मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान -सफलता की कहानी-हरियाली की जीवन रेखा

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान – सफलता की कहानी – हरियाली की जीवन रेखा जयपुरए 23 मई। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तहत क्षेत्रों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कार्यों का चयन किया जाता है और उन कार्यो के सुफल जनता को मिलने लगें तो आमजन में आत्म संतुष्टी के भाव जागृत होने के साथ.साथ सरकार के द्वारा किये जाने वाले विकास कार्यों के प्रति जागरुकता पैदा होती है। इसी कड़ी में करौली जिले में स्वीकृत मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान ;आईडब्ल्यूएमपी करौलीद्ध द्वितीय पंचायत समिति मुख्यालय से लगभग 12 किमी की दूरी पर नादौती उपखण्ड की ग्राम पंचायत बाढ़ जीरना जो कि नादौती.गढ़मोरा मार्ग पर स्थित है के लोगों की जागरुकता व परियोजना प्रतिवेदन के अनुसार जल संग्रहण फार्म पौण्ड प्रस्ताव एवं निर्माण करने के फलस्वरुप क्षेत्र की हरियाली की जीवन रेखा बन गई।

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गांव बाढ़ जीरना की अर्थ.व्यवस्था पशुपालन एवं कृषि कार्य पर निर्भर है। जल के अधिकतम दोहन तथा हर वर्ष अकाल के कारण यहां भू.जल स्तर बहुत नीचे चला गया था। पानी के अभाव एवं वर्षा न होने के कारण इस क्षेत्र में फसल करना तो दूर कि बात थीए मानव तथा पशुओं के लिये पेयजल भी समुचित मात्रा में उपलब्ध नहीं थाए जिसके कारण किसानोंए पशुपालकोंए आमजन एवं पशु पक्षियों का जीवन संकटमय था। ऎसी विषम परिस्थितियों में मुख्यमंत्री जल स्वालम्बन अभियान ;आईडब्ल्यूएमपी करौलीद्ध द्वितीय योजनान्तर्गत कार्य करने के लिये बनाई गई डीपीआर में फार्म पौण्ड बनाने का प्रस्ताव रखाए ;फार्म पौण्डद्ध जल संग्रहण ढांचे का निर्माण विभागीय नियमों के अन्तर्गत करवाया गया जो कि अंधकार में रोशनी की लकीर बन गई। फार्म पौण्ड का निर्माण जल ग्रहण कमेटी बाढ़ जीरना द्वारा वर्ष 2016.17 के माह अप्रेल में करवाया गया।

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एक फार्म पौण्ड 97 हजार रुपये व्यय किये गये है। बाढ़ जीरना ग्रामवासियों द्वारा एक जन संग्रहण जल ढांचा जिसमें लगभग 1ण्8 टीसीएम पानी का भराव बारिश में होगाए संग्रहित जल से सिचांई 2 हैक्टण् प्रति सिचांई कृषक द्वारा रबी फसल में काम लिया जायेगा। ष्जल ही जीवन हैष् वाली कहावत चरितार्थ हुई। ग्राम बाढ जीरना के स्थानीय निवासी मोहिनी पुत्र सियाराम कोली के खेत में खसरा नंण् 103ए मंगल कोली खसरा नंण् 05 के खेत में निर्मित फार्म पौण्ड से पशुओं को पेयजलए स्थानीय कृषकों को सिंचाई हेतु जल एवं स्थानीय निवासियों को पीने हेतु जल सुलभ हो जायेगा।

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