उदयपुर: मानपुर ने रखा बरसाती पानी का मान-दूरस्थ इलाकों में जल धाम कर रहे अभियान का जयगान
राजस्थान के दक्षिणांचलीय आदिवासी बहुत इलाकों में लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों और सामुदायिक विकास योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन ग्राम्य विकास को नित नए आयाम दे रहा है। गांवों में बुनियादी लोक सेवाओं और सुविधाओं का निरन्तर विस्तार होता जा रहा है और इससे ग्राम्य जनजीवन को सुख-चैन की जिन्दगी का सुकून मिल रहा है। विशेषकर मेवाड़ के सुदूरस्थ आदिवासी बहुल क्षेत्रों में समेकित और समन्वित विकास के इन्द्रधनुष ग्रामीण उत्थान का दिग्दर्शन करा रहे हैं। कई ग्रामीण इलाके हैं जहां विकास की ढेरों योजनाएं मिलकर आम जन की माली हालत सुधारने के लिए जुटी हुई हैं। इनमें ही विस्तृत परिक्षेत्र में पसरी एक ग्राम पंचायत है मानपुर। उदयपुर जिले की झल्लारा पंचायत समिति की यह ग्राम पंचायत उदयपुर-बांसवाड़ा मुख्य मार्ग पर अवस्थित झल्लारा से कुछ दूर अन्तरंग पहाड़ी इलाकों में बसी हुई है। पानी के ठौर देख ग्रामीण हर्षाये मानपुर ग्राम पंचायत में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन और महात्मा गांधी नरेगा सहित विभिन्न योजनाओं में खूब सारे काम हुए हैं जिनका फायदा ग्रामीणों को हो रहा है।
इस बार मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत निर्मित कई जल संरचनाओं में बरसाती पानी की आवक हुई है और अनेक जल संरचनाएं पूर्ण भर चुकी हैं तथा इनका पानी जमीन में भी जाने लगा है। ठहरा पानी जगह-जगह मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के अन्तर्गत ग्राम पंचायत मानपुर-ए के तलाई बीड़ा क्षेत्र में 3 एमपीटी, सीसीटी एवं बड़ी संख्या में स्ट्रेगर्ड ट्रेन्च के कार्य कराए गए हैं जिन पर 4.21 लाख रुपए की लागत आयी है। इनमें भरा हुआ पानी अभियान की सफलता के गीत गा रहा है वहीं ग्रामीणों के लिए अपने खेतों के आस-पास बने ये जलाशय उनके तथा खेतों के लिए जीवनाधार के रूप में आनंद दे रहे हैं। इनके साथ ही आदिवासी ग्रामीणों के खेतों का समतलीकरण का काम भी हुआ है। मानपुर के आदिवासी किसान भाणिया/वाला के घर के पास मेड़ बन्दी के कामों और खेतों के समतलीकरण होने से उसका पूरा परिवार खुश है। मवेशियों को मिला आशियाने का सुख मानपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र में महात्मा गांधी नरेगा योजना के अन्तर्गत कैटल शेड के कई काम कराए गए हैं। इनमें से प्रत्येक की लागत 33 हजार रुपए है। इनसे मवेशियों को भी सुख-चैन मिल रहा है। गर्मी, सर्दी और बरसात के मौसम में खुले में बंधे रहने या विचरण करने की मजबूरी खत्म हुई है और जिन्दगी आसान हुई है।
आदिवासी पशुपालन कहते हैं कि कैटल शेड़ बनने से मवेशियों की कई सारी समस्याएं खत्म हो गई हैं। इसके अभाव में मौसम की मार से मवेशी बीमार हो जाते थे और उनका बार-बार ईलाज कराने की समस्या हमेशा बनी रहती। जल संरक्षण से सरसब्ज हुई ग्राम्य धरा जल ग्रहण क्षेत्र विकास के सहायक अभियन्ता (सलूम्बर क्षेत्र) कैलाश जागेटिया बताते हैं कि मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन के अन्तर्गत झल्लारा पंचायत समिति क्षेत्र में जल संरक्षण के बेहतर कार्य हुए हैं। इनमें 90 लाख रुपए की लागत से 15 एनिकट बनाए गए हैं। कुल 165 लाख की धनराशि खर्च कर 1400 हेक्टर में मेड़बन्दी कार्य कराए गए। 125 लाख की लागत से डेढ़ सौ एमपीटी बनवाई गई हैं और 4.50 लाख की लागत से एक नाले को गहरा कराया गया है। इन सभी कामों से क्षेत्र में जल संग्रहण को सम्बल प्राप्त हुआ है।
जयपुर, 6 जुलाई 2016
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