इधर जमीन की कमी के चलते कम पैदावार और पशुओं के लिए भी चारे-पानी की कमी से यहां के किसानों को जूझना पड़ रहा था।

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत उदयपुर जिले में बेहतरीन तकनीक का उपयोग कर पहाड़ों एवं खेतों में पानी रोकने की सरकार की पहल रंग ला रही है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की दूरगामी सोच वाले इस अभियान में अधिकांश कार्य वर्षा काल से पूर्व ही सम्पन्न हो जाने से पहली ही बारिश से टे्रंचेज, एनीकट व अन्य जल संरचनाओं में पानी समाहित हो गया और किसानों की जमीनें तर हो गई। किसानों के लम्बे समय तक पानी उनके खेतों के पास संग्रहीत रखने और आगे के मौसम में भी न सिर्फ खाद्यान्न अपितु फल-सब्जियों की बंपर पैदावार का सपना भी साकार होने की उम्मीद नज़र आ रही है। उदयपुर के सुदूर जनजाति बाहुल्य क्षेत्र मालवा का चौरा के किसान हरमा गरासिया, दीताराम और दलाराम मे खेतों के नजदीक जल की उपलब्धता के सरकार के प्रयासों के बारे में पूछा तो उन्होनें सरकार के जल संरक्षण कार्यों को उनका जीवन बदलने वाला बताया। वे बताते हैं कि अब उनके पशुओं की चारे की समस्या तो दूर होगी ही, भूजल स्तर बना रहने से उनके कुए और ट्यूब वेल कभी नहीं सूखेंगे। किसान दलाराम का कहना है कि हमारे पास पैसा नहीं ऎसे में सरकार ने भामाशाही सहयोग प्रदान किया है।

एमजेएसए के तहत खेतों के मुण्डेर पर घास लगायी गई है जो 70 रुपये किलो की दर पर बिकती है इसकी बुवाई बार-बार नहीं करनी होती वहीं नाइट्रोजियस वेरायटी की इस घास से पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में आश्चर्यजनक वृद्धि होती है। लौटी पहाड़ों की हरीतिमा और वनाचंल की रौनक मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से अरावली पर्वत श्रृंखला पर खोदी गई ट्रेंचेंज से एवं पौधरोपण से हरी-भरी हो गई है वहीं इन पहाड़ों पर औषधीय, फलदार एवं छायादार वृक्षों की सघन उपलब्धता होगी। क्षेत्रीय वन अधिकारी राजेन्द्र सिंह कानावत ने खुशी जाहिर की कि टे्रंचेज, बाउन्ड्रीवाल एवं गेबियन स्ट्रक्चर्स से वनों की कायापलट होने वाली है। भोजन, छाया एवं पानी की पर्याप्तता के चलते वन्य जीव संरक्षण एवं वनोपज के नवीन आयाम अभियान ने जोड़े हैं। अभियान के तहत अलग अलग वनखंडों में हजारों की तादाद में पौध तैयार कर उनका रोपण भी किया जा चुका है जिसके सुखद परिणाम शीघ्र ही मिलेंगे।

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जयपुर, 17 जुलाई 2016